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सुख-दुख

यूपी : सरकार और शासन की ज्यादती के खिलाफ IPS अमिताभ फिर सड़क पर उतरे

 ”लखनऊ पुलिस द्वारा श्री गायत्री प्रजापति एवं अन्य द्वारा हमें फर्जी फंसाने के प्रयास के सम्बन्ध में हम थाना गोमतीनगर में दर्ज नूतन की एफआईआर में राजनैतिक दवाब में आनन-फानन में लगाई गयी अंतिम रिपोर्ट के सम्बन्ध में गाँधी प्रतिमा, हजरतगंज पर अपनी पीड़ा व्यक्त करने जा रहे हैं.” ये शब्द हैं निलंबित वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर के। वह एक बार फिर सरकार की ज्यादतियों के खिलाफ सड़क पर उतर पड़े।

 ”लखनऊ पुलिस द्वारा श्री गायत्री प्रजापति एवं अन्य द्वारा हमें फर्जी फंसाने के प्रयास के सम्बन्ध में हम थाना गोमतीनगर में दर्ज नूतन की एफआईआर में राजनैतिक दवाब में आनन-फानन में लगाई गयी अंतिम रिपोर्ट के सम्बन्ध में गाँधी प्रतिमा, हजरतगंज पर अपनी पीड़ा व्यक्त करने जा रहे हैं.” ये शब्द हैं निलंबित वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर के। वह एक बार फिर सरकार की ज्यादतियों के खिलाफ सड़क पर उतर पड़े।

अभिताभ ठाकुर पुलिस की मनमानी का खुलासा करते हुए हैं – लखनऊ पुलिस ने बहुत गहराई से विवेचना की और यह जान लिया कि मेरी पत्नी नूतन द्वारा खनन मंत्री श्री गायत्री प्रजापति, राज्य महिला आयोग अध्यक्ष सुश्री जरीना उस्मानी आदि द्वारा गाजियाबाद की महिला की सहायता से उनके तथा मेरे खिलाफ किये गए षडयंत्र के सम्बन्ध में थाना गोमतीनगर पर लिखवाये गए मुकदमे में न सिर्फ कोई सच्चाई नहीं है बल्कि यह स्पष्टतया झूठा मुक़दमा है. अर्थात लखनऊ पुलिस अब यह बात दावे से कह सकती है कि नूतन ठाकुर झूठी हैं, झूठे मुकदमे लिखवाती हैं और श्री प्रजापति और सुश्री जरीना उस्मानी बेदाग़ और सच्चे लोग हैं.

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हमें यह जानकारी तब हुई, जब हम थाना गोमतीनगर गए। वहां ज्ञात हुआ कि इस मामले में कुल नौ पर्चों काट कर यह निष्कर्ष निकाल लिया गया कि मंत्री श्री प्रजापति आदि द्वारा ऐसा कोई भी षडयंत्र नहीं रचा गया था और नूतन ने यह झूठा मुक़दमा लिखवाया है. यह भी ज्ञात हुआ कि पहले इसकी विवेचना दरोगा श्री कृष्णबली सिंह ने की जिन्होंने 20 जून से 10 जुलाई के बीच कुल 05 केस डायरी लिखे पर लगता है कि वे एक सीमा के बाहर अन्याय और अपराध करने से डर रहे थे कि अचानक 10 जुलाई को यह विवेचना पूर्व एसओ श्री मोहम्मद अब्बास को दे दी गयी, जिन्होंने 10 से 13 जुलाई के बीच ताबड़तोड़ 3 पर्चे काट कर यह निष्कर्ष निकाल लिया.

मजेदार बात यह है कि इस मामले में नूतन से भी सिर्फ एकबार पूछताछ की गयी थी और पहले विवेचक ने कहा था कि अभी और पूछताछ करनी है. मुझसे तो पूछताछ तक नहीं हुई और श्री अब्बास ने निष्कर्ष निकाल लिया.

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साथियों को बताना चाहूँगा कि 10 जुलाई वही तारीख है, जिस दिन श्री मुलायम सिंह का टेप सामने आया था और 13 जुलाई वही तारीख है जिस दिन मैं निलंबित किया गया, मेरे खिलाफ आरोपपत्र दिया गया और अब मालूम हुआ कि मेरी पत्नी के खिलाफ झूठा मुक़दमा लिखवाने की रिपोर्ट भी दी गयी.

जाहिर है कि अब यह सत्य और असत्य की लड़ाई बन चुकी है जिसमे तमाम आसुरी ताकतें अलग-अलग रूप में हमें बर्बाद करने, परेशान करने, बदनाम करने, फर्जी फंसाने जैसे सभी चिर-परिचित घटियापन पर उतर आये हैं और मेरी जानकारी के अनुसार इसमें पैसा पानी की तरह बहाया जा रहा है पर मुझे आशा और विश्वास है कि ये सब लोग बहुत जल्दी बेनकाब होंगे.

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इसी आशा और विश्वास के साथ मैं यह लड़ाई लड़ रहा हूँ पर साथ ही यह भी सोचता हूँ कि क्या पद और लालच के लिए आदमी इस हद तक अपना ईमान बेच डालता है जैसा मैं अपने ही मामले में तमाम लोगों को देख रहा हूँ.

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0 Comments

  1. Shweta

    August 11, 2015 at 8:02 am

    Dear, amitabh jee, सच थोड़ा परेशान हो सकता है, लेकिन परास्त नहीं… ये ज़माना एेसे लोगों से भरा पड़ा है जो सच को सच बोलने से डरते हैं, एेसे में सच बोलने की एेसी सज़ा मिलनी तो तय थी पहले से…आप संघर्श करें और जरुरत पड़े तो यही बताएं… Go ahed sir…

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