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डेक्कन क्रॉनिकल, सेंचुरी कम्यूनिकेशन, महुआ मीडिया बिकाउ है पर कोई खरीदार नहीं मिल रहा…

पहले से ही लोन वापस न होने के कारण बोझ तले दबे देश के विभिन्न बैंकों के सामने एक नई मुसीबत आ गई है। बैंकों ने तमाम प्रक्रियाओं को पार कर कुछ बकाएदारों की संपत्ति तो जब्त कर ली है, लेकिन अब उनके खरीदार नहीं मिल रहे हैं। इंडियनएक्सप्रेस.कॉम में छपी खबर के मुताबिक, बैंकों ने इन संपत्तियों की नीलामी की कई बार कोशिशें कीं, लेकिन उन्हें कामयाबी हाथ नहीं लगी। इसकी कई वजहें हैं, जिनमें लोगों की कम खरीद क्षमता, कानूनी पचड़े और अन्य समस्याएं शामिल हैं। जमीन अधिग्रहण से संबंधित समस्याएं तो और भी ज्यादा हैं।

पहले से ही लोन वापस न होने के कारण बोझ तले दबे देश के विभिन्न बैंकों के सामने एक नई मुसीबत आ गई है। बैंकों ने तमाम प्रक्रियाओं को पार कर कुछ बकाएदारों की संपत्ति तो जब्त कर ली है, लेकिन अब उनके खरीदार नहीं मिल रहे हैं। इंडियनएक्सप्रेस.कॉम में छपी खबर के मुताबिक, बैंकों ने इन संपत्तियों की नीलामी की कई बार कोशिशें कीं, लेकिन उन्हें कामयाबी हाथ नहीं लगी। इसकी कई वजहें हैं, जिनमें लोगों की कम खरीद क्षमता, कानूनी पचड़े और अन्य समस्याएं शामिल हैं। जमीन अधिग्रहण से संबंधित समस्याएं तो और भी ज्यादा हैं।

बैंकरों और रिकवरी एजेंट्स ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि एक साल से ज्यादा वक्त गुजर गए, लेकिन पांच बड़े डिफॉल्टर्स- जूम डेवलपर्स प्राइवेट लि., डेक्कन क्रॉनिकल होल्डिंग लि., सेंचुरी कम्यूनिकेशन लि., महुआ मीडिया प्राइवेट लि. और बायोटोर इंडस्ट्रीज लि. की जब्त संपत्तियों का अब तक एक भी खरीदार नहीं मिला है। इनमें कुछ प्रॉपर्टीज तो दूर-दराज के इलाकों में हैं, लेकिन जो मुंबई के बांद्रा और एनसीआर के नोएडा जैसे प्राइम लोकेशंस पर हैं, उनके भी कोई खरीदार नहीं मिल रहे। बैंकों ने ज्यादातर प्रॉपर्टीज की कई बार ई-ऑक्शन करने की कोशिश की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। जूम डेवलपर्स कम से कम 24 बैंकों का 3,002 करोड़ रुपये का, जबकि डेक्कन क्रॉनिकल 18 बैंकों का 4 हजार करोड़ रुपये, वहीं सेंचुरी कम्यूनिकेशन और महुआ मीडिया समेत इस ग्रुप की दूसरी कंपनियां 1,900 करोड़ रुपये, तो बायोटोर इंडस्ट्रीज इंडियन बैंक का 1,000 करोड़ रुपये का डिफॉल्टर है। विभिन्न एजेंसियां इन सभी कंपनियों की जांच कर रही है।

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