Kumar Sauvir : बीती शाम लखनऊ की एक बेटी फिर कुछ हैवानों की शिकार बन गयी। अलीगंज के बीचोंबीच सेंट्रल स्कूल के पीछे बोरे में दो दिन पुरानी उसकी लाश जब बरामद हुई तो लोग गश खाकर गिर पड़े। उम्र रही होगी करीब 25 साल, कपड़े बुरी तरह फटे हुए। हाथ और पैर तार से बंधे थे। इस बच्ची को जलाया गया था। इतना ही नही, इसके जननांग पर दरिन्दों ने बहुत बड़ा घाव बना दिया था। एक मनोविज्ञानी से बातचीत हुई तो उन्होंने बताया कि ऐसी दरिन्दगी नव-धनाढ्य और इसके बल पर पाशविक ताकत हासिल किये लोगों की ही करतूत होती है। सत्ता का नशा भी सर्वाधिक महत्वपूर्ण कारक तत्व बनता है। तो फिर कौन हैं वह लोग ? शायद एडीजी पुलिस (महिला सुरक्षा) सुतापा सान्याल को पूरी छानबीन के बाद इस बारे में पता चल जाए। इसके एक दिन पहले भी तेलीबाग में भी इसी तरह की एक लाश बरामद हुई थी। क्या वाकई लखनऊ की आबोहवा बेटियों के खिलाफ हो चुकी है? अगर ऐसा है तो हम सब के लिए यह शर्म, भय, निराश्रय, असंतोष के साथ ही साथ चुल्लू भर पानी में डूब जाने की बात है। बेशर्म हम।
अरे टेक इट ईजी यार, टेक इट ईजी… यह किसी युवती की लाश ही तो है ना ? मार डाली गयी है ना, हां, तो ठीक है। इसमें बवाल करने की क्या बात है। काहे चिल्ल-पों कर रहे। इसके पहले कभी ऐसी लाशें नहीं देखीं हैं क्या राजधानी में? बेवकूफ कहीं के… पिछले साल भी तो मारी गयी थी एक युवती। है कि नहीं रक्त-रंजित ? इसी तेलीबाग के पडोस में ही। इण्डिया मार्क-टू हैंडपम्प के हत्थे के पास। सीढियों पर। नंग-धड़ंग। मुंह के बल। उसका पूरा का पूरा बदन नोंचा गया था। देखते ही मेरे तो रोंगटे ही खड़े हो गये थे। बरबस आंखें भर गयी थीं। ऐसा लगा था जैसे कि हमारे आसपास की ही कोई मां-बहन-बेटी की ही लाश वहां पड़ी हो। देखनेवालों ने तो उसकी नंगी फोटो भी खींच कर उसे वायरल करा दिया था। लोगों ने तो यहां तक बताया था कि यह फोटाेग्राफी पुलिसवालो की ही करतूत थी। लेकिन इसमें हुआ कुछ? नहीं ना?
तो फिर इसमें काहे हल्ला कर रहे हो? खामोश रहो। दीगर लाशों की तरह यह लाश भी खामोश मौत मरेगी। ज्यादा हल्ला-दंगा करोगे तो मीडिया में बवाल होगा। अखबार और न्यूज चैनल गुर्रायेंगे। और फिर अपना पल्लू झिझकते सरकार मामले की उच्च-स्तरीय जांच करने की बात करेगी। एडीजी सुतापा सान्याल चूंकि अभी भी अपर महानिदेशक ( महिला सम्मान प्रकोष्ठ ) नौकरी में हैं। पिछली बार भी उन्होंने ऐसी ही नंग-धड़ंग और रक्त-रंजित महिला की लाश के मामले को बहुत गम्भीरता के साथ जांचा था, पूरी बारीकियों को छानबीन करने के बाद बताया था कि उस महिला के गुप्तांगों को बाइक की चाभी से खुरचा गया था, जिसके चलते उसकी मौत हो गयी थी। हालांकि कई लोगों का कहना था कि यह जघन्य और नृशंस हत्या थी, जिसमें इस हैंडपम्प के हत्थे को उसके गुप्तांग में डाल कर उसे मार डाला गया था।
बहरहाल, पुलिस की आला अफसर मानी जानी वाली सुतापा सान्याल ने ही अपनी छानबीन में घटना स्थल की जांच के दौरान पहले पत्रकारों को बताया था कि कि इस हादसे में कम से कम दो हत्यारों की संलिप्तता है, लेकिन उसी शाम जब उन्होंने प्रेस-कांफ्रेंस किया था तो अपनी सघन जांच का ब्योरा देते हुए बताया था कि इस काण्ड को केवल एक व्यक्ति ने ही अंजाम दिया है। उसी जांच के बाद जिला पुलिस ने इस मामले में एक निरीह लग रहे एक गरीब और एक अदने से निजी सुरक्षा गार्ड को जेल भेज दिया था। हालांकि बाद में राज्य सरकार ने मामला ज्यादा भड़कने पर ऐलान किया था कि मामले की जांच सीबीआई को दी जाएगी, लेकिन आखिरकार यह मामला जिला पुलिस के पास ही रहा। तो ठीक है। इस युवती की मौत पर भी ऐसा हो जाएगा। हंगामा होगा तो सुतापा सान्याल बुलायी जाएंगे। सघन जांच करेंगे और अपनी महत्वपूर्ण जांच रिपोर्ट देकर किसी न किसी को अपराधी के तौर पर पहचान लेगीं। मामला खत्म। और कोई खास बात हो तो बताओ?
लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार कुमार सौवीर के फेसबुक वॉल से.