छत्तीसगढ़ : उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश में पत्रकारों को जलाकर मार दिये जाने की घटनाओं के बीच छत्तीसगढ के रायगढ़ जिले के खरसिया की महिला पत्रकार आरती वैष्णव के संघर्ष को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता। भ्रष्ट सीएमओ के खिलाफ आवाज उठाने वाली आरती वैष्णव को पहले तो अपना अजन्मा बच्चा खोना पड़ा, उसके बाद लगातार धमकियों का सामना करना पडा।जब कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई तो आरती और उनके पति ने महिला सीएमओ के खिलाफ आमरण अनशन शुरू कर दिया। इसे भी तुड़वाने की प्रशासन की तरफ से भरपूर कोशिश की गई लेकिन कल तोहसीलदार द्वारा किया गया वायदा तोड़ दिया गया। वो भी कुछ इस रूप में कि पहले तो अनशनरत आरती को उनके पति के साथ गिरफ्तार कर लिया गया। उनका घर जेसीबी से ढहा दिया गया।
प्राप्त जानकारी को अनुसार आरती वैष्णव को एससी एक्ट यानी धारा 355 में गिरफ्तार किा गया है। प्रशासन का कहर यहीं नहीं रुका। नगर निगम ने आरती और उनके पति की गैर मौजूदगी में घर में सो रहे बच्चों को बाहर निकाला और जेसीबी मशीन से उनका मकान मय सामान के जमींदोज कर दिया। इस तोड़फोड़ की जनकारी प्रभारी प्रभारी कलेक्टर क्षीर सागर को दी गई। उन्होंने इसे रोकने के आदेश जारी किया लेकिन तब तक आरती का आशियाना उजड चुका था।
फिलहाल आरती और उनके पति भूपेंद्र वैष्णव को पुलिस ने रायगढ जेल में रख हुआ है और उनके बच्चे परिचितों के पास हैं। इस पूरे मामले को देखते हुये ऐसा लगता है कि प्रशासन द्वारा पूरी कार्रवाई किसी पूर्वाग्रह के चलते की जा रही है। आरती वैष्णव का घर तोडे जाने के कारण कभी न कभी नगर निगम और स्थानीय प्रशासन भी कटघरे में होंगे क्योंकि आरती वैषणव का घर नजूल की भूमि पर बना हुआ है और उसका केस अभी न्यायालय में विचाराधीन है।
बहरहाल इस पूरे मामले में शासन प्रशासन की भूमिका तो संदेह के घेरे में है ही, सवाल स्थानीय पत्रकार संगठनों पर उठना भी लाजिमी है कि एक महिला पत्रकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष को लगातार अनदेखा किया जा रहा है, जो कि उनके अस्तित्व पर ही सवालिया निशान है।