मुख्यमंत्री और उनकी पुलिस का कहना है कि जागेन्द्र सिंह दाह-हत्याकाण्ड की अभी जांच की जाएगी। लेकिन इसके पहले ही मैं आप मित्रों को सुना-दिखा रहा हूं कि किस तरह घेर कर मारा गया था जाबांज पत्रकार जागेन्द्र सिंह। मैं दे रहा हूं इससे जुड़े पुख्ता प्रमाण, जबकि हमारे मुख्यमंत्री ऐलान कर चुके हैं कि जांच के बाद ही किसी पर कोई कार्रवाई की जाएगी। पेश है उस रोंगटे खड़े कर देने वाले काण्ड के एक अभियुक्त की अपने एक परिचित से हुई बातचीत का ब्योरा—-
एक परिचित:- हांय
अमित भदौरिया:- जो आप, हांय, पीतम को जा काम करके निपटाय द्यौ।
एक परिचित:- आंय ?
अमित भदौरिया:- ठीक है, अभी तो खाली जे प्रोग्राम में लगे रहेंगे। कल इसको निपटाय द्यौ। बस, कल से लेकर परसों तक मिलकर। ठीक है ?
एक परिचित:- अच्छा अच्छा
अमित भदौरिया:- ठीक है
एक परिचित:- चलो ठीक है
अमित भदौरिया:- और कुछ मत करो
एक परिचित:- आंय आंय अांय ?
अमित भदौरिया:- पुलिस-वुलिस नहीं है, पुलिस नहीं है। ठीक है ?
एक परिचित:- ठीक है, तुम समझो ?
अमित भदौरिया:- अभी हैं नोएडा में। जो करियो कि हमें हमें रखे धरो धोखे में। और हो गे। हमने अपनी मां कसम खायी है, आप से का कहें हम। ठीक है ? मतलब जे ना होनो चाहिये कि हमने अपनी मां कसम खायी है और मां की कसम खाकर कहते हैं। ठीक है ?
एक परिचित:- ठीक है
अमित भदौरिया:- हमने आपको बता दई। जे कि कल काम में लग गये, कपड़ा धोने में। अब निश्चिंत रहो, इस काम को मना ना करो। ठीक है ?
एक परिचित:- ठीक है ठीक है ठीक है
अमित भदौरिया:- जा भों—-वाले के। काण्ड और सूपड़ा साफ कराओ। ठीक है ?
एक परिचित:- ठीक है………………………………………………….( और फिर फोन कट जाता है )
सुन लिया आपने मुख्यमंत्री जी ! कि जागेन्द्र सिंह को लेकर जो भी सूचनाएं आपके पास हैं, बिलकुल गलत हैं।
यह है जागेन्द्र सिंह की हत्या का जाल बुनने वाली फोन-कॉल का लिप्यान्तरण, जिसमें जागेन्द्र सिहं को निपटा देने की साजिश की गयी थी।
जबकि आपकी पुलिस का दावा है कि जागेन्द्र सिंह ने आत्मदाह किया था ना ?
लेकिन हकीकत यह है कि आपका यह दावा सरासर झूठ है। आपने इस मामले के अभियुक्तों को छुट्टा घूमने की खुली इजाजत दी दी ना ? नतीजा यह हुआ कि आपकी इसी पुलिस ने असल तथ्योंं-प्रमाणों की ओर से अपनी आंखें ही मूंद ली हैं। आपका खुला संरक्षण ही आपकी पुलिस के हौसले बढ़ाने के लिए पर्याप्त हो गया और इसके बाद पुलिस ने इस असली काण्ड की ऐसी की तैसी करते हुए नकली कहानी गढ ली। इतना ही नहीं, जागेन्द्र की मित्र शालिनी से भी यह कहला दिया कि जागेन्द्र सिंह ने आत्मदाह किया।
मेरे पास हैं प्रमाण। ठोस प्रमाण।
इन प्रमाणों के आधार पर साबित कर सकता हूं कि जागेन्द्र सिंह ने हर्गिज आत्मदाह नहीं किया था। बल्कि हकीकत यह है कि उसकी हत्या की गयी थी।
कभी जागेन्द्र का शिष्य अमित कुमार भदौरिया पर जागेन्द्र ने मृत्यु-पूर्व बयान में आरोप लगाया है कि मंत्री राममूर्ति वर्मा की साजिश से पुलिस कोतवाल श्रीप्रकाश राय और अमित भदौरिया और गुफरान समेत अनेक अपराधियों ने उसे पहली जून को जिन्दा फूंका था। अब उसी अमित से पूछिये, वह बतायेगा कि जागेन्द्र सिंह के साथ उसने क्या किया था। आपकी पुलिस के संरक्षण में अमित फरार बताया जा रहा है। उससे पूछिये कि पिछली 29 मई-2015 यानी जागेन्द्र के दाह-हत्याकाण्ड के ठीक दो दिन पहले अमित ने किस से यह बातें की थीं, जिनका तस्करा मैंने ऊपर किया है।
जागेन्द्र सिंह के खिलाफ अमित भदौरिया ने 12 मई-15 शाम एक विवाद पर घटना के दो दिन बाद एक झूठी एफआईआर दर्ज करायी थी। इसमें शाहजहांपुर का कोतवाल श्रीप्रकाश राय, जो आपके चहेते मंत्री राममूर्ति वर्मा का खासमखास है, ने बाकायदा एक साजिश बुनी थी। राममूर्ति वर्मा ने कभी जागेन्द्र सिंह के शिष्य अमित भदौरिया को अपने पक्ष में तोड़ लिया था और कोतवाल श्रीप्रकाश सिंह आदि पुलिसवालों की मिलीभगत में जागेन्द्र की घेराबन्दी शुरू कर दी थी।
इस बातचीत में अमित ने साफ-साफ कह दिया था कि बस एक-दो दिन में ही काम-तमाम हो जाना है। अब सबसे अहम सवाल तो यह है कि आखिरकार कौन सा वह काम था, जिसे पूरा करने में अमित भदौरिया पुलिस की चिन्ता नहीं कर रहा था ? अमित किस का काम-तमाम करने की तैयारी कराना चाहता था ? आखिर वह क्या काम था जो इसी समय-अवधि में पूरा हो गया, और जागेन्द्र सिंह को जिन्दा जला दिया गया ?
मेरे पास अमित की एक बातचीत का भी ब्योरा है, जिसे अमित ने अपने एक मित्र से बातचीत में कुबूला है कि उसे पकड़ लिया गया है। यह ठीक उसी वक्त की फोन-कॉल का ब्योरा है, जब जागेन्द्र को पकड़ लिया गया है। इस फोन ब्योरा में अमित ने साफ-साफ कुबूल कर लिया है कि जागेन्द्र सिंह जल चुका है।
और मित्रों। अब मैं इस बातचीत को पुलिस को देने की तैयारी में हूं।
आपका क्या ख्याल है मेरे दोस्त ?
कुमार सौवीर के एफबी वाल से