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सुख-दुख

पत्रकारों के खिलाफ बेखौफ होते जा रहे वर्दी वाले गुंडे, फोटो जर्नलिस्ट को थाने लेजाकर पीटा

जगदलपुर : रायपुर से प्रकाशित एक हिंदी दैनिक के फोटो जर्नलिस्ट अमन दीप ओमी से सोमवार रात 11 बजे पुलिस ने मारपीट की तथा थाने में बैठा दिया। वह पुलिस द्वारा एक बुजुर्ग ड्राइवर की पिटाई करने के दौरान तस्वीर ले रहा था। रात में हाता मैदान के पास एक ट्रक व कार चालक के मध्य ओवर टेक करने को लेकर हुए विवाद के बाद बोधघाट व कोतवाली टाउन मोबाइल वहां पहुंची थी। पुलिसकर्मी बुजुर्ग ड्राइवर पर शराब पीने की बात कहते मारपीट कर रहे थे। इसी दौरान फोटो जर्नलिस्ट अमनदीप वहां पहुंचे और तस्वीरें ले रहे थे। इस दौरान वहां मौजूद एक उप निरीक्षक ने उनसे गाली-गलौज कर मारपीट की। इसके बाद उसे कोतवाली थाने में लाकर बिठा दिया गया। थाने के भीतर एक प्रधान आरक्षक ने उसे बेल्ट से मारा। वहां मौजूद एएसआई साहू ने धक्कामुक्की की। 

जगदलपुर : रायपुर से प्रकाशित एक हिंदी दैनिक के फोटो जर्नलिस्ट अमन दीप ओमी से सोमवार रात 11 बजे पुलिस ने मारपीट की तथा थाने में बैठा दिया। वह पुलिस द्वारा एक बुजुर्ग ड्राइवर की पिटाई करने के दौरान तस्वीर ले रहा था। रात में हाता मैदान के पास एक ट्रक व कार चालक के मध्य ओवर टेक करने को लेकर हुए विवाद के बाद बोधघाट व कोतवाली टाउन मोबाइल वहां पहुंची थी। पुलिसकर्मी बुजुर्ग ड्राइवर पर शराब पीने की बात कहते मारपीट कर रहे थे। इसी दौरान फोटो जर्नलिस्ट अमनदीप वहां पहुंचे और तस्वीरें ले रहे थे। इस दौरान वहां मौजूद एक उप निरीक्षक ने उनसे गाली-गलौज कर मारपीट की। इसके बाद उसे कोतवाली थाने में लाकर बिठा दिया गया। थाने के भीतर एक प्रधान आरक्षक ने उसे बेल्ट से मारा। वहां मौजूद एएसआई साहू ने धक्कामुक्की की। 

घटना की सूचना मिलने पर पत्रकारों के विरोध व्यक्त करने पर उसे छोड़ा गया। मंगलवार को काफी संख्या में पत्रकारों के साथ पहुंच घटना की लिखित शिकायत टीआई कोतवाली आशीष वासनीक को दी गई है। टीआई ने कार्रवाई का आश्वासन दिया है। पत्रकारों ने मामले में दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध किए जाने की मांग करते कहा है कि पत्रकारों की हत्या व उनसे मारपीट की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।

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पुलिस इस प्रकार का कृत्य कर जनता से दूरी बढ़ा रही है। ज्ञात हो कि जहां दुनिया के तमाम विकसित देशों में फे्रंडली पुलिसिंग की अवधारणा पर पुलिस चल रही है। वहीं भारतीय पुलिस आज भी ‘वर्दी वाला गुंडा’ के इमेज से उबरती नजर नहीं आ रही है। पुलिसकर्मियों के द्वारा कभी बस अड्डे में खड़े शिक्षक की पिटाई कर दबंगई दिखाई जाती है तो कहीं महिला से मारपीट की जाती है। जान जोखिम में डालकर नक्सली चंगुल से पुलिस कर्मियों को रिहा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले मीडियाकर्मियों के साथ हिंसक व अमानवीय व्यवहार दुर्भाग्यजनक है। 

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