Connect with us

Hi, what are you looking for?

सुख-दुख

हे संसद वाले प्रभु! रेल हादसा प्राकृतिक आपदा नहीं, इसके जिम्मेदार सिर्फ तुम सब !!

रात में कामायनी एक्स. के दुर्घटनाग्रस्त होने के मैसेज आने लगे थे। सुबह हादसे की भयावहता का पता चला। भोपाल जाने के लिए यही मेरी ट्रेन थी। 

<p>रात में कामायनी एक्स. के दुर्घटनाग्रस्त होने के मैसेज आने लगे थे। सुबह हादसे की भयावहता का पता चला। भोपाल जाने के लिए यही मेरी ट्रेन थी। </p>

रात में कामायनी एक्स. के दुर्घटनाग्रस्त होने के मैसेज आने लगे थे। सुबह हादसे की भयावहता का पता चला। भोपाल जाने के लिए यही मेरी ट्रेन थी। 

ऐसे हादसों के वक्त हमेशा मुझे अपने गांव के पास बहने वाली घाघरा नदी पर बने दो पुल आंखों के सामने घूमने लगते हैं। उ.प्र. के देवरिया जिले के भागलपुर, बिहार वाला नहीं, के पास घाघरा नदी पर एक रेल पुल है, उसके पास में दूसरा सड़क वाला। रेलपुल को अंग्रेजों ने करीब 150 साल से ज्यादा पहले बनाया था। सड़क पुल करीब 15 साल पहले आजाद भारत में बना है। 

Advertisement. Scroll to continue reading.

इस पुल से बहुत सारी यादें जुड़ी हैं। साल 2000 के आस पास ये पुल चालू हुआ था। जब हम लोग पढ़ते थे तो इस पुल पे एक खास बात के लिए जाते थे। ये नई तकनीक से बना था। इसके पाये में रबर लगे थे। जब भी कोई भारी वाहन गुजरता तो इसके पाये जम्प करते थे। वही मजा लेने जाते थे हम लोग । ट्रक गुजरते थे और हम लोग आश्चर्य और उत्सुकता में कहते देखो देखो… हिल रहा है… इस बार ज्यादा हिला है। अब जब भी घर जाता हूँ तो इस पुल पे जरूर जाता हूँ।

अपने बनने के 5.7 सालों बाद ये टूटने लगा था। पिछले महीने जब इस पे गया तो बाईक छोड़ के सब गाड़ियों का आवागमन बंद था। कारण पुल के कुछ पाये धंस गये हैं। पुल की हालत बनने के 7.8 साल बाद से ही खराब होने लगी थी। यह पुल बहुत ही महत्वपूर्ण है। कई मायनों में।

Advertisement. Scroll to continue reading.

अब इसकी हालत जय श्रीराम है। कुछ सालों में राम नाम सत्य होने वाला है। इतनी लम्बी कथा सुनाने का बस ये मतलब था कि बगल का रेलपुल अंग्रेजों ने 150 साल पहले बनाया था, जो आज तक बिना किसी चूं चां के चल रहा । सड़क पुल को आजाद भारत की सकारों ने बनाया, जो 10 साल भी नहीं चल पाया ।

तो हे प्रभु स्वर्ग वाले नहीं, संसद वाले सुरेश ये हादसे प्राकृतिक नहीं होते हैं। ये तुम लोगों की वजह से होते हैं। और उसकी सिर्फ एक वजह है, आम लोगों को सिर्फ एक भीड़ समझना है। जानवर समझना। वोट बैंक समझना । बस नहीं समझना तो एक इंसान नहीं समझना।

Advertisement. Scroll to continue reading.

प्रशांत मिश्रा से संपर्क : [email protected]

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement