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रियल स्टेट : कानपुर प्रेस क्लब के पत्रकार और सपा नेताओं के संरक्षण में करोड़ों का घोटाला

कानपुर (उ.प्र.) : समाजवादी पार्टी के कुछ नेताओं के संरक्षण में कानपुर रियल स्टेट में करोड़ों रुपए के घोटाले की खबर है। पीड़ित के अनुसार कानपुर प्रेस क्लब के नामी पदाधिकारी भी इस घोटाले में शामिल हैं। ‘हैप्पी होम्स इंफ्रा डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड’ के माध्यम से जालसाजी कर लोगों को जम कर चपत लगाई है। अब शिकार हुए लोग दर-दर भटक रहे हैं। पीड़ितों में महिला सब इंस्पेक्टर उज्जवला गुप्ता, गिरीश कुलश्रेष्ठ, रितेश अग्रवाल, शिरीष सिंह, तुषार, मोईन लारी, अंकित सिंह आदि बताए गए हैं। मामले में सत्ता पक्ष के बड़े नेताओं का नाम आने से पुलिस का रवैया ढुलमुल बना हुआ है। डीएम, कमिश्नर, आईजी, डीआईजी तक ने मामला संज्ञान में आने के बाद चुप्पी साध रखी है। मामले का खुलासा एस.आर.न्यूज़ द्वारा सोशल मीडिया में किये जाने के बाद एक पीड़ित को तो उसके बच्चों के अपहरण तक की धमकी दी गई है। 

कानपुर (उ.प्र.) : समाजवादी पार्टी के कुछ नेताओं के संरक्षण में कानपुर रियल स्टेट में करोड़ों रुपए के घोटाले की खबर है। पीड़ित के अनुसार कानपुर प्रेस क्लब के नामी पदाधिकारी भी इस घोटाले में शामिल हैं। ‘हैप्पी होम्स इंफ्रा डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड’ के माध्यम से जालसाजी कर लोगों को जम कर चपत लगाई है। अब शिकार हुए लोग दर-दर भटक रहे हैं। पीड़ितों में महिला सब इंस्पेक्टर उज्जवला गुप्ता, गिरीश कुलश्रेष्ठ, रितेश अग्रवाल, शिरीष सिंह, तुषार, मोईन लारी, अंकित सिंह आदि बताए गए हैं। मामले में सत्ता पक्ष के बड़े नेताओं का नाम आने से पुलिस का रवैया ढुलमुल बना हुआ है। डीएम, कमिश्नर, आईजी, डीआईजी तक ने मामला संज्ञान में आने के बाद चुप्पी साध रखी है। मामले का खुलासा एस.आर.न्यूज़ द्वारा सोशल मीडिया में किये जाने के बाद एक पीड़ित को तो उसके बच्चों के अपहरण तक की धमकी दी गई है। 

पूरा घटनाक्रम इस प्रकार बताया गया है। कुछ शातिर दिमाग़ लोगों ने कानपुर में रियल स्टेट कम्पनी का आफिस खोल कर लखनऊ में उस ज़मीन पर फ्लैट बना कर देने का सब्ज़ बाग दिखाया और करोड़ों रुपए वसूल लिए, जो उसकी थी ही नहीं। शानदार आफिस और लम्बे चौड़े स्टाफ की चका चौंध में फंसे लोगों ने अपने खून पसीने की कमाई के पैसे चेकों और नक़द के माध्यम से कम्पनी में जमा करा दिए जिन्हे दो साल में फ्लैट बना कर देने के सपने दिखाए गए थे।

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बाक़ायदा ग्राहकों को लखनऊ के शहीद पथ स्थित सुशांत गोल्फ सिटी की ज़मीन दिखाई गयी जिसमे हैप्पी स्कवायर नाम से बिल्डिंग बन्नी थी शुरू में तो लोग मुतमईन हो गए मगर कई महीने बीतने के बाद जब लोकेशन पर एक भी फावड़ा नहीं चला तो लोगों को शंका हुई। दफ्तर में पूछ ताछ शुरू हुई जिस पर आफिस में बैठे लोगों ने कुछ महीने बाद काम शुरू होने का आश्वासन दिया। इसी बीच कम्पनी में वरिष्ठ मैनेजर रफत जमाल को शक हुआ तो उन्हों ने अंसल ए पी एल अमर शहीद पथ लखनऊ स्थित सुशांत गोल्फ सिटी के दफ्तर में जानकारी की तो उनके होश उड़ गए। 

वहाँ से बताया गया की ये तो अंसल की जगह है और यहां किसी और को बिल्डिंग बनाने के लिए कोई भी ज़मीन न तो आवंटित की गयी है न ही बेचीं गयी है। रफत जमाल ने अपने साथियों को कानपुर में पूरा मामला बताया। इससे पूर्व रफत और उनके द्वारा गठित टीम कई महीनों में अलग अलग लोगों से फ्लैट के नाम पर करोड़ों रूपये एडवांस के नाम पर वसूल चुकी थी। रफत व कर्मचारियों ने कंपनी के निदेशकों से जानकारी मांगी तो गोलमोल जवाब मिला। स्टाफ ने अपने द्वारा जमा कराया गया पैसा वापस माँगा तो उन्हें लालच देकर चुप रहने को कहा गया।

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बाद में रफत जमाल और उनके जूनियर शिरीष सिंह ने कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज करा दी। पुलिस ने शिरीष की तहरीर पर कम्पनी के तीन निदेशकों राजीव सिंह, नक़ी रज़ा और मोहित बाजपाई के विरुद्ध धारा ४०६, ४२०, ५०४, ५०६ और १३८ के तहत मुक़दमा लिख लिया। रफत जमाल की तहरीर पर उक्त  तीनो निदेशकों के खिलाफ धरा ४०६, ४२०, ५०४ और ५०६ के तहत मुक़दमा पंजीकृत कर दिया गया। इन दोनो एफआईआर के बाद सिविल लाइंस स्थित कार्यालय बंद कर निदेशक घर बैठ गए और लोगों के फ़ोन उठाना बंद कर दिया।

इस तरह शुरू हुआ रीयल स्टेट माफिया का खेल

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वर्ष 2012 में मकानो को कमीशन पर  बिकवाने वाले नौबस्ता निवासी राजीव सिंह ने मोहित बाजपेई और नक़ी राजा के साथ मिल कर हैप्पी होम्स इंफ्रा डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी की स्थापना की। कानपुर सिविल लाइंस भार्गव स्टेट में शानदार आफिस खोला और मार्केटिंग के लोगों को अपाइंट किया। प्रचार में बताया गया की लखनऊ के अंसल गोल्फ सिटी में हैप्पी स्क्वायर बिल्डिंग बन रही है, जिसमे लोग बुकिंग करा कर अपना फ्लैट सुरक्षित करा लें। इस झांसे में कानपुर, उन्नाव सहित कई ज़िलों के लगभग सौ लोगों ने 8 लाख से 29 लाख तक का भुगतान नक़द और चेक के माध्यम से कंपनी को कर दिया। जब राज़ खुला तो लोग अपना पैसा वापस माँगने लगे। कम्पनी ने बड़े ही शातिराना ढंग से सब को पोस्ट डेटेड चेकें थमा दीं। एक दो महीने बाद की दी गयीं चेकें बैंकों से बाउंस हो गईं। इस बीच पीड़ित ने आफिस के चक्कर लगाने शुरू किये तो वहाँ ताला मिला। कई लोगों ने कोतवाली में शिकायत की मगर पुलिस ने मामले में कोई रूचि नहीं दिखाई जिस के चलते बहुत से लोग कोर्ट के माध्यम से मुक़दमा लिखाने में व्यस्त हो गए। 

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