Vinay Maurya : एक हैं सजय शर्मा जी…. मैं पहले ही स्पष्ट कर देना चाहूँगा की जिस लखनऊ के संजय शर्मा जी का मैं यहां उल्लेख कर रहा हूं और जिनके बारे में आगे लिख रहा हूं, वो एक एनजीओ संचालित करते हैं… लखनऊ से सांध्य दैनिक वाले संजय भैया तो अच्छे इंसान हैं मेरी नजर से…. मुझे लगा कि नाम से भ्रम न हो इसलिए स्पष्टीकरण दे रहा हूँ… अब आता हूं मूल मुद्दे पर. एनजीओ वाले संजय शर्मा को यादव सिंह घोटाला नहीं दीखता. उन्हें विनोद पण्डित की गाली नहीं सुनाई देती. उन्हें राममूर्ति का पत्रकार उत्पीड़न नहीं दीखता. उन्हें प्रदेश के अन्य अधिकारियों की बेहिसाब सम्पत्तियों का हिसाब नहीं मिलता. उन्हें सिर्फ अमिताभ और नूतन ठाकुर में ही सारा भरष्टाचार और बुराई नजर आती है.
मैं जब उनके किसी पोस्ट पर कमेंट कर उनसे सवाल जवाब करता हूँ तो वो हमका अंग्रेजी में गरियाने लगते हैं ..अउर हम ठहरे गांव गंवार के आदमी… नानसेंस फाँसेन्स हमें ना समझ में आवत है… खैर सपा के अप्रत्यक्ष एजेंट के रूप में कार्य करने वाले बहुत से पत्रकार अउर संस्था वाले लोग हैं जो अमिताभ ठाकुर को देखते ही हुआँ हुआँ भौं भौं करने लगते हैं.. मुझे इस बात का डर है अगर अमिताभ ठाकुर सभी आरोपों से बरी हो गए तो कहीं एनजीओ वाले शर्मा जी को हार्ट अटैक न आ जाय… राम राम राम…. सुबह सुबह क्या क्या निकल जाता है मुंह से…. शर्मा जी शर्मायीयेगा मत…. पीजीआई में बेड बुक है जहाँ पूर्वाग्रह से ग्रसित मरीजों का निशुल्क इलाज होता है..
बनारस के युवा पत्रकार विनय मौर्या के फेसबुक वॉल से.