एक बड़ी खबर बिहार से आ रही है. राजस्थान के पत्रकार दुर्ग सिंह राजपुरोहित को फर्जी मामले में गिरफ्तार कर जेल भेजे जाने के मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जांच के आदेश दिए हैं. उन्होंने इस प्रकरण का संज्ञान लेते हुए उच्चस्तरीय जांच करने को कहा है. सीएम के आदेश के बाद पटना के जोनल आईजी नैयर हसनैन खान को जांच का काम सौंप दिया गया है.
बताया जाता है कि जल्द ही जांच रिपोर्ट देने को कहा गया है. मुख्यमंत्री के स्तर से कहा गया है कि किसी भी निर्दोष को बेवजह परेशानी नहीं हो.
पटना में दुर्ग के परिजन काफी परेशान हैं. घर के लोगों को कहना है कि सोशल मीडिया पोस्ट के कारण यह सब साजिश रची गई है. परिवार के लोगों ने बाड़मेर की भाजपा नेता प्रियंका चौधरी पर साजिश रचने का आरोप लगाया गया है. उधर, प्रियंका ने कहा है कि उसका इस मामले से कोई मतलब नहीं है.
उम्मीद की जा रही है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जांच के बाद रहस्य से पर्दा उठ सकता है. फिलहाल इस कांड को लेकर बाड़मेर समेत देश भर के पत्रकारों में आक्रोश है.
इस बीच पूरे प्रकरण पर दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार और सोशल मीडिया पर बेबाक लेखन करने वाले संजय कुमार सिंह का कहना है-
”राजस्थान के पत्रकार दुर्ग सिंह राजपुरोहित की गिरफ्तारी, व्हाट्सऐप्प पर एसपी को सूचना और राजस्थान पुलिस द्वारा उसे धोखा देकर गिरफ्तार किया जाना और पटना पहुंचा दिया जाना। वहां यह पता चलना कि उसके खिलाफ (अदालत में) दर्ज मुकदमा फर्जी है। शिकायतकर्ता को कुछ पता ही नहीं है। यह एससी-एसटी कानून और अधिकारों का खुलेआम दुरुपयोग किए जाने का मामला है। इसमें भाजपा के एक बड़े नेता (जो राज्यपाल भी बड़े हैं) के शामिल होने की चर्चा है। क्या इस मामले में केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह को स्थिति स्पष्ट नहीं करनी चाहिए? केंद्रीय गृहमंत्री को चाहिए कि इस मामले की निष्पक्ष जांच कराएं, पत्रकार को तुरंत राहत दिलाएं और उसे हुई शारीरिक, मानसिक और आर्थिक पीड़ी के लिए कम से कम 10 लाख रुपए मुआवजा देने की व्यवस्था करें।”
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