Ajit Anjum : देश की प्रीमियर एजेंसियों का गजब हाल हो गया है… सरकार ने जिस CBI चीफ को जबरन छुट्टी पर भेजा, उसी घर जासूस तैनात हो गए. धरे गए तो पता चला आईबी वाले थे… सीबीआई के नंबर एक वर्मा के एक के पीछे सरकारी जासूस हैं.. नंबर दो अस्थाना भी छुट्टी पर. नंबर तीन शर्मा भी किनारे. सीबीआई अब नंबर चार के सहारे ..
रॉ, आईबी, ईडी और सीबीआई सब के सब एक दूसरे के पीछे हैं.. इसके बाद भी अंध समर्थक वाह वाह, वाह वाह करने में जुटे हैं… बहुत हुआ तो गूगल से CBI के पुराने इतिहास और कारनामें खोजकर यहां-वहाँ चिपका रहे हैं… ये तब भी होता था, ये साबित करने के लिए… मतलब ये जो कुछ भी पहले हुआ है, वो सब रिपीट हो तो उन्हें कोई हर्ज नहीं… वैसे जैसा तमाशा इन एजेंसियों के कर्णधारों के बीच अब हो रहा है ,वैसा पहले कब हुआ? कोई बताएं ..
वरिष्ठ पत्रकार अजीत अंजुम की एफबी वॉल से. इसी प्रकरण पर कुछ अन्य पत्रकारों की टिप्पणियां यूं हैं….
Dilip Khan : CBI से ज़्यादा तरस तो अब IB पे आ रहा है. जासूसी करने की बुनियादी ट्रेनिंग भी नहीं है. चार लौंडे अकड़ के खड़े हो गए और वर्मा के घर ताक-झांक करने लगे. सिक्योरिटी वालों ने पकड़ लिया. गोविंदा की भी फ़िल्में देख ली होती तो भिखारी बनकर घर के सामने बैठ जाते या मूंगफली का ठेला लगा लेते. अजीत डोभाल देश डुबा देगा. मोदी अजीत डोभाल को डुबो देगा और नए रंगरूट मोदी को डुबो देंगे.
Pramod Joshi : सीबीआई प्रकरण यह बात रेखांकित कर रहा है कि लोकपाल की नियुक्ति में देरी करके व्यवस्था को पारदर्शी बनने से रोका गया। फिर भी चीजों को सामने आने से कब तक रोक सकेंगे? फिलहाल सीबीआई निदेशक के पद को लेकर सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था से कुछ बातें साफ होंगी।
Siddharth Kalhans : राफेल में फंसते जा रहे हैं साहेब! सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा अरुण शौरी, यशवंत सिन्हा और प्रशांत भूषण की शिकायत का संज्ञान लेते हुए राफेल मामले पर प्रथामिक जांच (पीई) की फाइल तैयार करवाने लगे थे। साहेब को यह नागवार गुजरा। इधर नागेश्वर राव ने सीबीआई का अंतरिम निदेशक बनते ही हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स (एचएएल) के उन पांच अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है, जिन्होंने राफेल का सवाल खड़ा किया था। वाकई राफेल इन पर बहुत भारी पड़ने जा रहा है।
Jitendra Narayan : इंडियन एक्सप्रेस अख़बार की ख़बर के मुताबिक जब सीबीआई के निदेशक अलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजा गया तब उनके पास सात महत्वपूर्ण मामलों की फ़ाइलें थीं. इसमें रफ़ाल सौदा, मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया में रिश्वत का मामला, कोयले की खादानों के आवंटन के मामलों की फ़ाइलें शामिल हैं जिन पर काम चल रहा है. ये हैं वो सात मामलेः-
1. अख़बार ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि रफ़ाल फ़ाइटर प्लेन सौदे के मामले में शिकायत की जांच प्रक्रिया चल रही है और इस बारे में निर्णय लिया जाना है. आलोक वर्मा को 4 अक्तूबर को बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने 132 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी थी.
2. मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया में भ्रष्टाचार के मामले में उच्च स्तर पर मौजूद लोगों की भूमिका की जांच चल रही थी. इसमें उड़ीसा उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश आईएम कुद्दुसी का भी नाम था. सूत्रों के अनुसार कुद्दुसी के ख़िलाफ़ चार्जशीट तैयारी कर ली गई थी और उन पर अलोक वर्मा के दस्तख़त होने बाकी थे.
3. इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश एस एन शुक्ला का मामला जिसमें उन्हें मेडिकल सीटों पर ऐडमिशन में भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते छुट्टी पर भेज दिया गया था. सूत्रों के अनुसार इस मामले में प्राथमिक जांच पूरी कर ली गई थी और सिर्फ़ आलोक वर्मा के हस्ताक्षर की ज़रूरत थी.
4. एक और मामले में बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी के सीबीआई को सौंपे वो दस्तावेज़ शामिल हैं जिनमें उन्होंने वित्त एवं राजस्व सचिव हंसमुख अधिया के ख़िलाफ़ शिकायत की है.
5. कोयले की खदानों के आवंटन मामले में प्रधानमंत्री के सचिव आईएएस अधिकारी भास्कर खुलबे की संदिग्ध भूमिका की सीबीआई जांच की जा रही थी.
6. नौकरी के लिए नेताओं और अधिकारियों को रिश्व देने के संदेह में दिल्ली आधारित एक बिचौलिये के घर पर छापा मारा गया था. इस मामले की भी जांच चल रही है.
7. इसके अलावा संदेसरा और स्टर्लिंग बायोटेक के मामले की जांच पूरी होनी वाली थी. इसमें सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना की कथित भूमिका की जांच की जा रही थी.
अनिल जैन : सुप्रीम कोर्ट पहुंचे सीबीआई के पूर्व चीफ़ आलोक वर्मा का यह बयान बेहद गंभीर है कि हर जांच सरकार के मुताबिक ही चले यह जरूरी नहीं है और सीबीआई को सरकारी दखल से बचाया जाना चाहिए। यह बयान इस बात की तस्दीक़ करता है कि मौजूदा सरकार के लिए पारदर्शिता और नंगाई में कोई फर्क नहीं है।