Connect with us

Hi, what are you looking for?

सियासत

गांधी ने दुनिया को सिखाया, ना कहना मनुष्य का सबसे बड़ा अधिकार!

दिल्ली। गांधी ने दुनिया को सिखाया है कि ना कहना मनुष्य का सबसे बड़ा अधिकार है जिसके साथ हमारा नैतिक साहस भी जुड़ा है। आज किसी भी तरह के सवालों को खड़ा करना और उनकी बात करना मुश्किल हो गया है यह किसी सभ्य जनतांत्रिक समाज के लिए बेहद चिंता की बात है।

सुप्रसिद्ध इतिहासकार और लेखक सुधीर चंद्र ने हिन्दू कालेज में ‘आज के सवाल और गांधी’ विषय पर व्याख्यान में कहा कि कुछ संपन्न लोगों का हित राष्ट्रवाद नहीं होता अपितु व्यापक स्तर पर आदर्शवाद को राष्ट्रीय चेतना के साथ जोड़कर राष्ट्रवाद को समझना चाहिए। हिंदी विभाग द्वारा गांधी के 150 वर्ष पर आयोजित इस विशेष व्याख्यान में उन्होंने कहा कि हमारे देश में स्वार्थ के आधार पर संकुचित समझ से राष्ट्रवाद की व्याख्या की जा रही है जो उचित नहीं है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

प्रो सुधीर चंद्र ने पाकिस्तान और बांग्लादेश के निर्माण का उदाहरण देते हुए कहा कि राष्ट्र एक स्थापित इकाई नहीं है अपितु समय समय पर बदलने वाली इकाई है। उन्होंने कहा कि किसी समाज में बोलने- छपने में डर लगे तो उसे सेन्सरशिप कहा जाता है और अगर यह सेंसरशिप अदृश्य हो तो भयानक होती है। बेख़ौफ़ जीने और अपने विचारों की अभियक्ति करने को सभ्य समाज की बुनियादी शर्त बताते हुए उन्होंने आपातकाल के उदाहरण देकर कहा कि सरकार की सेंसरशिप से जूझना आसान है लेकिन अपने ही समाज के लोगों से जूझना पड़े तो बहुत मुश्किल हो जाता है।

आजादी के आंदोलन में गांधी की भूमिका को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि गांधी का आंदोलन समाज को बदलने और आजादी दिलाने के उद्देश्यों से संचालित था। प्रो सुधीर चंद्र आगे ने गांधी को इस संदर्भ में याद करते हुए कहा कि सवालों के जवाब मांगना गांधी ने सिखाया है लेकिन हम अपने समाज को कितना बदल पाए हैं यह विचार करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि वर्तमान लोकतांत्रिक प्रक्रिया में घुन लग गया है और बाजार का वर्चस्व सब जगह देखा जा सकता है। बाजार का वर्चस्व राष्ट्रीय हितों की ह्त्या करने लगे तो स्थिति की गंभीरता को समझना चाहिए। व्याख्यान के अंत में प्रो सुधीर चंद्र ने विद्यार्थियों के सवालों के उत्तर देते हुए कहा कि इतिहासकार का काम परिवर्तन देखना है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

इससे पहले हिंदी विभाग द्वारा प्रकाशित की जाने वाली भित्ति पत्रिका ‘लहर’ के ताज़ा अंक का अनावरण भी किया। पत्रिका के छात्र सम्पादक मंडल श्वेता,आस्तिका, ऋतुराज कुमार और कर्णसिंह ने पत्रिका के बारे में जानकारी दी। आयोजन में हिंदी विभाग की प्रभारी डॉ रचना सिंह, वरिष्ठ अध्यापक डॉ रामेश्वर राय, डॉ अभय रंजन, डॉ हरींद्र कुमार, डॉ पल्लव सहित बड़ी संख्या में शिक्षक और विद्यार्थी शामिल थे। संयोजन कर रही एम ए पूर्वार्ध की छात्रा स्नेहदीप ने सभी का आभार व्यक्त किया।

रिपोर्ट- डॉ रचना सिंह

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement