दैनिक जागरण अख़बार के एक मालिक को कोर्ट ने जेल भेज दिया. मामला मध्य प्रदेश के रीवा जिले का है. शहर की ADJ कोर्ट ने 1998 के एक केस में दैनिक जागरण के मालिक मदन मोहन गुप्ता को जेल भेजा. पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्व. श्रीनिवास तिवारी के खिलाफ लगातार दैनिक जागरण रीवा के अखबार मे मिथ्या खबरें प्रमुखता से प्रकाशित होती थीं.
इसे लेकर रीवा न्यायालय में एक मामला 1998 से चल रहा था. इस मामले में रीवा कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया था. दैनिक जागरण के मालिक मदन मोहन गुप्ता जमानत कराने के लिए दोपहर में पेश हुए. इस पर मजिस्ट्रेट ने जागरण के मालिक को जेल भेजने का आदेश जारी कर दिया.
यह खबर कोर्ट से बाहर आते ही रीवा से लेकर राजधानी भोपाल तक सरगर्मी बढ गयी. जब कोर्ट में सुनवाई चल रही थी तो दो दर्जन से अधिक वकीलों ने भी जागरण के मालिकान पर बेबुनियाद खबरों को छापने का आरोप लगाते हुए मजिस्ट्रेट के समक्ष भारी विरोध दर्ज कराया. ज्ञात हो कि कोर्ट के जगह बदलाव को लेकर लंबे समय तक जिले भर के अधिवक्ता हड़ताल पर थे तो दैनिक जागरण लगातार उनके खिलाफ खबरों को प्राथमिकता से छापता था. जैसे ही जागरण के मालिक को जेल भेजने की खबर वायरल हुई, भारी मात्रा में पत्रकार कोर्ट के भीतर पहुंचे.
पत्रकारों की भीड़ को देखते ही अधिवक्ताओं में जोश उत्पन्न हुआ और वह जोर-जोर से नारे लगाने लगे. विरोध की स्थिति को भांपते हुए सुरक्षा के हिसाब से दैनिक जागरण के मालिक एक वरिष्ठ अधिवक्ता के चेंबर में घुस गए. चेम्बर के भीतर से ही उनके सहयोगियों ने पुलिस को फोन किया. किंतु अधिवक्ता डटे रहे. उनका कहना था कि यह न्यायालय से मुलजिम करार दिए जा चुके हैं और इन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजना है, अतः यह चेंबर में नहीं बल्कि न्यायालय के भीतर कैद खाने में जाएं.
भारी विरोध के चलते और अधिवक्ताओं की भीड़ को देखते हुए पुलिस ने मजबूरन उन्हें न्यायालय के भीतर स्थित कैदखाने में भेजा. यहां से कैदियों के वाहन में बैठा कर उन्हें जेल भेज दिया गया.
देर शाम सेशन कोर्ट ने तीस हजार रुपये के मुचलके पर मदन मोहन गुप्त को जमानत पर छोड़ने का आदेश दिया. ज्ञात हो कि दैनिक जागरण मध्य प्रदेश के मालिक मदन मोहन गुप्त मध्य प्रदेश व्यापार संवर्धन बोर्ड के चेयरमैन भी हैं. उनके खिलाफ वर्ष 2008 से मानहानि का मुकदमा चल रहा है.