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उत्तर प्रदेश

विवेक तिवारी हत्याकांड पर मीडिया कवरेज से नाराज़ लखनऊ के सिपाही अब न बख्शेंगे पत्रकारों को!

Naved Shikoh : अब सिपाहियों की लाठी पत्रकारों पर टूटेगी? रंगबाज़-अकड़बाज़ और फर्जी क़िस्म के पत्रकार हो जायें सावधान… लखनऊ में विवेक तिवारी हत्याकांड पर मीडिया कवरेज से भी नाराज़ हैं सिपाही… डांसिंग कार और पार्कों में अश्लीलता युक्त आशिकी के लिए भी तेल में भिगोये जा रहे हैं पुलिसिया डंडे…

अंदर की कुछ खबरें सोर्सेज (सूत्रों) से हासिल होती हैं तो कुछ खबरें बालों की सफेदी और लम्बे तजुर्बे बता देते हैं। विवेक तिवारी हत्याकांड मामले की खबरों की चलती सिरीज में जब सिपाहियों के विरोध का किसी को अता-पता नहीं था तब मैंने सबसे पहले इस बात की पेशनगोइ कर दी थी… अब मेरा दावा है कि यूपी के आक्रोशित सिपाहियों की लाठी रंगबाज-अकड़बाज़ पत्रकारों और अय्याश किस्म के सड़कछाप आशिकों की खूब आरती उतारेगी।

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लखनऊ में विवेक तिवारी कांड में समाज और मीडिया का अधिकांश हिस्सा पुलिस को ही पूरी तरह दोषी ठहराता रहा। जबकि सिपाहियों की जमात इस कांड के दोषी सिपाहियों को निर्दोष ठहराकर विरोध प्रदर्शन कर रही है। मीडिया और जनता इस विरोध को – ‘ उल्टा चोर कोतवाल को डांटे’ कह रही है। इस रुख़ से सिपाहियों के अंदर गुस्सा भरा है। खुलेआम-सरेआम आशिकी के नाम पर अश्लीलता फरमाने वाले आशिकों और नियमों का उल्लंघन कर सिपाहियों से भिड़ने वाले नौसिखिया या फर्जी पत्रकार इन सिपाहियों के गुस्से का शिकार बन सकते हैं। परिपक्व तो नहीं लेकिन पत्रकारिता की ताजी-ताजी अकड़ वाले नवोदित पत्रकार अकसर सिपाहियों से भिड़ते रहते हैं।

पहले जैसे सिपाहियों और आज के सिपाहियों में भी जमीन आसमान का अंतर है। कटोरा कट बाल.. हाथ में लाठी और मुंह में सुरती दबाने वाले सीधे-साधे और सौ-पचास लेकर आपकी गलती को नजरअंदाज करने वाले सिपाहियों का दौर अब नहीं रहा। दौलतमंद और सोर्सफुल परिवारों के स्मार्ट और जोशीले लड़के सिपाहियों की पिछली भर्तियों में शामिल हुए थे। इनके लिए दो चार सौ रूपये मायने नहीं रखते। बड़े घरों के ये लड़के ‘झमझम टाइम्स’ के पत्रकारों का प्रेस कार्ड देखकर नहीं डरते। इनमे से कई कान्वेंट एजूकेटेड हैं। सियासी रसूक और पैसे वाले घरों के कम उम्र कुछ सिपाही सब इंस्पेक्टर यहां तक कि आईपीएस की तैयारी कर रहे हैं।

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विवेक हत्या कांड में पुलिस के खिलाफ मीडिया ट्रायल चला। साथ ही सिविल सोसायटी , अधिकारियों और सरकार का जबरदस्त दबाव रहा। इसके बाद भी यूपी पुलिस के सिपाही ज़रा भी नहीं डरे और किसी के दबाव में नहीं आये। दरअसल सिपाहियों की ये नयी खेप अलग किस्म की है। इनमे से ज्यादातर को नौकरी जाने का भी डर नहीं है। इन्हें ये भी पता है कि मौके पर सिपाही डीजीपी या किसी आईपीएस से भी बढ़कर होता है। बाद में जो होगा वो देख लिया जायेगा। सिंघम किसी से नहीं डरता। इस जोश -जज्बे और आपसी यूनिटी के साथ उत्तर प्रदेश के सिपाही दो वर्गों को जरूर टार्गेट बनायेंगे। डांसिंग कार या पार्कों वाले आशिक और अकड़बाज पत्रकार इनका शिकार बनेंगे।

सिपाहियों की जमात का मानना है कि इन दोनो वर्गों ने ही उनके साथी सिपाहियों की जिन्दगी बर्बाद की और सिपाही बिरादरी को कलंकित किया। विवेक तिवारी कांड पर यूपी पुलिस के सिपाहियों का रिएक्शन अभी बाक़ी है।

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नवेद शिकोह

वरिष्ठ पत्रकार

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लखनऊ

संपर्क : 9918223245

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1 Comment

1 Comment

  1. ललित जयपुरी

    October 7, 2018 at 8:11 am

    महाचूतिया टाइप स्टोरी… लगता है कि यूपी पुलिस के पीआरओ हो.. या सिपाहियों की यूनियन के प्रवक्ता..

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