दिल्ली। संवेदनशील मनुष्य के लिए जीवन जीना अत्यंत कठिन है। इसे जीने योग्य और सहनीय बनाने का काम साहित्य करता है। सुप्रसिद्ध कवि-नाटककार राजेश जोशी ने हिन्दू कालेज में हिंदी नाट्य संस्था ‘अभिरंग’ द्वारा आयोजित ‘लेखक की संगत’ कार्यक्रम में कहा कि नाटक सामूहिक विधा है जिसके कम से कम चार पाठ सम्भव हैं। ये पाठ क्रमशः नाटककार, निर्देशक, अभिनेता और दर्शक के हैं। हमें नाटक के सम्बन्ध में इन समझौतों को स्वीकार करना पड़ता है क्योंकि यह व्यक्तिगत नहीं समूह की विधा है। कार्यक्रम में युवा विद्यार्थियों के अनेक प्रश्नों के उत्तर देते हुए जोशी ने अपनी रचना प्रक्रिया, विचारधारा और साहित्य समाज पर विस्तृत चर्चा की। इससे पहले उन्होंने अपनी कुछ कविताओं का पाठ भी किया जिनमें ‘बच्चे काम पर जा रहे हैं’, ‘मारे जाएंगे’, ‘चाय बनाने के बारे में’ को श्रोताओं ने खूब पसंद किया। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कोई कविता चमत्कार से नहीं बनती। वह तभी सफल हो सकती है जब उसका सामान्यीकरण हो।
कविता के विषयों के सम्बन्ध में उन्होंने कहा कि सामान्य जीवन से ही कविता के विषय निकलते हैं। पुरानी कविता और नयी कविता का अर्थ स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि नयी कविता वहां से प्रारम्भ होती है जब वह संगीत से अलग होती है और नाटकीयता के पास आती है। कवि होकर भी नाटक लिखने के सवाल का दिलचस्प जवाब देते हुए जोशी ने कहा कि भारतीय संस्कृत वाङ्गमय में माना गया है कि जो नाटक नहीं लिख सकता वह कवि नहीं है। उन्होंने भास का उदाहरण देकर इसे स्पष्ट किया। वहीं कक्षा में अध्यापन के दौरान साहित्य की स्थिति पर उनका मत था कि कई बार अध्यापक रचना के नए नए अर्थ को खोल देते हैं, जिसके सम्बन्ध में खुद रचनाकार ने भी नहीं सोचा था। भोपाल के एक शायर को उद्धृत करते हुए जोशी ने अपनी बात समाप्त की -‘उम्र भर पढ़िए, उम्र भर लिखिए, हर ज़माना एक किताब जैसा है।’
अध्यक्षता कर रहे अम्बेडकर विश्वविद्यालय के प्रो गोपाल प्रधान ने कहा कि राजेश जोशी हमारे समय और समाज के बारे यथार्थ लिखने वाले बड़े कवि हैं जिनकी रचनाशीलता हमारी संस्कृति और भाषा को गरिमा प्रदान करती है। उन्होंने भूमंडलीकरण के समय को समझने के लिए राजेश जोशी की कविताओं को अनिवार्य टेक्स्ट बताया। आयोजन के प्रारम्भ में हिंदी विभाग के अध्यापकों डॉ रामेश्वर राय और डॉ अभय रंजन ने अतिथियों को फूल और शाल भेंट कर स्वागत किया। अभिरंग के परामर्शदाता डॉ पल्लव ने कहा कि राजेश जोशी बड़े कवि ही नहीं बड़े गद्यकार भी हैं जिन्होंने जादू जंगल, टंकारा का गाना जैसे नाटक और ‘किस्सा कोताह’ जैसी अनूठी संस्मरण पुस्तक लिखी है। आयोजन में चौपाल के सम्पादक डॉ कामेश्वर प्रसाद सिंह, डॉ हरींद्र कुमार, डॉ रचना सिंह, डॉ ईश मिश्र सहित बड़ी संख्या में अध्यापक और विद्यार्थी उपस्थित थे।
सभा में हाल में दिवंगत हुए वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग, मूर्धन्य कवि केदारनाथ सिंह तथा दलित एक्टिविस्ट -लेखिका रजनी तिलक को दो मिनट के मौन द्वारा श्रद्धांजलि दी गई। कार्यक्रम का संयोजन सौरभ सिंह ने किया तथा अंत में अभिरंग के संयोजक पीयूष पुष्पम ने आभार व्यक्त किया।
स्नेहदीप
अभिरंग, हिन्दू कालेज
दिल्ली