-शेख़ परवेज़ आलम-
आज ही बुझाए थे अपराध की आंधी ने दो चिराग़
सहारनपुर। आज की तारीख़ ज़िले के पत्रकारों के लिए न भूलने वाली है। क्यूंकि आज ही के दिन अपने घर की जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठाए बूढ़ी मां के दो सहारों को शराब बिक्री का विरोध करने पर एक व्यक्ति और उसके नाबालिग बेटों ने गोलियां मारकर मौत की नींद सुला दिया था।
मामला अब से एक साल पहले मोहल्ला माधो नगर का है। जहां दैनिक जागरण के युवा पत्रकार आशीष और उसका भाई आशुतोष अपनी मां के साथ रहते थे। वहीँ शराब का काम करने वाले महिपाल अपने परिवार के साथ रहता था। जिसका डेयरी कारोबार भी था। आशीष मोहल्ले में शराब बिक्री के खिलाफ था और शराब बिक्री को लेकर ख़बर लिखता था। जिससे महिपाल आशीष और उसके भाई से रंजिश रखता था। ठीक एक साल पहले रविवार की सुबह लगभग 9 बजे गोबर डालने को लेकर आशीष और महिपाल का झगड़ा शुरू हुआ।
मौका पाकर महिपाल ने अपने बेटों हन्नी-सन्नी के साथ मिलकर अवैध असलाह से आशीष के घर में घुसकर लगातार गोलियों से दोनों भाइयों को छलनी कर दिया और मौके से फरार हो गए थे। बाद में पुलिस ने दबिश देकर आरोपियों को मुज़फ्फरनगर से गिरफ्तार कर लिया था।
आज आशीष और उसके भाई मौत को पूरा एक साल बीत गया है। लेकिन पत्रकार समाज में अभी भी ज़ख्म नासूर की तरह बना हुआ है। आशीष की बूढ़ी मां आंगनबाड़ी कार्यकत्री है। आशीष की पत्नी उस गर्भवती थीं। घर में खुशियां आने को ही थी कि तभी घर के ही चिराग़ बुझ गए।
आशीष की पत्नी इस सदमे में ही रही। बताया जाता है कि दो माह बाद ही अपने मायके चली गयी थी जिसके बाद से आशीष का घर बिल्कुल सुना है।
आशीष की मां उर्मिला देवी का कहना है कि, ‘मेरी ज़िंदगी तो उस दिन ही ख़त्म हो गयी थी जिस दिन मेरे बच्चों ने मेरे सामने दम तोड़ा था, सब सिर्फ सांसे चल रही हैं ये भी रुक जाएंगी और फिर मैं अपने दोनों बेटों के पास चली जाऊंगी जो मेरा इंतज़ार कर रहे हैं’।
हँसमुख मिज़ाज़ था आशीष
युवा पत्रकार आशीष ख़बर लिखने में माहिर था। साथ ही दोस्तों की साथ मस्ती भी जमकर करता था। आशीष को घूमने फिरने का बेहद शौक था। जब भी छुट्टी मिलती आशीष घूमने निकल पड़ता था।
भाई से करता था बेहद मोहब्बत
आशीष अपने भाई आशुतोष से बहुत मोहब्बत करता था। जिस दिन आशुतोष का झगड़ा हुआ आशीष घर ही मौजूद था। अपने भाई को ज़ख्मी देखकर आशीष महिपाल से बात करने गया था जहां महिपाल ने आशीष के सर पर भी लोहे की रॉड से हमला कर दिया था।
सिर्फ़ यादें ही छोड़ गया आशीष
अपनी पत्नी के गर्भवती होने पर आशीष बेहद खुश था। सबसे दावत देने के लिए बोलता रहता था। आने वाले मेहमान की तैयारियों में आशीष लगा रहता था। लेकिन उसको क्या पता था कि वो आने वाली ज़िंदगी को नहीं देख पायेगा।
झारखण्ड श्रमजीवी पत्रकार यूनियन
August 18, 2020 at 8:35 pm
भावभीनी श्रद्धांजलि ….