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दिल्ली

आशुतोष जैसा एक मीडियॉकर पत्रकार और बौनी संवेदना का आदमी ही इतनी विद्रूप बातें बोल सकता है!

Vishwa Deepak : गजेन्द्र नामक ‘किसान’ की आत्महत्या के बारे में आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता आशुतोष कहते हैं- ”यह अरविंद केजरीवाल की गलती है. उन्हें मंच से उतर जाना चाहिए था.उन्होंने गलती की. अगली बार मैं केजरीवाल को कहूंगा कि वो मंच से उतर पेड़ पर चढ़ें और लोगों को बचाएं.”

<p>Vishwa Deepak : गजेन्द्र नामक 'किसान' की आत्महत्या के बारे में आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता आशुतोष कहते हैं- ''यह अरविंद केजरीवाल की गलती है. उन्हें मंच से उतर जाना चाहिए था.उन्होंने गलती की. अगली बार मैं केजरीवाल को कहूंगा कि वो मंच से उतर पेड़ पर चढ़ें और लोगों को बचाएं.''</p>

Vishwa Deepak : गजेन्द्र नामक ‘किसान’ की आत्महत्या के बारे में आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता आशुतोष कहते हैं- ”यह अरविंद केजरीवाल की गलती है. उन्हें मंच से उतर जाना चाहिए था.उन्होंने गलती की. अगली बार मैं केजरीवाल को कहूंगा कि वो मंच से उतर पेड़ पर चढ़ें और लोगों को बचाएं.”

एक मीडियॉकर पत्रकार और बौनी संवेदना का आदमी ही इतनी विद्रूप बातें बोल सकता है. पत्रकार के रूप में इनका क्लेम टू फेम रहा है कांशीराम का थप्पड़. और…? अगर टीवी नहीं होता या हमारे समाज की मीडिया अंडरस्टैंडिंग ज्यादा होती तब? जैसे 1920-30-40 के बीच पैदा होने वाले अपने आप स्वाधीनता संग्राम सेनानी बन गए, वैसे ही बहत से लोग हिंदी पत्रकारता के ‘सेनानी’ हैं. कई बार घिन आती है अपने पेशे से जिसे बहुत सारे लोगों ने बहुत कुछ छोड़ कर के चुना था.

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Satish Tyagi : Can not write in Hindi due to net problem but its urgent.—many years ago ashutosh was slapped by kanshiram ji. today ashutosh crossed all the limits. had he uttered such words in my presence I would have certainly slapped him. How come such an insensitive guy survived in media for so long. Chullu bhar pani men doob maro ashutosh.

विश्व दीपक और सतीश त्यागी के फेसबुक वॉल से.

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0 Comments

  1. god _ shareef

    April 22, 2015 at 8:30 pm

    Aji isski maa ki chut

  2. Mukesh Kumar Singh

    April 22, 2015 at 8:45 pm

    विश्वविद्यालय के दिनों से लेकर पत्रकारिता के विभिन्न सोपानों तक, आशुतोष को जानता हूँ! बीते तीन दशकों में बदक़िस्मती से पत्रकारिता में ऐसे लोगों की क़िस्मत ख़ूब चमकी तो क़ाबलियत में हल्के थे और हैं! ये महाभाग भी हमेशा से बड़बोलेपन के पुरोधा रहे हैं। जैसे राजनीति में सत्ता की हवा भाँपने में राम विलास पासवान की कोई सानी नहीं है वैसे ही आशुतोष अपनी विधा के महारथी रहे हैं! फ़िलहाल, केजरीवाल उनके मोहपाश में हैं और इसमें अनहोनी भी क्यों कर हो! जब आक़ा है तरह-तरह के मूर्खतापूर्ण बयान देने और फ़ैसले लेने का धुरन्धर हो तो चेले की करतूतें तो और ग़ुल खिलाएँगी ही!
    स्वयंसिद्ध है, ‘अधभर गगरी छलकत जाए’

  3. artewari

    April 28, 2015 at 4:16 am

    Yeh patrakar cum Dalal hai .Rajyasabha me jane ke kiye Kezariwal ka talua chat raha hai . AAP Party Khatam ho chuki hai .

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