जब आईबीएन7 से साढ़े तीन सौ लोग निकाले गए थे और इनके घरों का चूल्हा अचानक ठंडा पड़ गया था तब मैनेजिंग एडिटर पद पर आसीन आशुतोष के आंसू तो छोड़िए, बोल तक नहीं फूटे थे. धरना प्रदर्शन सब हुआ लेकिन आशुतोष चुप रहे. आजकल वे अक्सर टीवी शोज में कहते रहते हैं कि मैं नौकरी छोड़कर राजनीति में आया… पर हम लोगों को पता है कि आशुतोष को निकाला जाना था… कारपोरेट में एक वाक्य होता है स्मूथ एक्जिट. यानि लात मार कर निकाले जाने से पहले सम्मानजनक तरीके से खुद छोड़ देने की प्रक्रिया.
तब आशुतोष ने यही किया था. बजाय नया चैनल खोजने के, वे केजरीवाल को खोज चुके थे, अन्ना आंदोलन पर किताब लिखकर केजरीवाल के गुडबुक में आ चुके थे, सो राजनीति में कूद पड़े. आशुतोष के करियर को ध्यान से देखें तो उसमें टर्निंग प्वाइंट तभी आया जब उनके साथ कोई हादसा घटिया हुआ या प्लान हुआ. एक बार बेडरूम में घुसने की कोशिश में तमाचा क्या पड़ा, पत्रकारिता में इनकी गाड़ी दौड़ पड़ी, सौजन्य से कांशीराम-एसपी सिंह. एक तमाचे से आशुतोष का पत्रकारीय करियर संवर गया.
अब जबकि आशू की राजनीतिक गाड़ी गड़बड़ाई डगमगाई हुई है, बेतुकी बयानबाजी और ओवर रिएक्शन के कारण, तो उन्होंने बिलकुल सही समय पर बिलकुल सही चैनल चुना और फफक फूट कर आंसू बहाने लगे, लाइव.. पीपली लाइव में ये वाला लाइव ऐसा कि कुछ भावुक दर्शक भी रुमाल निकाल पड़े. जो शख्स दशकों तक टीवी, टीआरपी. लाइव और इमोशंस का मास्टर रहा हो, उसे खूब पता है कि वह क्या कर रहा है. और, उसे यह भी पता है कि यह भावुक देश उसके रोने के बाद उसके सारे पाप माफ कर देने की कूव्वत रखता है.
सच कहूं तो सोनिया राहुल मनमोहन कांग्रेस और मोदी अमित शाह राजनाथ भाजपा के मुकाबले बहुत छोटे पापी हैं केजरीवाल, आशुतोष, सिसोदिया आदि इत्यादि लेकिन जब पूरा का पूरा कारपोरेट करप्ट मीडिया इन बड़े पापियों के हिसाब से संचालित होते हों, छोटे मोटे पापी पकड़कर गला दबाते हों तो तो छोटे मोटे पापियों को पाप धोने का देसी तरीका रुदालियों की तरह लोटपोट करके रोना छाती पीटना और माफी मांगना ही तो हो सकता है. इसलिए आशुतोष को आप लोग भी माफ करिए… लेकिन ध्यान रखते हुए कि इन सज्जन के संपादकत्व में सैकड़ों घरों के चूल्हे बुझे थे, पर इनकी आत्मा ने तब इन्हें झकझोरा नहीं, इनकी आंखों ने एक बूंद आंसू नहीं टपकाए, इनके मुंह से सांत्वाना के एक बोल नहीं फूटे… सो, आशू भाई… मैं तो यही कहूंगा… ”रोइए जार-जार क्या, कीजिए हाय-हाय क्यों…”
भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह के फेसबुक वॉल से. संपर्क: [email protected]
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ram
June 16, 2015 at 10:11 am
ciar hy mazzzzzzzaaa aaa gaya