Connect with us

Hi, what are you looking for?

प्रिंट

यशवंतजी हमलावरों को अपनी कलम की ताकत से धूल चटा देंगे : अश्विनी कुमार श्रीवास्तव

अश्विनी कुमार श्रीवास्तव

Ashwini Kumar Srivastava : दुनिया में कुछ लोग विलक्षण प्रतिभा के साथ आते हैं। जाहिर है, ऐसे लोग भीड़ और भेड़चाल से अलग होते हैं और अमूमन इसका खामियाजा भी भुगतते हैं…कभी रोजी-रोटी के बेहिसाब संघर्ष से जूझ कर तो कभी सभी तरह के आम इंसानों की आंख की किरकिरी बनकर। Yashwant Singh ने जब से भड़ास ब्लॉग लिखना शुरू किया था, तब ही से मैं उनका मुरीद रहा हूँ। उन्होंने बेबाकी और साहस से भड़ास फ़ॉर मीडिया का जो अद्भुत सफर तय किया, उस सफर में उनके साथ इस सफर की शुरुआत करने वाले तकरीबन सभी दोस्त उनके कोपभाजन का शिकार हुए और दुश्मन भी बने। उनके अलावा, यशवंत जी ने बेशुमार नए दुश्मन भी तैयार किये।

अश्विनी कुमार श्रीवास्तव

Advertisement. Scroll to continue reading.

Ashwini Kumar Srivastava : दुनिया में कुछ लोग विलक्षण प्रतिभा के साथ आते हैं। जाहिर है, ऐसे लोग भीड़ और भेड़चाल से अलग होते हैं और अमूमन इसका खामियाजा भी भुगतते हैं…कभी रोजी-रोटी के बेहिसाब संघर्ष से जूझ कर तो कभी सभी तरह के आम इंसानों की आंख की किरकिरी बनकर। Yashwant Singh ने जब से भड़ास ब्लॉग लिखना शुरू किया था, तब ही से मैं उनका मुरीद रहा हूँ। उन्होंने बेबाकी और साहस से भड़ास फ़ॉर मीडिया का जो अद्भुत सफर तय किया, उस सफर में उनके साथ इस सफर की शुरुआत करने वाले तकरीबन सभी दोस्त उनके कोपभाजन का शिकार हुए और दुश्मन भी बने। उनके अलावा, यशवंत जी ने बेशुमार नए दुश्मन भी तैयार किये।

मगर इस दौरान हम जैसे बेशुमार मुरीद भी उनको हासिल हुए, जो शुरू के उनके किसी दोस्त या दुश्मन से या फिर खुद यशवंत जी से ही बरसों तलक सीधे तौर पर वाकिफ तो नहीं रहे लेकिन उनके जीवन के हर पहलू से अच्छी तरह वाकिफ जरूर रहे। मुझे याद है कि सन 2000-01 के बैच में आईआईएमसी करने के बाद मीडिया को लेकर जो ख्वाब और तस्वीर बुनी थी, वह जब हर रोज टूटती थी तो किस तरह यशवंत जी और उनका भड़ास फ़ॉर मीडिया हर रोज ही हमें संघर्ष करने की नई ताकत भी दिया करते थे। मीडिया और उसके मठाधीशों के चेहरे पर लगी कालिख दिखाने के लिए आईना पेश करके यशवंत जी ने जो अब तक किया है, उसका कोई जोड़ है ही नहीं। जब 2010-11 में मीडिया की नौकरी को अलविदा किया तो भी कभी भड़ास और यशवंत जी को पढ़ना नहीं छोड़ा। आज भी बदस्तूर यही सिलसिला जारी है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

आज भड़ास और यशवंत जी का जिक्र इसलिये किया क्योंकि उन पर हाल ही में हमला हुआ है और यह सुनकर मुझे बेहद दुख हुआ है। मीडिया में वैसे तो बड़े बड़े पत्रकार हैं लेकिन यशवंत जी को ही अभी तक मैंने वास्तविक पत्रकार माना है। इतने लंबे अरसे में उन पर हमले का दुःसाहस किसी ने नहीं किया। और ज्यादा दुख इस बात का है कि उन पर हमला उन लोगों ने किया है, जिन्होंने हथियार के तौर पर कलम ही थाम रखी है। न जाने ऐसी कौन सी मजबूरी आ गयी, जो कलम छोड़कर उन्हें किसी गुंडे की तरह जवाब देना पड़ गया।
खैर, यशवंत जी ने शारीरिक हमला भले ही पहली बार झेला हो लेकिन बाकी हर तरह के हमलावरों को वह अपनी कलम की ताकत से ही धूल चटा चुके हैं। उम्मीद है इस बार भी उनके दुश्मनों को हार माननी ही पड़ेगी। शुभकामनाओं के साथ यशवंत जी के जज्बे को सल्यूट… कहते हैं न- ”खींचो न कमानों को न तलवार निकालो, जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालो।”

बिजनेस स्टैंडर्ड समेत कई अखबारों में कार्य कर चुके और इन दिनों लखनऊ में उद्यमी के तौर पर स्थापित अश्विनी कुमार श्रीवास्तव की एफबी वॉल से.

Advertisement. Scroll to continue reading.

संबंधित खबरें…

xxx

Advertisement. Scroll to continue reading.

xxx

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

0 Comments

  1. Parvinder singh

    September 12, 2017 at 3:35 am

    हमलावरों का नाम पता दो सालों की हम एेसी ठुकाई करवाएंगे कि शदियों तक ईमानदार लोगों की तरफ देखेंग तक नहीं….

Leave a Reply

Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement