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उत्तर प्रदेश

बाहुबली अतीक के बेटे का नाम यूपी पुलिस ने मिटाया, CBI ने फिर लिखवाया!

कहा जाता है उत्तर प्रदेश में चाहे किसी दल की सरकार हो उसमें प्रयागराज के बाहुबली अतीक अहमद की चौकीदारी अर्थात अतीक की पैरवी करनेवाले जरूर शामिल रहते हैं, नतीजतन अतीक अंसारी का गुंडाराज लगातार चलता रहता है। राजनीति और अपराध में दखल रखनेवाले जानते हैं कि यदि राजनितिक संरक्षण नहीं होता तो उत्तर प्रदेश की पुलिस दशकों पहले इनका एनकाउंटर कर चुकी होती। तबके एक कद्दावर नेता (सपा या बसपा के नहीं) के सक्रिय हस्तक्षेप पर मामला टल गया था। उसके बाद अतीक अहमद ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

ताज़ा मामला मोहित जायसवाल अपहरण कांड का है जिसमें अतीक अहमद के बेटे उमर का नाम पता नहीं किस अदृश्य दबाव से पुलिस ने नाम निकाल दिया था, लेकिन सीबीआई के पास जांच जाने के बाद सीबीआई ने उमर का नाम पुनः अपनी एफआईआर में शामिल कर लिया है।

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मोहित जायसवाल अपहरण कांड में लखनऊ पुलिस ने अतीक अहमद समेत आठ लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। अतीक के बेटे उमर समेत चार लोगों का नाम मामले से निकाल दिया गया था, लेकिन सीबीआई ने उमर समेत पुरानी एफआईआर में शामिल सभी लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की है। यही नहीं, एक नाम और बढ़ा भी दिया है। सीबीआई ने अतीक और उसके साथियों के खिलाफ 12 जून को एफआईआर दर्ज की थी। यह एफआईआर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से 23 अप्रैल को दिए गए आदेश पर दर्ज की गई थी।

दरअसल पुलिस ने दिसंबर में जो एफआईआर दर्ज की थी, उसी को सीबीआई ने अपनी एफआईआर में तब्दील कर लिया था। मूल एफआईआर में 12 लोगों के नाम थे। पुलिस ने अतीक समेत आठ के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी थी। उनके बेटे उमर समेत चार का नाम केस से निकाल दिया गया था, लेकिन अब सीबीआई ने न सिर्फ पुरानी एफआईआर दायर की है बल्कि एक नाम और बढ़ा दिया है। अब 13 के खिलाफ मामला चलेगा। उमर समेत जिन चार लोगों का नाम केस से हटाया गया था, उनके ऊपर भी अब गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। सीबीआई टीम उमर की तलाश में लगी है। उसके संभावित ठिकानों पर दबिश भी दी गई है। इसमें और भी लोगों के नाम संलिप्तता के आधार पर जोड़े जाएंगे।

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अतीक मामले में योगी सरकार के कार्यकाल में अति हो गयी है। लोकसभा के चुनाव के दौरान अप्रैल में योगी सरकार ने अचानक एक बड़ा फैसला लिया और बरेली जेल में बंद माफिया डॉन के तौर पर बदनाम समाजवादी पार्टी के पूर्व बाहुबली सांसद अतीक अहमद को प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल में शिफ्ट कर दिया गया। इस फैसले पर चुनाव आयोग ने भी अपनी मुहर लगा दी थी। प्रयागराज अतीक अहमद का गृह जिला भी है। अतीक अहमद दिसम्बर 2016 में हुई मारपीट और बवाल के मामले में फरवरी 2017 से जेल में बंद है।

2018 में फूलपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भी अतीक अहमद ने देवरिया जेल से चुनाव लड़ा था और उन्हें पचास हजार वोट भी मिले थे। अतीक ने वाराणसी से नामंकन भी किया था पर चुनाव में बैठ गए थे। 23 अप्रैल को उच्चतम न्यायालय चार हफ़्ते में अतीक को नैनी जेल से गुजरात के जेल में भेजने क़ा आदेश दिया था। लेकिन जब तक चुनाव सम्पन्न नहीं हो गया, तब तक अतीक क़ा तबादला नहीं हो सका। आरोप भी लगे कि बाहुबली अतीक अहमद को यूपी की योगी सरकार का संरक्षण है, इसलिए उनके इशारे पर अतीक को नैनी से गुजरात नहीं भेजा जा रहा है। लेकिन इसके बावजूद चुनाव तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी। चुनाव परिणाम आने के बाद अतीक को गुजरात के अहमदाबाद जेल में भेजा गया है।

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प्रयागराज के वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट.

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