नई दिल्ली। अमर उजाला ने अमर उजाला फाउंडेशन राष्ट्रीय पत्रकारिता फैलोशिप-2015 की घोषणा कर दी है। इस बार फाउंडेशन ने दो पत्रकारों को एक-एक लाख रुपये की फैलोशिप देने का निर्णय लिया है। यह फैलोशिप छह माह की होगी। विषय चयन: इच्छुक अभ्यर्थी देश के किसी खास क्षेत्र या समूचे देश को अपना कार्य क्षेत्र बना सकते हैं। कोई भी ऐसा मुद्दा ले सकते हैं, जिस पर शोध से सामाजिक पत्रकारिता में योगदान के अवसर खुल सकें। आयु सीमा: अभ्यर्थी की उम्र 35 साल और पत्रकारिता में पांच साल का अनुभव अनिवार्य है। आवेदन के समय संस्थान का अनापत्ति पत्र देना जरूरी होगा।
कैसे करें आवेदन: स्व चयनित विषय पर 1,000 शब्दों में प्रस्ताव (सिनॉप्सिस) फाउंडेशन को भेजें। प्रस्ताव के साथ संक्षिप्त बायोडाटा (शैक्षणिक योग्यता, कार्य अनुभव) और यदि पहले कोई पत्रकारिता-फैलोशिप मिली है, तो उसका भी उल्लेख करें। अपने बाइलाइन की तीन श्रेष्ठ रिपोर्ट/आलेखों की फोटो कॉपी और दो ऐसे व्यक्तियों के नाम, पता, ईमेल, फोन नंबर लिखें, जो आपको और आपके पत्रकारीय काम के बारे में जानते हों।
चयन प्रक्रिया: निर्णायक समिति आये प्रस्तावों पर विचार करेगी और इसके बाद साक्षात्कार के माध्यम से अंतिम फैसला किया जाएगा। चयनित अभ्यर्थियों के काम की प्रतिमाह अनिवार्य समीक्षा होगी। फाउंडेशन का मकसद : फाउंडेशन का मानना है कि पत्रकारिता से जुडे़ संवेदनशील, प्रतिभाशाली युवाओं को करिअर के शुरुआती दौर में लीक से हटकर काम करने का मौका मिलना चाहिए, ताकि उनमें देश और समाज को गहराई से प्रभावित वाले मुद्दों पर सुलझे नजरिए से काम करने का निरंतर उत्साह बना रहे। 10 जुलाई तक आवेदक कर सकेंगे आवेदन। आवेदन प्राप्ति की अंतिम तिथि : 10 जुलाई। लिफाफे पर स्पष्ट रूप से अंकित हो- अमर उजाला फाउंडेशन राष्ट्रीय पत्रकारिता फैलोशिप के लिए। इस पते पर भेजेंः प्रोजेक्ट निदेशक, अमर उजाला फाउंडेशन, सी-21,22, सेक्टर-59, नोएडा-201301
ARUN
June 15, 2015 at 6:05 pm
निर्णायक मंडल मे चुतियो की मंडली होती है. ऐसे फ़ेलोशिप का क्या फायदा.
ARUN
June 15, 2015 at 6:08 pm
पिछली फ़ेलोशिप किसी महिला कर्मी को दिया था, जिसे कुछ नहीं आता था. बाद मे उसे वह से हटाना पड़ा. अमर ujala es tarah से jayaj logo का अपमान करता है.
rakesh
June 15, 2015 at 6:22 pm
अतुल भाई साहब का दिन भूल जाये. राजुल जी अपने सलाहकारों के सहारे चलते है, जिन्हे केवल पत्तेचाटी करके अपनी नौकरी बचाना आता है. खासकर संपादक. राजुल जी को सम्पादकीय की जयादा जानकारी होती नही.इसका फायदा संपादक उठा रहे है. कानपूर और चंडीगढ़ के अलावा सभी यूनिट का बुरा हाल है संपादको का. आजकल बरेली मे दिनेश जुयाल ने लोगो पर जुल्म ढाया हुआ है.
rakesh
June 15, 2015 at 6:26 pm
रोहतक मे भी एक चुतिया विराजमान है. लोगो तो टाइम मङगमेंट ही सीखाता रहता है.