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संजय गुप्ता यानि स्वतंत्रता का दुश्मन

Shrikant Singh : देश के इस दुश्‍मन को अच्‍छी तरह पहचान लें… दोस्‍तो, देश के दुश्‍मनों से लड़ने से कहीं ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण उन्‍हें पहचानना है। सीमापार के दुश्‍मनों से कहीं अधिक खतरनाक दुश्‍मन देश के अंदर हैं। आप उन्‍हें पहचान गए तो समझिए हमारी जीत पक्‍की। हम आपका ध्‍यान देश के एक ऐसे दुश्‍मन की ओर दिलाना चाहते हैं, जो पुलिस, प्रशासन, देश की न्‍यायपालिका और यहां तक कि देश की व्‍यवस्‍था तक को प्रभावित कर अपनी मुनाफाखोरी के जरिये इस देश को लूट रहा है। आप पहचान गए होंगे। हम दैनिक जागरण प्रबंधन की बात कर रहे हैं। आज 26 जनवरी है। गणतंत्र दिवस। इस दिन एक वाकया याद आ रहा है।

Shrikant Singh : देश के इस दुश्‍मन को अच्‍छी तरह पहचान लें… दोस्‍तो, देश के दुश्‍मनों से लड़ने से कहीं ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण उन्‍हें पहचानना है। सीमापार के दुश्‍मनों से कहीं अधिक खतरनाक दुश्‍मन देश के अंदर हैं। आप उन्‍हें पहचान गए तो समझिए हमारी जीत पक्‍की। हम आपका ध्‍यान देश के एक ऐसे दुश्‍मन की ओर दिलाना चाहते हैं, जो पुलिस, प्रशासन, देश की न्‍यायपालिका और यहां तक कि देश की व्‍यवस्‍था तक को प्रभावित कर अपनी मुनाफाखोरी के जरिये इस देश को लूट रहा है। आप पहचान गए होंगे। हम दैनिक जागरण प्रबंधन की बात कर रहे हैं। आज 26 जनवरी है। गणतंत्र दिवस। इस दिन एक वाकया याद आ रहा है।

पहले दैनिक जागरण में स्‍वतंत्रता दिवस को सेलीब्रेट किया जाता था, लेकिन अब 26 जनवरी को सेलीब्रेट किया जाता है। इसके पीछे जन्‍मजात महान पत्रकार संजय गुप्‍ता ने तर्क दिया था कि अब इस देश को स्‍वतंत्रता की जरूरत नहीं है। अब जरूरत है तो नियमों पर चलने की। चूंकि 26 जनवरी को भारतीय संविधान को अंगीकार किया गया था, इसलिए उन्‍होंने इसे नियमों का दिवस मानकर सेलीब्रेट कराना शुरू करा दिया। अब इंसान हर चीज को अपने फायदे के लिए किस प्रकार परिभाषित कर लेता है, उसका उदाहरण संजय गुप्‍ता से बड़ा और कौन हो सकता है। उन्‍होंने स्‍वतंत्रता का अर्थ अपने कर्मचारियों की स्‍वतंत्रता से लगाया और अपने मैनेजर, संपादक से लेकर चपरासी तक की स्‍वतंत्रता छीननी शुरू कर दी।

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नियमों का अर्थ उनकी नजर में संविधान के नियम नहीं, बल्कि दैनिक जागरण प्रबंधन की ओर से थोपे जाने वाले संविधान विरोधी नियम थे। अब अपने चापलूसों के साथ बैठकर वह जो नियम बना देते हैं, उसका पालन करना दैनिक जागरण परिवार के हर सदस्‍य की मजबूरी बन जाता है। जो इस मजबूरी को ढोने से तोबा करने को मजबूर हो जाता है, उसे बाहर का रास्‍ता दिखा दिया जाता है। इसके भुक्‍तभोगी दैनिक जागरण के तमाम कर्मचारी हैं, जिनमें से सैकड़ों संघर्ष के लिए सड़क पर उतर आए हैं। राहत की बात यह है कि कल उत्‍तर प्रदेश सरकार ने एक हेल्‍पलाइन जारी की, जहां शिकायत कर आप दैनिक जागरण प्रबंधन को यह बता सकते हैं कि साहब नियम यह नहीं यह है। मेरी इस देश के पाठकों, विज्ञापनदाताओं और अभिकर्ताओं से गुजारिश है कि देश के इस दुश्‍मन को जितनी जल्‍दी हो सके सबक सिखाएं। नहीं तो बहुत देर हो जाएगी और यह मुनाफाखोर इस देश को पूरी तरह से लूट चुका होगा। अपना खयाल रखें। आज का दिन आपके लिए शुभ हो। गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई।

दैनिक जागरण में मुख्य उपसंपादक पद पर कार्यरत क्रांतिकारी पत्रकार श्रीकांत सिंह के फेसबुक वॉल से.

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0 Comments

  1. Madhur

    January 29, 2016 at 3:09 pm

    Ab wah samai aa gaya hai Shrikant ji. Iss Dalal Sanjay Gupta per “Nirbheek Karmchariyon” ne Contempt laga rakkha hai. Ab isse jail janey se koi nahi rok sakta. Abhi hal me UP ke Lokayukta ka mamla to aap sabne dekha hi. Manniya Supreme Court kissi se nahi darta. Inki Hekdi ab SC hi door karegi. Jai hind.

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