बीपी सिंह-
राजनैतिक गलियारे से। आज के समाचार पत्रों से चार महत्वपूर्ण समाचार हैं, जिसे गहराई से समझने की आवश्यकता है।
१- बसपा सुप्रीमो कु.मायावती ने घोषणा की है कि आगामी विधानसभा चुनाव में बसपा बाहुबली,माफिया को चुनाव नहीं लड़ाएगी और मऊ सीट से मुख्तार अंसारी की जगह भीम राजभर को चुनाव लड़ाएगी। उन्होंने कुछ दिन पूर्व कहा था कि अबकी सत्ता में आने पर मूर्तियों तथा स्मारकों का निर्माण न कर राज्य के विकास पर जोर देंगी।अब वह सर्वजन के हित में कार्य करेंगी।
क्या बहन जी को यह आत्मज्ञान हुआ है या उत्तर प्रदेश में पिछड़ चुकी बसपा के उत्थान के लिए यह मात्र जुमले बाजी है?बसपा की कमजोर स्थिति को देख बाहुबली स्वयं नया घर तलाश रहे हैं।अतीक अहमद, ओवैसी का तथा मुख्तार के भाई सिबगतुल्लाह सपा का दामन पकड़ चुके हैं,अन्य कोई बाहुबली शायद ही बसपा से चुनाव लड़ना चाहे।स्मारक घोटाले में हो रही कार्यवाही देख कर आगे स्मारक बनवाने से तौबा की हो। जहां तक सर्वजन हिताय की बात है तो सतीश चंद्र मिश्र द्वारा ब्राह्मण समाज को बसपा के साथ जोड़ने के प्रयास को मजबूत करने के लिए यह कहा जा रहा है।खैर, देर आए, दुरुस्त आए। ईश्वर करे सत्ता में आने पर वह अपने वायदे याद रखें।
२- उत्तर प्रदेश में जनाधार तलाश रही कांग्रेस अब मंहगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, लचर कानून व्यवस्था एवं स्वास्थ सेवा जैसे मुद्दों पर जनाक्रोश को स्वर देने हेतु प्रदेश में १२००० किमी लंबी कांग्रेस प्रतिज्ञा यात्रा निकालने का फैसला किया है। कांग्रेस द्वारा उठाए गए ये मुद्दे अब शायद इसलिए याद आए हैं क्योंकि विधानसभा चुनाव निकट है।२०१७ में तथा २०१९ के चुनाव में नकार दी गई कांग्रेस यदि ट्विटर तथा प्रेस वार्ता के अलावा जनहित के मुद्दों पर सड़क पर गंभीरता से उतरी होती तो आज १२००० किमी न चलना पड़ता। कांग्रेस ने शायद यह नहीं सोचा कि इन यात्राओं के लिए कार्यकर्ता कहां से मिलेंगे।खैर, सोनिया-राहुल-प्रियंका के नेतृत्व में कांग्रेस यदि इस चुनाव में २०१७ में प्राप्त सीटों में १० सीट की भी वृद्धि कर लें,तो यह उपलब्धि होगी। हमारी हार्दिक शुभकामनाएं।
३- अपना दल (सोनेलाल)की सर्वेसर्वा एवं केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने अपनी मां एवं अपना दल (कमेरावादी) की अध्यक्ष कृष्णा पटेल के समक्ष दोनों दल के विलय हेतु एक प्रस्ताव रखा है कि यदि कृष्णा पटेल उनके साथ आएं तो उन्हें पति आशीष पटेल की MLC वाली सीट, मंत्री पद तथा २०२२ के विधानसभा चुनाव में उनके समर्थकों को २-३ सीट दे देंगी।घर की संपत्ति विवाद के समझौते में तो संपत्ति का लेन-देन होते सुना, देखा था लेकिन मंत्रीपद तो नहीं,वह भी तब जब सरकार भाजपा की है और अनुप्रिया बड़ी मुश्किल से स्वयं मंत्री बन पाई हैं।खैर, सोनेलाल पटेल के नाम पर जातिवादी इन दलों तथा परिवार में समझौते के लिए हार्दिक शुभकामनाएं।
४- ओवैसी की पार्टी उत्तर प्रदेश में अपना जनाधार बढ़ाने हेतु अन्य छोटे दलों से समझौता करने के साथ ही माफियाओं को भी अपने दल में सम्मिलित कर जनाधार बढ़ाने के प्रयास में लगी है। बिहार चुनाव में अपना आधार बढ़ा कर वह उत्तर प्रदेश में भी स्थापित होनि चाहती है।अभी जेल में बंद अतीक अहमद को अपनी पार्टी में शामिल कर अब मुख्तार अंसारी को भी दावतनामा भेज कर मुख्तार की प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा हो रही है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नजदीक होने के कारण सत्ता प्राप्ति हेतु प्रतिदिन नये राजनीतिक समीकरण बनते बिगड़ते रहेंगे।