Abhishek Upadhyay : कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल के निजी चैनल (तिरंगा टीवी) में बरखा दत्त मालकिन बनकर बैठी हुईं थीं। उम्मीद थी कि कांग्रेस की सरकार वापिस आ जाएगी तो दिन बहुर जाएंगे। वो हुआ नही। अब कपिल सिब्बल ने चैनल पर ताला मार दिया है और बरखा दत्त पानी पी पीकर कपिल सिब्बल की ऐसी की तैसी कर रहीं हैं। उन्हें विजय माल्या की उपमा दे रही हैं।
वो बरखा दत्त जो अपने डूबते करियर को बचाने के लिए एक कांग्रेसी नेता के चैनल में पालथी मारकर बैठ जाती हैं, वो पत्रकार कहां से हो गईं? किस बात की पत्रकार? वे कपिल सिब्बल की “एम्प्लॉई” ज़रूर हो सकती हैं पर पत्रकार कतई नही! वो बरखा दत्त जो नीरा राडिया के टेप में “मिनिस्टर पोर्टफोलियो” की लॉबिंग करती पाई जाती हैं वो पत्रकार कब से हो गईं? वो कॉरपोरेट लॉबिस्ट नीरा राडिया की “इनफॉर्मर” ज़रूर हो सकती हैं पर पत्रकार कतई नही! Never ever
वो बरखा दत्त जो कांग्रेस के 10 साल के शासन में अपने खिलाफ एक ट्वीट भी कर देने वाले व्यक्ति को जेल भेजने की धमकियां देती रहीं, वे किस बात की पत्रकार हो गईं? वे सत्ता के दम पर उछलने वाले “चारण टाइपिस्टों” के गिरोह की सरगना ज़रूर हो सकती हैं पर पत्रकार कतई नही! वो बरखा दत्त जो पूरे 10 साल तक एक पार्टी विशेष का एजेंडा चलाती रहीं, वे कब से पत्रकार हो गईं? वे एक खास पॉलिटिकल पार्टी का “माउथ पीस” ज़रूर हो सकतीं हैं पर पत्रकार कतई नही!
बाकी जो करीब 200 लोगों की नौकरी पर संकट आ गया है, उनके लिए सिर्फ इतना कि यहां खुदा कोई नही। सारे खुदाओं की नींव खुद चुकी है। अपनी कलम सम्भालिए। अपने हुनर को अपने कंधों का सहारा दीजिए। आने वाला कल सिर्फ आपका है। पत्रकारिता के नाम पर कारोबार के कई दगे-चुके अवशेष ढह चुके हैं। बाकी भी ढहने के कगार पर हैं। ये दौर अब सिर्फ और सिर्फ नई पीढ़ी का है। यक़ीन मानिए, नए विचार आएंगे। नए फूल खिलेंगे। नई बगिया महकेगी। मशहूर कवि पाश के शब्दों में “सबसे खतरनाक होता है, मुर्दा शांति से भर जाना।” सो इस मुर्दा शांति से बचिए। अपने हिस्से की लड़ाई लड़िए। निराश वे होते हैं जिनके पास लड़ने का हुनर नहीं होता।
पत्रकार अभिषेक उपाध्याय की एफबी वॉल से.
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आपको बरखा के लिए न सही, कपिल सिब्बल के विरोध के लिए न सही, पत्रकारों के शोषण पर तो बोलना ही चाहिए
मूल खबर-
जयराम तिवारी
July 17, 2019 at 9:16 pm
समग्रता मे दोनो मे समानता है।दोनो को बराबर का मिला है।
किसी से कोई सहानुभुति #नहीं