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वेब-सिनेमा

यशवंत ने फेसबुक पर लिखा- ”26 अगस्त से भड़ास बंद!”

भड़ास4मीडिया के एडिटर यशवंत ने फेसबुक पर एक छोटी-सी पोस्ट डालकर ऐलान किया कि भड़ास4मीडिया का संचालन 26 अगस्त से बंद कर दिया जाएगा. इसके पीछे उन्होंने वजह आर्थिक संकट के साथ-साथ हिंदी समाज व इसकी समझ को भी बताया है. इस ऐलान के बाद आए सैकड़ों कमेंट्स में से कुछ चुनिंदा यहां दिए जा रहे हैं…

भड़ास4मीडिया के एडिटर यशवंत ने फेसबुक पर एक छोटी-सी पोस्ट डालकर ऐलान किया कि भड़ास4मीडिया का संचालन 26 अगस्त से बंद कर दिया जाएगा. इसके पीछे उन्होंने वजह आर्थिक संकट के साथ-साथ हिंदी समाज व इसकी समझ को भी बताया है. इस ऐलान के बाद आए सैकड़ों कमेंट्स में से कुछ चुनिंदा यहां दिए जा रहे हैं…

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Kamal Kumar Singh स्टेटस रात 12 बजे के बाद आया है। पब्लिक टेंशन न ले। 🙂

Yashwant Singh मैंने अपनी ज़िंदगी के सारे बड़े फैसले नशे में लिया, लेकिन लंबी आंतरिक उत्तेजना और शांति के साथ।

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Ashutosh Dixit नहीं बंद होगा, क्योंकि फिर कोई जगा देगा आपके अंदर की भड़ास..शुभकामनाएं, नए युद्ध की जो जल्द शुरू होगी भईया…

Yashwant Singh शायद अब नहीं। मेरी आंतरिक यात्रा का आवेग प्रबलता शायद बाहरी से प्रभावित न हो। ये एक लंबे समय से स्थगित फैसले का एक सही वक्त पर एलान ही है।

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Kamlesh Kumar बेहद दुखद… आप हार मानने वालो में से नही हो भाई

Yashwant Singh सच है। लेकिन आंतरिक आदेश के लगातार आह्वान का अनुपालन हार नहीं बल्कि एक नया आगाज़ है।

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Arpan Jain हर समस्या का समाधान बना है… इसका भी निकलेगा… आप सुधि साथियों से सहयोग ले सकते है… मैं भी तैयार हुँ… परन्तु यह अनंत की यात्रा की रुकावट असहनीय है….

Yashwant Singh अनंत की यात्राएं हमेशा आंतरिक होती हैं। बाहरी अनंत यात्राएं अम्बानी टाइप लोग करते हैं।

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Nikhil Dave सबसे कठिन दौर सफलता के पहले का पड़ाव है। हिम्मत रखिए, भड़ास बनी भी रहे और निकलती भी रहे ।

Yashwant Singh मेरी कोई रुचि नहीं बची, न मुझे चंदा चाहिए।

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Vishnu Rajgadia आप एक जरूरी काम कर रहे हैं और आप इसे अब छोड़ नहीं सकते।

Yashwant Singh कभी कामरेड था काफी समय से बिल्कुल नहीं हूं। जन सरोकार की मेरी प्रतिबद्धता निजी रही है। अब नितांत निजी प्रयोगों जीवन से दो- चार होने की आकांक्षा है।

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Santosh Singh भड़ास के बंद होने की सूचना भड़ास पर डालिए बाकि खबर कॉमेंट बॉक्स में। काहे पका रहे हैं लोगों को।

Yashwant Singh कल लग जाएगा। और, तय तारीख पर बन्द भी हो जाएगा। ज्यादा लोड न लें।

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Santosh Singh aisa nahi hoga. chalta rahe ye apecha

Fareed Shamsi hahahah kya baat hai yashvant bhai phirki le rhen sabhi ki, ek waqt ko sans lena to bhul sakten hain, lekin bhadas band ho jaye ye kabhi ho hi nahi sakta hai

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Yashwant Singh ये एक नंगा सच है। कुबूल करिए।

Vijay Vardhan अपने समर्थकों को प्रेरित कर रहे हैं ठीक हैं, अन्यथा गलत

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Yashwant Singh दोनों काम नहीं कर रहा।

Ghanshyam Dubey क्या किसी ने मुहूर्त बताया है ? फिर कुछ और होगा ! भड़ासी चुप बैठ ही नही सकता न !! देखते हैं…..!!

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Yashwant Singh हम देखेंगे, लाज़िम है कि हम भी देखेंगे

Reetesh Tewari यशवंत भाई, उत्तम फैसला, क्योंकि धाराएं कभी ठहरी नहीं, उनका काम है बहना। पानी गर रुक गया तो सड़ान्ध मारने लगता है। अपने प्रयोगधर्मी दिमाग में कुछ नया सोचे, भड़ास से भी बेहतर।

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Yashwant Singh सबसे बेहतर कमेंट। लव यू। आगे की यात्रा नितांत निजी है भैया।

Nadim S. Akhter सही सोच रहे हैं। एकदम बंद कीजिए। अब मानिएगा नहीं। घर परिवार के लिए कुछ कीजिए।

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Yashwant Singh भाई, इस देश में हर कोई चाहता है कि क्रांति हो लेकिन कोई नहीं चाहता कि उसके घर का चिराग इसमें जले। वो सिर्फ दूसरों के घर का चिराग जलते देखना चाहते हैं।

Amit Pathe :  भड़ास मीडिया का अपने तरह का अग्रणी और सबसे चर्चित नाम है Yashwant सर. मीडिया की ख़बरों का पर्याय है भड़ास. इसका ख़ौफ़ मैंने स्वयं बड़े मीडिया संस्थानों में देखा है जहाँ आज भी भड़ास ब्लॉक किया हुआ है. लेकिन किस मीडिया की ख़बरों/विचारों का मंच जमाते-सजाते रहेंगे आप? वो जो अपने वर्क कल्चर, सैलरी और नैतिकता के मामले में बुरी की खाया हुआ है. जिसमें एक जुटता है न लोग एक-दूसरे से ईमानदार हैं. बड़े शहर के और कुछ बड़े संस्थानों को छोड़ हर न्यूज़ रूम ख़ुशहाल नहीं है. और ये हालात और बदतर भी होते जा रहे हैं. मीडिया के भले के लिए आया मजीठिया हाल ख़स्ता कर गया. नोट बैन ने आग में और घी डाला. HT ने सबको शॉक किया और मीडिया की नींव से बड़ा पत्थर निकाल लिया. देश में jio क्रांति के बाद प्रिंट को outdated क़रार दिया जाने लगा है और प्रिंट मीडिया में ‘स्टॉक क्लीरन्स’ चल रही है. कुकुरमुत्ते की तरह websites आ रही हैं. उनका अपना अजेंडा और स्वार्थ. कुछ अच्छा काम कर रही हैं लेकिन बड़े corporate मीडिया संस्थान ही हर तरफ़ आगे हैं. ऐसी मीडिया के लिए आप क्यूँ आहुति दे रहे हैं. क्या पाएँगे ऐसी मीडिया के लिए अपने आर्थिक मसलों को ताक पे रख के? बे-मिशन मीडिया के लिए आप कौन सा मिशन चला लेंगे? अगर कोई सम्पादकीय दख़ल के बिना बड़ी पूँजी और संसाधन उपलब्ध करवा कर इन्वेस्टमेंट करना चाहे तो किसी रेवेन्यू मॉडल के बारे में ज़रूर सोचें. जैसे वेब को लिमिटेड कर paid App बनाना या किसी IT/web स्टार्ट-अप से जुड़कर काम करना. बाक़ी स्वहित और निजी आर्थिक पहलुओं को प्राथमिकता दें. मंगलकामनाएँ

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AK Yadav : जब से Yashwant भैया का मैसेज पढ़ा हूं कि 26 अगस्त से भड़ास बंद करने का विचार कर रहे हैं तब से मन बहुत व्यथित है ​क्योंकि जब मीडिया में नहीं आया था उस समय एक दिन ऐसे ही गुगल पर पत्रकारों के बारे में सर्च कर रहा था कि मेरी आखों के सामने भड़ास4मीडिया का लिंक आया मुझे लगा कि नाम अलग है तो काम भी अलग ही होगा। उस समय मैं भी ब्लागर पर लिखता था लेकिन भड़ास को देखने के बाद लगा कि कोई तो है जो इन सबकी बजाता है पत्रकारों की आवाज को उठाता है। भड़ास पेज पर पहुचकर मैं कितना खुश हुआ था यह न लिखा नहीं जा सकता न ही बताया जा सकता है। उसके बाद पत्रकारिता में वहीं से लगाव होने लगा और फिर फरवरी 2010 में जनपद से प्रकाशित होने वाले एक साप्ताहित समाचार पत्र में नौकरी करने चला गया। उसके बाद राष्ट्रीय सहारा, जनसंदेश में काम करने के बाद मुम्बई का अखबार बनारस में लाया दिनरात मेहनत किया उसमें सफलता नहीं मिली उसके बाद जागरण समेत कई अन्य अखबारों वेब पोर्टल में काम करने का मौका मिला लेकिन दिल में एक ही बात थी कि Yashwant भैया से एक बार मुलाकात करूं। पहली मुलकात उनसे गाजीपुर में हुई जहां मेरे एक अनुरोध पर वे ग्रापए के सम्मेलन में आये और जमकर भडास निकाले। उसके बाद फिर दूसरी ​मुलाकात दिल्ली में आयोजित मीडिया मोनाटाईजिंग वर्कशाॅप में हुई। मेरे जीवन में पत्रकारिता के दौरान कई उतार चढ़ाव आये कई सहयोगियों ने टांग खीचने का भी कई दफा प्रयास किया जब जब मेरा विरोेध साथी पत्रकारों द्वारा होता तो उनको Yashwant भैया की किताब जानेमन जेल की कुछ लाईने सुनाकर भैया के ही शब्दों में जमकर गरिया देता। फिर खुश हो जाता। पत्रकारिता में मेरा मन जब जब दुखी हुआ तो दो पैग लगाकर #जानेमन_जेल की यह लाईन आज भी गुनगुना लेता हूॅ कभी—कभी मेरे दिल में यह खयाल आता है कि जिन्दगी लौ… लग गयी फिर खुश हो जाता। वास्तव में Bhadas4media के बंद होने से बहुतों को खुशी मिलेगी, बहुतों को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला लेकिन जो भड़ास के पाठक हैं जो भड़ास के समर्थक हैं जो भड़ास को बहुत मानते हैं उनको लगेगा जैसे उनकी दुनियां उजड़ गयी। अब कहां और कैसे निकालेंगे भड़ास? Yashwant भैया प्लीज Bhadas4media को बंद करने से पहले एक बार जरूर विचार कीजिए। -आपका छोटा सा समर्थक

मुकुन्द हरि शुक्ल : www.bhadas4media.com का अगले महीने से बंद होना निराशाजनक है लेकिन अकेले दम पर भाई Yashwant Singh ने इतने साल तक जैसे इसे चलाया, उस समर्पण, पत्रकारों और पत्रकारिता के हित के लिए किसी भी हद तक लड़ने के जज्बे के लिए यशवंत जी की जितनी भी तारीफ़ की जाय, कम ही होगी। फिर भी उम्मीद है कि बेहतर आर्थिक सम्बल के साथ शायद फिर कभी भड़ास वापसी करेगा।

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Nadim S. Akhter : भाई Yashwant Singh भड़ास बंद करना चाहते हैं। मैं उनके फैसले के साथ हूँ। एकदम बंद कीजिए। अब मानिएगा नहीं। घर परिवार के लिए कुछ कीजिए। इस देश में हर कोई चाहता है कि क्रांति हो लेकिन कोई नहीं चाहता कि उसके घर का चिराग इसमें जले। वो सिर्फ दूसरों के घर का चिराग जलते देखना चाहते हैं। भारतीय समाज में हर कोई चाहता है कि पत्रकार ईमानदार रहे लेकिन इस ईमानदारी की कीमत चुकाकर जब वो सड़क पे आ जाता है तो उसकी मदद के लिए कोई संस्था नहीं। अब कौन गांधी बचा है इस देश में जो अपने घर परिवार को ताक पे रखकर सामाजिक क्रांति की अलख जगाएगा? यशवंत भाई पे भी आरोप लगे हैं। मुझे नहीं पता उनमें कितनी सच्चाई है पर भड़ास को इतने लंबे समय तक अपने बलबूते खींचना किसी आश्चर्य से कम भी नहीं। एक और बात दीगर है कि उनकी वेबसाइट ने पीड़ित-शोषित पत्रकारों की आवाज़ को एक बड़ा प्लेटफार्म दिया है। ये छोटी बात नहीं। हां, कई दफा एकतरफा खबरें भी दिखीं, जिसे इग्नोर किया जा सकता है क्योंकि ये किसी अकेले शख्स के बूते की बात नहीं कि वो हर खबर की तहकीकात कर सके। यशवंत भाई, अब कुछ घर परिवार और अपने बारे में सोचिए। बहुत हुआ। अब इस काम को नई पीढ़ी के कंधे पे डालिए। वो उठाये तो ठीक, वरना दुनिया तो चल ही रही है।

Sanjaya Kumar Singh एक सुधार चाहता हूं, क्योंकि जानता हूं। अगर एकतऱफा आरोप छपे तो उसका एकतरफा जवाब भी छपा। शिकायत करने वालों से यशवंत यही कहते रहे हैं (और छापा – लिखा भी है) कि आप अपना पक्ष लिखकर भेज दीजिए, उसे भी छाप देंगे और वह छपता रहा है।

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Nadim S. Akhter हाँ। उन्होंने छापा है। आपसे सहमत।

Vivek Singh बिलकुल, और जवाब वैसा का वैसा ही छापा। चाहे उसमें उन्हें जो लिखा गया हो।

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Shyam Singh Rawat ‘घर फूँक तमाशा’ कितने दिन चल सकता है भला, वह भी जन-सरोकारी तो बिल्कुल भी नहीं। इस तरह की पत्रकारिता में आर्थिक संकट सदैव घेरे रहता है और जान का जोखिम अलग। आप जैसा जीवटधारी व्यक्ति ऐसा निर्णय विवशता में ही ले सकता है।

Gautam Tiwari Whatttt…Try to save such a nees portal..which connects all journos through multi face news items…Its a VOICE…
Anil Janvijay हिन्दी की यही नियति है।

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अंकित द्विवेदी सर योद्धा इतनी जल्दी हथियार नहीं डालते। एक बार फिर से विचार करिये।

प्रवीण श्रीवास्तव दुःखद…. ह त ढ़ेर अदिमी त खुस हो जइहें… मीडिया ग्रुप के मनमानी और बढ़ जाई.. अइसन ना होखे त बेहतर बा

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Vijayshankar Chaturvedi भड़ास बहुत दिनों तक वैसे भी नहीं निकलती रह सकती। यह नव विकसित मनुष्य के स्वभाव के विपरीत है जैसे कोई 24*7 प्यार नहीं कर सकता।

Murar Kandari समय की धारा जहाँ ले जाए , यशवन्त भाई

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Syed Mazhar Husain आप ने अगर भड़ास बन्द करने की सोची है तो ज़रूर आपके ज़ेहन में कुछ और वेहतर होगा। मैं जानता हूं आप हार मानने वालो में से नही । हमारे लायक कुछ हो तो बताईयेगा हमेशा खड़ा पाइयेगा।

Ram Dayal Rajpurohit भड़ास को बंद करना अपने आप पर घोर अत्यचार हैं ।। जब मोदी अपनी भड़ास को मन की बात कहे कर करता है । तो आप भी ,,, भड़ास से बहुत कुछ ज्ञान मिलता पब्लिक को सो ये ज्ञान गंगा बहती रहनीं चाइये

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Jaleshwar Upadhyay यह प्रयास भी अच्छा था और आगे जो भी करेंगे, अच्छा ही होगा। भविष्य की शुभकामनाएं। आप सफल होंगे अपने मकसद में यही उम्मीद करता हूं।

Care Naman कोशिश कर हल निकलेगा आज नहीं तो कल निकलेगा जो थमा थमा सा है वो भी चल निकलेगा

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Kamal Sharma यह बंद मत कीजिए स्‍वामी भडासानंद जी। भडास आश्रम, भडास साइट का चलना जरुरी है। 26 अगस्‍त का मुहूर्त निकलवाया है क्‍या यशवंत भाई।

Somit Srivastav Destruction is first stage of construction !!

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Jitendra Narayan दुखद है बंद होना…प्रयास करें हमसब साथ हैं आपके…!

Pushpendra Albe आप आदर्श हैं सर, आनलाईन मीडिया बिरादरी के लिए

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Maruf Khan Kyaa hua bhai,..to fir hm.logo.ko ab khabre kise ptaa chlengii bhadas ki

Dinker Srivastava बाप रे बाप….सुधी पाठकों को झटका..

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Ashok Anurag मेरी चिंता न करो मैं तो संभल जाऊँगा, गीली मिट्टी हूँ हर रूप में ढल जाऊँगा…

संजीव सिन्हा ओह! भड़ास के शुभचिंतकों को आगे आना चाहिए।

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Prameel Kumar Manohra अब तो हम भी भड़ासी हो गए। और आप बंद करने की सोच रहे हो।।

Anil Kumar Upadhyaya व्यापार बंद पर फ़ेसबुक तो भड़ास निकालने का ज़रिया बना रहेगा बना रहेगा।

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Arun Khare निसंदेह कुछ और बेहतर होने वाला है । शुभकामनाएं।

Vinay Pandey जिस तरह विद्यार्थी के लिए यूनिफार्म अनिवार्य होती है वैसे ही पत्रकारों के लिए भड़ास ऐसा कोई पत्रकार नहीं जो दिन में एक दो बार भड़ास को खोल के देखे नसर बंद मत करिए बोलिये तो हम लोग मिल के आर्थिक संकट को दूर करें

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Vijay Tiwari शायद एक दो साल पहले आपने कही थी कि भड़ास को डॉलर में पैसे मिलते है । और अब बंद करने की सोच ली।

Vinod Kumar Bhardwaj अलविदा दोस्त। मजे से रहना।

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Dinesh Mansera मंगल वक्रीय होगया है

Vishal Ojha समझा जा सकता है

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Anupam Pandey इसको बंद न करें….हम और हमारी टीम इसको चलाने या सहयोग करने के लिए तैयार है।

Sanjay Kumar Agarwal i am agree

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Umesh Srivastava Socialist किसी विषय से लिप्सा ना होना यही तो ज्ञान है इस मोहभंग होने की क्या बात ज्ञानी हमेशा नई खोजों में लगा रहता है किसी एक विषय से उसकी लिप्सा नहीं होती उसकी प्रत्येक विषय में लिप्सा है और किसी में नहीं है यही ज्ञान की पराकाष्ठा है जय हिंद जय भारत

Rajiv Tiwari भड़ास चैनेल की शरुआत करने वाले है क्या?

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Sushil Shukla भाई अगर किसी पत्रकार की करतूत जाननी हो तो वो भड़ास से ही पता चलती है । अब कौन बताएगा कि फला पत्रकार क्या क्या गुल खिला रहा है? हे मेरे भड़ास प्रमुख इसे बन्द न करें अगर सच्चाई को जिन्दा रखना है तो भड़ास को चलना होगा।

Sujeet Singh Prince आपकी भड़ास न कभी बन्द थी, और न पूरे जीवन बन्द होगी……

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Rajshekhar Vyas दुःखद समाचार सुबह सुबह – युद्धस्व!

Dilip Clerk दादा ऐसा मत कीजिये हम लोगो को मार्गदर्शन में भड़ास अहम् भूमिका में है

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Sheetal P Singh बन्द मत करो, बेच दो या दान कर दो! कोई दूसरा इससे जीवन यापन करे तो क्यों गुरेज़?

Upendra Prasad हाँ, बंद करने से बेहतर है इसे बेच देना. कोई और इसे चला लेगा.

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Rajendra Joshi ऐसा न करियेगा… हम समझ सकते हैं कितना मुश्किल होता है पोर्टल चलना

Vinod Bhardwaj न जाने कितनों की आवाज़ बन चुके भड़ासी बाबा ने ज़रूर कुछ नया सोचा होगा| शांत बैठने वालों में से तो नहीं है ये| जिसे औरों के लिए कुछ कर गुजरने की आदत पड़ जाये, वह कुछ न कुछ ज़रूर करेगा| और यहाँ तो बात यशवंत की है…इस प्रयोगधर्मी दिमाग की नयी उपज देखने का इंतज़ार है अब| शुभकामनायें……

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Vinay Shrikar अभी न करो बाबू ऐसा ! पांच-छह साल रुक जाओ, ताकि यह दिन देखने के लिए मैं न रहूँ।

Abhinandan Mishra यशवंत ji, please let us know if we can contribute in any way to keep your efforts alive… BHADASH cannot shut down.

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Rajaram Tripathi आर्थिक संकट अगर मूल कारण है, तो , जैसे भी हो दूर कर लिया जाएगा, मैं इसकी जिम्मेदारी लेता हूं, आप चलाइये इसे, ये जरुरी है। मोहभंग, लोगों की समझ वाली बातें वक्ती जुनून है, दिमागी खलल है,,हर साधक को यह पुल पार करना ही पड़ता है,, मेरे भाई,, भड़ासानंद,,इसका भी शत प्रतिशत इलाज संभव है , हमारे विशुद्ध हर्बल से।

Sanjay Shukla This is the one platform for expressing grievances of exploited journalists. I request you to not close it. Will try to help in whatever way we can

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Madhu Sudan Yaswant kitna paisa / month se chal jayega aapko milta rahega chahaiye bahut hi jaruri hi

Sachin Chaudhuri 60k to abhi bhi per month portal ko Google ad se mil rhe hai. Koi arthik presani ho portal ko mai nai manta Baki band Mat Karo Sir isko.

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Devendra Surjan Yashwant भाई इतने सारे मित्रों और शुभचिंतकों की सुनिये और अपना निर्णय बदलिए , यथासंभव सहयोग करने सब तैयार हैं . मीडिया की पोल पट्टी खोलने का यह अद्भुत प्रयोग है , इसे अनवरत जारी रखना चाहिए .

Sachin Chaudhuri Yashwant Singh apko arthik problem hai ki portal ko …..portal ko to koi arthik tangi mujhe nai lagta ho jo data portal pai hai usse jayda wo earn kar rha hai

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Ashok Aggarwal अब कौन से समाज में रहने का प्लान है… जो भी करोगे उसके लिये अग्रिम शुभकामनाएं…

Kamta Prasad कुछ बेहतर होगा इसे लेकर खुश होऊँ, या हम जैसे निरीह नागरिकों का मंच चला जाएगा इसे लेकर अफसोस करूँ। खैर, आने वाला समय बताएगा।

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Deepak Pandey अरे ऐसे कैसे बंद हो जाएगा सर… हम लोग हैं न.. हैंडओवर कर दीजिए अपने अपने विश्वस्त लोगों को। वो खुद चला लेंगे। भड़ास का होना मीडिया के लिए बहुत जरूरी है।

Sanjay Shekhar यशवंत जी आप नए प्रयोग जरूर करें। आपको शुभकामनाएं, लेकिन यह जरूर सुनिश्चित करना होगा कि भड़ास चलता रहे। इसे बंद करना पत्रकारों की आवाज़ को बंद करना होगा जिसे आप कभी नही करना चाहेंगे। बाकी परेशानियों का हल निकालने में हम आपके साथ है। मेरी जिस स्तर पर मदद की जरूरत हो मैं तैयार हूं।

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Singhasan Chauhan इतना क्यों नाराज हैं यसवंत भाई हमारे जैसे लोगों को आपसे बहुत आश है …

Ved Prakash Singh हिम्मत न हारो हजारों को मारो। संस्था चलाना आसान नहीं होता। आप दूसरा प्रयोग करना चाहते हैं करिए इसके लिए एक उप संपादक रख कर व्यापारियों की तरह चलाइये। विज्ञापन प्रतिनिधि भी रखना न भूलिएगा।

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Purushottam Asnora बहुत दुखद, घाटे में आखिर कहां तक निकल सकेगा? क्या कोई समाधान हो सकता है सर।

डॉ. अजित मैं आपके नए आत्मिक वेंचर को लेकर उत्साहित हूं निसन्देह यह व्यष्टि और समष्टि के लिए होगा। आपको चैतन्य शुभकामनाएं !

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Syed Faizur Rahman Sufi भड़ास के बन्द होने से हजारों पत्रकार की आवाज भी बन्द हो जाएगी

Ramji Mishra अरे ऐसा न कहिये। बस एक बार आपसे बात हो जाये तो कुछ निवेदित करना चाहूँगा……

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Manoj Dublish सरजी ; एक बार राजनीति में भी भाग्य आजमा लीजिये क्योंकि लोकतंत्र कौशल विकास का सबसे बडा सबूत है जहाँ आठवीं पास उप मुख्य मंत्री और अनपढ शिक्षा मंत्री बन जाता है तथा रेलवे संपत्ति बेचकर अरबपति तो बनता ही है साथ में देश का मालिक भी बन जाता है और दूसरी तरफ एक पोस्ट ग्रेजुएट;इंजीनियर या डाक्टर नौकरी के लिए दर बदर की ठोकर खाता है

Gaurav K Singhal Go for crowd funding. I am ready to give ten thousand for BHADAS as crowd funding. My advice is make app and once 10000 users download this app this will be hundred crore venture.

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Dhirendra Asthana लाखों लोगों द्वारा रोज देखी जाने वाली वेबसाइट पर भी संकट?

Anup Kr Awasthi पोर्टल बंद करना समस्या का समाधान नहीं…कोई हल या सिस्टम ढूंढा जाए तो बहुत कुछ संभव है.

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Sanjaya Kumar Singh अरे !! मैं समझ रहा था कि गूगल ऐड से खर्चा निकल जा रहा होगा। अभी तक अगर आर्थिक स्थिति खर्चा चलाने लायक नहीं हुई है तो बिल्कुल बंद कर देना चाहिए।

Ram Gurjar इतनी बाते करने से बेहतर है कि हम सब मिलकर उनका हाथ थाम ले…

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Vinod Bhardwaj पत्रकारों के लिए बहुत दुःखद और पीड़ादायक निर्णय है ये । पीड़ित पत्रकार भड़ास को अपना मंच मानते हैं । निर्णय पर पुनर्विचार करो यशवंत भाई !

Ashok Das मैं आपके इस फैसले में आपके साथ हूं भइया। हर चीज का एक अंत होता है। उससे ज्यादा मोह ठीक भी नहीं। जिंदगी में उससे इतर भी करने को बहुत कुछ है। संभव है कि आपको वही बातें परेशान करती होगी। नई यात्रा पर निकलिए। हां, बंद करने की घोषणा के साथ एक ऑप्शन यह रखा ज…See more

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Pradumn Kaushik अब कौन पत्रकारो को आइना दिखायेगा सर

Ashutosh Chaturvedi अरे सर मीडिया पर लगाम कौन कसेगा फिर

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Pawan Lalchand हो सके तो चलने दें. भले कुछ नया भी लेकर आ रहे हों तब.

Negi Laxman जो सिरफिरे समाज हित मे कूछ करना भी चाहे तो उनको आगे लाने मे सबके पसीने उतर जाते हैं चाहे कोई भडास वाला हो या कोई अन्य

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Arti Awasthi Dixit बंद करना जरुरी है क्या

Ramji Mishra भड़ास अब आपकी सम्पत्ति नही है जो आप बंद कर देंगे। कुछ तो हक हम पाठकों का भी है। कृपा करके प्रार्थना को स्वीकार करें और इसे समाज हित के लिए चलने दें। प्लीज प्लीज प्लीज.. जनहित की जंग वाले सब बन्द होते जा रहे हैं और तमाशे वाले लोग और मजबूत होते जा रहे हैं। सरकार भी सो रही है भड़ास जैसे मीडिया को सहायता देकर समाज के लिए सरकार एक और अच्छा काम कर सकती है। भारत सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए।

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Mahesh Singh मित्र आपका लगभग हर पोस्ट और न्यूज़ पढता रहा हू इधर बहुत दिनों से आप से बात नहीं कर पाया कुछ ऐसी व्यस्तता थी। मित्र इसा मसीह चले गए, बुद्ध चले गए, मुहम्मद चले गए, गांधी चले गए जो बुराइया समाज में तब थी वही आज भी हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि सज्जन अपनी सज्जनता छोड़ दे। हां एक बात है कि मोदी जी हैं औऱ योगी जी ने अपनी एक जीवन शैली चुन ली थी जो सबके लिए संभव नहीं है। किसी भी संस्था को चलाने के लिए धन की आवश्यकता होती हैं इसमें कोई संदेह नहीं है। आपने जिस उंचाई पे भड़ास को पहुंचाया है वह काबिले तारीफ है और आज जो आपकी पहचान है उसमें भड़ास का भी योगदान है। मित्र इतनी जल्दी में आवेश में निर्णय लेना ठीक नहीं प्रतीत हो रहा है। किसी भी समस्या का समाधान निकाला जा सकता है। निसंदेह परिवार के कीमत पर कोई भी कार्य उचित नहीं होता है। यदि मैं आपकी किसी भी प्रकार से काम आ सकता हु तो मुझे खुशी होगी। हां इतना जरूर कहना चाहूंगा कि एक पत्रकार पत्रकारिता की बुलंदी पे तो जा सकता है पर साथ ही राजनीतिज्ञ, उद्योगपति नहीं हो सकता… उसके लिए तो कुछ और ही करना होगा। मैं आपके हर निर्णय में साथ हूं…

Yajat Dwivedi फिर पत्रकारों के हक़ के लिए आवाज़ कौन उठाएगा ।

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Shashikant Singh सर प्लीज़ ऐसा न करें। मजीठिया क्रांतिकारियों का क्या होगा

Narendra M Chaturvedi भाई भड़ास किसी भी कीमत पर बन्द नही होना चाहिये….कुछ मिल बैठकर रास्ता निकालते है।

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Vinay Singh लोकतंत्र में भड़ास कहाँ बंद हो पाएगी भाई….. भड़ासिए और खुब भड़ासिए यही कहते थे न..

Dharmendra Pratap Singh भैया, मुझे नहीं लगता कि किसी तरह का आर्थिक संकट “भड़ास” को बंद कर सकता है ! जिस “भड़ास” को बड़े-बड़े समाचार-पत्र समूह नहीं बंद करवा पाए, वह इस तरह से बंद हो जाएगा… असंभव !! पहली बात तो यह है कि हमारा समय जब अच्छा होने के करीब है, तब “भड़ास” बंद करने का इरादा ठीक नहीं… अगर वही वजह है, जो आप बता रहे हैं तो हम सब मिलकर इसे भविष्य में भी चलाते रहेंगे। वैसे भी जो “भड़ास” अब हम सभी मीडियाकर्मियों की आवाज़ बन चुका है, उसे बंद करने का फैसला आप अकेले कैसे ले सकते हैं?

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DrMandhata Singh आप हमेशा उचित फैसला लेते रहे हैं। और सोच-समझकर ही बंद करना तय किया है तो आपके और परिवार के हित में शायद यही ठीक हो। मुझे तो उम्मीद है कि आप जहां भी होंगे एक जुझारू की भूमिका में ही रहेंगे।

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0 Comments

  1. Raj Alok Sinha

    July 16, 2017 at 1:53 pm

    सर जी, भड़ास की लोकप्रियता का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि मैंने जैसे ही भड़ास के 26 अगस्त से बंद होने की खबर अपनी पत्नी को बताई तो उसका सीधा सवाल था क्यों बंद होगा भड़ास?…

  2. Shripal teotia

    July 16, 2017 at 2:52 pm

    Waah.. Kya khabar mili…..
    Good….
    Very nice….
    Chalo achcha hua…
    Jaan bachi…..
    Bahoot khooob…..
    Pind chooottha…..
    Good news….
    Happy Sunday Ho gya….
    Na Jane kitne hi aise shubhchintak honge jo yahi vichaar rhe honge…. Maan gaye singh Saab aapko… Aise logon ko khush kiya hai aapne jo journalism ko tawaayaf bnane pr utaaru hain,
    Aap ki ye bhawisywaani maatr, chaneekk khushi hi un Dalaao aur dongi patrkaarita ke thekedaaron ke liye saabit hogi Aisa mera manna hai.
    Yahaan ek bahut bada kunba hai jo hr tarha hr pal Aapke saath hai ye hamesha aap yaad rakhiyega ,aur selected Hamare sabhi sathi jo is bhadas rupi akhadee main hain wo wahi hain jo aapse hirday se Jude huye hain.
    Wish u all the very best. Aage Chalte rahiye….
    Abhi bahut kuch sudharna baki hai,
    We all with you

  3. नंदकिशोर सिंह नन्दु

    July 17, 2017 at 5:55 am

    मेरे लिए दुखद !अभी अभी नजदीक से जुड़ा था।जिसे आप इतिहास बनाने जा रहे हैं वह कभी या अभी भी मजबूत वर्तमान है।आप पुराने कामरेड हैं अपने जगत के लिए।सुलझा यहां जीवन जिया है आपने परंतु उलझनों के बीच ।ज्वलनशीलता रुकती है तो नया बसेरा बनता है।किसी भी रूप में आप खुश रहें व मन मुताबिक जियें।शुभकामना आपको…

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