11 सितंबर 2016 यानि इसी रविवार के दिन दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में कुमार सौवीर, बृज भूषण दूबे और आशीष गुप्ता का भी सम्मान किया जाएगा. ये तीन लोग अपनी तीन अलग-अलग किस्म की अदभुत प्रतिभाओं के लिए विख्यात हैं. ये तीनों अपने अपने धुन और लय के धनी हैं. ये तीनों भले ही यूपी के हैं लेकिन अलग-अलग कोनों के निवासी हैं और अलग-अलग फील्ड में सक्रिय हैं. पहले बात कुमार सौवीर की.
तपाक से सच सच बोल लिख देने का साहस उर्फ कुमार सौवीर
लखनऊ के रहने वाले कुमार सौवीर इन दिनों सबसे बेबाक पत्रकार माने जाते हैं. उन्होंने दैनिक जागरण, हिंदुस्तान, महुआ न्यूज समेत कई अखबारों न्यूज चैनलों में नौकरी की लेकिन उन्होंने नौकरियां इसीलिए छोड़ दी या यूं कहिए कि इस्तीफा प्रबंधन के मुंह पर दे मारा क्योंकि उन्हें कंटेंट से समझौता पसंद नहीं, उन्हें दलाली पसंद नहीं, उन्हें लल्लो-चप्पो पसंद नहीं. सही मायने में कहा जाए तो कुमार सौवीर एक सच्चे कलम के सिपाही की तरह वही लिखते बोलते रहे जो उन्हें खुद सच लगता है. कई बार इस कारण वह अतियों की सीमा को छू देते हैं जिससे उनके इर्द-गिर्द के लोग भी उनसे नाराज हो जाते हैं लेकिन इन सबसे बेपरवाह कुमार सौवीर अपने अंदाज, अपनी जीवनशैली, अपने तरन्नुम को जारी रखते हैं, जीते रहते हैं.
पिछले कई बरस से भड़ास4मीडिया, फेसबुक, मेरी बिटिया डाट काम समेत कई पोर्टलों और कई अखबारों में अनवरत जमीनी सच्चाई को लिख रहे कुमार सौवीर भले ही स्वास्थ्यगत कारणों से परेशान रहते हों, आर्थिक मोर्चे पर दिक्कतें झेलते रहते हों लेकिन इससे कलम के तेवर पर कोई फरक नहीं पड़ता. मेरी बिटिया डाट काम खुद कुमार सौवीर की वेबसाइट है जिस पर वह ऐसी ऐसी बातें खबरें खुलासे करते रहते हैं जिसे आमतौर पर मीडिया के लोग जानबूझ कर इगनोर कर देते हैं. खुद्दार और सरोकारी कुमार सौवीर ने पिछले कुछ बरस में वेब जर्नलिज्म के माध्यम से सरोकारी व साहस की पत्रकारिता का जो मोर्चा लखनऊ में अकेले दम पर संभाले रखा है, उसका दूसरा उदाहरण वहां देखने को नहीं मिलता. कुमार सौवीर को सम्मान देकर भड़ास4मीडिया खुद सम्मानित करता है.
कुमार सौवीर की लेखनी के बारे में ज्यादा जानने के लिए आगे दिए लिंक पर क्लिक करें : KS on Bhadas
कुमार सौवीर से फेसबुक पर दोस्ती करने और उनका लिखा पढ़ने के लिए क्लिक करें : https://www.facebook.com/kumarsauvir
गरीबों का मसीहा : एक नेत्रहीन दंपति शौच के लिए खुले में किस तरह बाहर जाता है, उसकी समस्या जानने उसके घर पहुंचे बृज भूषण दुबे (दाहिने से दूसरे)
बृज भूषण दूबे पूर्वी उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के निवासी हैं. उनका रोज का एकमात्र कार्यक्रम होता है, समाज-देश हित में सोचना और उसकी जमीन पर रुपांतरण कर देना. बेहद गरीब लोगों की समस्याओं को मीडिया, प्रशासन और सरकार के संज्ञान में लाने का एक मुश्किल लेकिन जरूरी काम करने वाले बृज भूषण दुबे वैसे तो चुनाव भी लड़ते हैं लेकिन हार जीत से बेपरवाह वह समाजसेवा को अपना मिशन बनाए हुए लगातार सक्रिय हैं. गाजीपुर में पुलिस, प्रशासन और नेताओं के बीच जब बृजभूषण दुबे का नाम लिया जाता है तो लोग मानते हैं कि यह शख्स किसी दूसरी मिट्टी का बना है.
दर्जनों मामलों पर आरटीआई के जरिए बड़े खुलासे करने वाले बृजभूषण दुबे खुद एक अच्छे पत्रकार भी हैं. वह मीडिया के साथियों को लगातार इंस्पायर करते हैं कि उन्हें उन जरूरतमंदों के लिए जरूर लिखना लड़ना चाहिए जिनका कोई रिश्तेदार प्रभावशाली नहीं, जिनका कोई सोर्स सिफारिश सिस्टम में नहीं, जिनके साथ कोई लड़ने खड़ा होने वाला नहीं. बृजभूषण दुबे का नेटवर्क अब इतना बड़ा और मजबूत हो गया है कि किसी भी गांव में अगर कोई भुखमरी का शिकार है, कोई आंख से वंचित होने के बावजूद सरकारी लाभ नहीं पा रहा, किन्हीं को किसी भी किस्म की अर्जेंट टाइप भीषण समस्या समस्या है तो उसकी सूचना दुबे जी तक पहुंच जाती है. वे अपने साथियों की टीम लेकर मौके पर पहुंच जाते हैं. समस्याग्रस्त गरीब लोगों की तस्वीरें खींचते हैं, बाइट लेते हैं, वीडियो बनाते हैं, उनके दस्तावजे देखते हैं और यह सब करने के बाद उनकी लड़ाई जिला मुख्यालय जाकर लड़ने लगते हैं.
दूबे जी को देखते ही अफसर यह मान लेते हैं कि जरूर यह बेहद जरूरी काम होगा, इसीलिए वे अफसर तुरंत उस काम को कर जरूरतमंद को न्याय देने के लिए तत्पर हो जाते हैं. बृजभूषण दुबे जैसा सक्रिय और सरोकारी हर आदमी हो जाए तो इस देश में कोई समस्या ही न रहे. दुबे जी को 11 सितंबर को दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में सम्मानित कर संघर्ष करते रहने की पूर्वी उत्तर प्रदेश की परंपरा को प्रणाम करता है.
भड़ास पर छपी ये कुछ खबरें पढ़ सकते हैं…
-परमवीर चक्र विजेता के गांव में इस नेत्रहीन दंपति की दुर्दशा देखिए
-फौजी की पत्नी ने पूछा- क्या मौत की सूचना पर ही सरकार आंसू पोछेगी?
-पीएम से शिकायत के बाद मलेशिया की जेल से छूटे गाजीपुर के दोनों युवक
बृजभूषण दुबे के बारे में ज्यादा जानकारी उनके फेसबुक एकाउंट के जरिए जान सकते हैं, क्लिक करें : https://www.facebook.com/brajbhushan.dubey.3
(आशीष गुप्ता, फाउंडर- मिक यू बिग)
आशीष गुप्ता साल भर पहले तक उन लाखों सामान्य से पत्रकारों में से एक थे जो अखबारी या चैनल की नौकरी कर किसी तरह अपना पेट पालते थे, साथ ही ढेर सारे अधूर सपने लिए दिन महीने साल गुजारे जा रहे थे. आशीष को साल भर पहले अचानक दिव्य ज्ञान मिला. ज्ञान ये कि बहुत हो गई नौकरी. अब अपना काम. सिर्फ अपना काम. उन्होंने दैनिक जागरण की नौकरी को नमस्ते किया. एक कंपनी बनाई ‘मेक यू बिग’. यानि कंपनी का नाम ऐसा जो दावा करे कि हम आपको बड़ा बनाएंगे. आशीष सच में ऐसा ही कर रहे हैं. उनके क्लाइंट नेता होते हैं. नेता कभी नहीं चाहते कि वे चुनाव हार जाएं. अगर वो चुनाव हार गए तो ‘बिग’ न बन पाएंगे, न रह पाएंगे. आशीष ने यूपी विधानसभा के आगमी चुनावों को ध्यान में रखकर वोटर्स के सर्वे के कुछ साफ्टवेयर बनवाए. सोशल मीडिया के प्लेटफार्म का इस्तेमाल किया. वोटर आईडी कार्ड से वंचित लोगों को टारगेट किया. अपना इलाका छोड़कर दूर शहरों में नौकरी करने वालों का डाटाबेस बनाया. इस तरह उन्होंने एक पूरा पैकेज तैयार किया चुनाव लड़ने वाले नेताओं के लिए. आशीष की कंपनी इन दिनों दो दर्जन से ज्यादा वर्तमान या पूर्व विधायकों-सांसदों के लिए काम कर रही है.
इस कंपनी में अभी करीब छह दर्जन लोगों को रोजगार मिला हुआ है जिसमें दो दर्जन तो ऐसे हैं जो हाल-फिलहाल तक पत्रकार थे और अब आशीष की कंपनी के साथ कंधा से कंधा मिलाए हुए हैं. असल में आशीष उस प्रतिभा का नाम है जिसने तकनीक, समझ, पीआर, कंटेंट और टारगेट को एक साथ समझ कर समय से मिक्स कर दिया और एक नया प्रोडक्ट लांच कर दिया. विधायक या सांसद का चुनाव लड़ने वाला एक नेता अपने इलाके से कैसे कनेक्ट रह सकता है, कैसे फीडबैक पा सकता है, कैसे दूर शहरों में रह रहे लोगों के दिलों में बस सकता है, कैसे वोटर आईडी कार्ड से वंचित अपने वोटबैंक के लोगों को वोटर आईडी कार्ड दिला सकता है, कैसे अपने कम प्रभाव वाले इलाके के लोगों के मन में बसी नकारात्मकता को दूर कर सकता है, यह सब कुछ आशीष अच्छे से जानते हैं और उनकी कंपनी इसे बहुत अच्छे से टैकल करती है. टैब और स्मार्टफोन्स से लैस युवाओं की टीम अपने क्लाइंट्स के इलाके में ढेरों किस्म के काम करती है जिसका अपडेट संबंधित नेता के स्मार्टफोन पर हर पल अपडेट रहता है. इस काम के लिए लाखों रुपये फीस लेने वाले आशीष गुप्ता खुद मानते हैं कि उन्हें इतनी जल्दी और इतने बड़े पैमाने पर सफलता मिल जाएगी, उम्मीद न थी.
ऊर्जावान युवा आशीष गुप्ता विगत 15 वर्षों से समाचार माध्यमों, विशेषकर समाचार-पत्रों में सतत रूप से सक्रिय रहे हैं. राष्ट्रीय सहारा से पत्रकारीय कर्म की शुरुआत संवाददाता के रूप में करने वाले आशीष ने लगभग 6 सालों तक दैनिक जागरण में सेवा दी. इस दौरान वह विभिन्न ब्यूरो में कार्यरत रहे. इस कामकाज के दौरान उनका नामचीन शख्सियतों से पाला पड़ता रहा. राजनीति और ग्लैमर वर्ल्ड की हस्तियों की हर गतिविधि पर बारीक नजर रखने वाले युवा पत्रकार स्वप्नदृष्टा आशीष ने गत दिनों दैनिक जागरण नॉएडा से त्याग-पत्र देकर स्वयं की कंपनी मेक यू बिग का शुभारम्भ किया और आज बेहद सफल स्टार्टअप के मालिक हैं. बाल्यकाल में पिता की मौत के बाद आशीष ने पत्रकारिता और एमबीए दोनों की पढ़ाई की. उनका यह दो फील्ड्स का जमीनी और सैद्धांतिक ज्ञान आज जलवे दिखा रहा है.
आशीष गुप्ता बताते हैं कि उन्होंने एक जोखिम भरा फैसला लिया. इसी जनवरी माह में पोलिटिकल स्ट्रेटेजिस्ट के तौर पर मेक यू बिग नाम से अपनी कंपनी बनाई. काम समय में ही कंपनी की साख बन गई. मेक यू बिग कंपनी पब्लिक रिलेशन, इवेंट मैनेजमेंट, ऑनलाइन ब्रांड मैनेजमेंट एंड प्रमोशन के क्षेत्र में सेवाएं प्रदान करती हैं. फिलवक्त कंपनी 2017 के चुनाव के दृष्टिगत कई दलों के प्रत्याशियों को ऑनलाइन व ऑफलाइन सेवाएं प्रदान कर रही है. 20 से अधिक प्रत्याशियों को कंपनी अपनी सेवा देती है. कंपनी ने कम समय में ही 65 से अधिक लोगों को रोजगार दिया.
बीजेपी ने जो मतदाता पंजीकरण अभियान सितम्बर माह में चलाया था, मेक यू बिग कंपनी उसे पांच महीने पहले चला चुकी है. करीब एक लाख नए मतदाताओं का पंजीकरण करा चुकी है. इसके अलावा कई विधानसभा क्षेत्रों में कंपनी सर्वे कर चुकी है. कंपनी के पास 5 लाख लोगों के मोबाइल नंबर सर्वे के माध्यम से एकत्रित हुए हैं. बीजेपी के यूपी प्रभारी ओम माथुर और कैबिनेट मंत्री कलराज मिश्रा ने भी कंपनी से सर्वे की रिपोर्ट मांगी है. कंपनी के पास मेक यू बिग एक्सपर्ट नाम से एक सॉफ्टवेर है. सर्वे करने के बाद विदेश में रहकर भी कोई प्रत्याशी अपने-अपने विधानसभा का रिपोर्ट पासवर्ड डालकर देख सकता है. मेरठ, मुज़ुफरनगर, सहारनपुर, आगरा, बदायूं, हापुड, बिजनोर, ग़ाज़ियाबाद में कंपनी काम कर रही है. कंपनी को यूपी के दूसरे कई इलाकों में काम करने के लिए ढेरों तेजतर्रार मीडियाकर्मियों और प्रबंधकों की जरूरत है.
आशीष उन युवाओं के लिए प्रेरणा हैं जो भरी जवानी में बुड्ढे हो जाते हैं और नौकरी करते रहने को अपनी नियति मान जीते जी मुर्दा लाश में तब्दील हो जाते हैं. भड़ास4मीडिया आशीष को सम्मानित कर सपने देखने, जोखिम लेने और खुद का उद्यम शुरू करने की इच्छा रखने वाले नौजवानों को हौसला प्रदान करता है.
आशीष गुप्ता से संपर्क उनके फेसबुक एकाउंट के जरिए कर सकते हैं, क्लिक करें : https://www.facebook.com/aashish.gupta.54943
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