–यशवंत–
एक ‘सी’ का मेल आया है. इसमें इसने बिना अपना नाम पता पहचान बताए सीधे ये बोला है कि छंटनी के शिकार लोगों के जो नाम दिए गए हैं खबर में, उसे हटाया जाए अन्यथा मुकदमा करने को मजबूर हो जाउंगा.
उस ‘सी’ उर्फ चिरकुट उर्फ सूतिये को मैंने जवाब दे दिया है कि मुकदमें का स्वागत रहेगा… पर इन अकल के अंधों को इतना भी पता नहीं है कि जिस छंटनी जैसे गंभीर मुद्दे पर पीड़ितों को गोलबंद होकर कंपनी के खिलाफ हो-हल्ला, लेबर कोर्ट में कंप्लेन आदि की कवायद करनी चाहिए तो सारी कोशिश नाम बाहर न आने देने की है ताकि इनकी बदनामी न हो.
अरे चिरकुट बदनामी तो तब होती है जब कोई निकाला जाए और बदले में वह नियम कानून के तहत एक प्रतिवाद भी दर्ज न करा सके. अगर सारी खुशी भड़ास पर मुकदमा कराने से मिलती है तो तू कर ले, हम लोग तो वैसे भी पहाड़ रेगिस्तान समंदर मैदान हर इलाके से मोहब्बत करते हैं, जिधर मुकदमा होता है उधर की घुमक्कड़ी का प्लान बना लेते हैं. कामकाज सारा डिजिटल है, दशक भर से ज्यादा समय से, इसलिए कोई फरक नहीं पड़ता कि मुकदमा कश्मीर में हुआ है या कन्याकुमारी में. मुकदमें से उनको डरइहो जिनकी इससे फटती हो. हम लोग मुकदमों की माला पहनकर ही भड़ास की शुरुआत किए हैं और यात्रा जेल तक की कर आए हैं.
प्रेम से, सम्मान से, अनुरोध पूर्वक कोई बात कहोगे तो उस पर विचार कर लेंगे. धमकाओगे तो फिर तुम कछु न उखाड़ पाओगे भइये… करते रहो मुकदमा…. हम लड़ते रहेंगे मुकदमा…
बस शर्म इतना कर लो कि ये मुकदमा अगर हिंदुस्तान अखबार पर कर देने की सोचते, अवैध तरीके से छंटनी करने के खिलाफ, तो तुम्हारी अंतरात्मा भी तुमको थैंक्यू कहती… पर तुम लोग हो तो इसी देश के नागरिक न… जो पेट पर लात मार रहा है उसको माई बाबू साबह कहते रहो, जो अवैध छंटनी की खबर दे रहा है और छंटनी के शिकार पीड़ितों का नाम लिख रहा है, उसे आंखें दिखा रहे हो…
तुम जैसों के लिए ही कहा गया है- हैं अकल के अंधे, पर नाम रखा है नयनसुख!
यशवंत
एडिटर
भड़ास4मीडिया डाट काम
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म
September 17, 2020 at 2:41 pm
उम्दा जवाब, कित्ते भी बुला लेओ
संजय कुमार सिंह
September 17, 2020 at 10:19 pm
इसका नाम पता मालूम करके इसके खिलाफ धमकी देने की एफआईआर कराइए। अगर यह कंपनी की तरफ से नहीं है, जिनका नाम छपा है उनकी तरफ से नहीं है तो धमकी देकर अपना उल्लू सीधा करना चाहता है। मेरे ख्याल से आईपीसी में यह अपराध है। एफआईआर तो बनती है।