क्या आप उस पत्रकार को जानते हैं जिसने रिलायंस और अंबानीज की नींद उड़ा रखी है? क्या उस पत्रकार को आप जानते हैं जिसने रिलायंस के लूट की कहानी सैकड़ों पन्नों में दर्ज की और इन पन्नों के किताब की शक्ल में छप कर सामने आते ही अंबानीज के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी? क्या उस पत्रकार को जानते हैं जिसे डराने के लिए अंबानी ब्रदर्स मुकेश और अनिल ने सौ-सौ करोड़ जुर्माने हर्जाने की नोटिस भेज रखी है और उस कानूनी नोटिस के दायरे में इस पत्रकार के करीबियों को भी लपेट लिया है? चलिए बता देते हैं. उस पत्रकार का नाम परंजय गुहा ठाकुरता है. रिलायंस की लूट को बेनकाब करने वाली इन्हीं की किताब ने तहलका मचा रखा है. किताब अभी तो अंग्रेजी में है लेकिन जल्द हिंदी में आने वाली है.
परंजय गुहा ठाकुरता हिंदी के पत्रकार नहीं हैं. इसलिए उन्हें हिंदी वाले कम ही जानते हैं. पर जो भारतीय पत्रकारिता, भारतीय सत्ता और सिस्टम की समझ रखते हैं उन्हें पता है कि परंजय गुहा ठाकुरता किस शख्स का नाम है. ऐसे दौर में जब ज्यादातर पत्रकार अंबानी जैसों के नौकर बनने को उतावले तत्पर हैं, तब परंजय गुहा ठाकुरता जैसे कुछ ही पत्रकार हैं जो दरअसल सच्ची पत्रकारिता करते हुए कार्पोरेट के लूटतंत्र का साहस के साथ खुलासा करते हैं. परंजय गुहा ठाकुरता ने रिलायंस और अंबानीज के गैस लूट को लेकर सैकड़ों पन्नों की एक किताब लिखी है. किताब से अंबानीज तिलमिला गए. क्या मुकेश अंबानी और क्या अनिल अंबानी. दोनों ने दनादन नोटिस भेजे परंजय गुहा ठाकुरता को. सौ करोड़ का डैमेज मांगा है. परंजय से जुड़े लोगों को भी कानूनी नोटिस के लपेटे में अंबानीज ने ले लिया है. पर परंजय गुहा ठाकुरता अडिग है. कहते हैं- ”कानूनी नोटिस से क्या होगा. अंबानीज कोर्ट में चलें. वहां असली परीक्षा होगी. कोर्ट में हम लोग जमकर लड़ेंगे अंबानीज से. इनकी लूट की सच्ची कहानी के पूरे फैक्ट्स हैं मेरे पास. जो कुछ मैंने लिखा है वह कोई कल्पना या मिथ नहीं. हर शब्द सच है और हर सच के पक्ष में दस्तावेज है मेरे पास.”
परंजय गुहा ठाकुरता से फोन पर भड़ास रीलांच को लेकर बात हो गई थी. डेट और टाइम तय हो चुका था. नियम समय पर उनके वेस्ट निजामुद्दीन स्थित घर पहुंचे. साथ में बड़े भाई और वरिष्ठ पत्रकार शीतल पी. सिंह थे. परंजय के घर जब पहुंचे तो देखा कि वो अपने घरेलू सेवक दीपचंद को अपना चमड़े का चप्पल दिखा रहे थे कि यहां वहां से टूट गया है, इसको प्लास्टिक में डालकर ले जाओ और किसी मोची से ऐसा बनवा कर लाना ऐसा चमकवा कर लाना जैसे बिलुकल नया हो. घरेलू सेवक दीपचंद के चेहरे पर बच्चों जैसी मुस्कान थी. कुछ वैसी ही मुस्कान परंजय के चेहरे पर थी. इतना बड़ा पत्रकार और इतना सहज! यह सोच देखकर मेरे और शीतल पी. सिंह के चेहरे पर मुस्कान थी.
परंजय दादा से बातचीत शुरू हुई. इसी क्रम में उन्होंने भड़ास को अपने लैपटाप पर खोला और पढ़ना शुरू कर दिया. मैंने फोटो खींचना शुरू कर दिया. हो गई रीलांचिंग. परंजय दा ने पानी और चाय पिलाने के बाद अपनी किताब को लेकर विस्तार से बात की. उनसे बातचीत का वीडियो तैयार किया. लिंक नीचे है. भड़ास4मीडिया के री-लांच की कुछ तस्वीरें भी यहां दी जा रही हैं. जाने माने पत्रकार परंजय गुहा ठाकुरता ने अपने हाथों भड़ास4मीडिया की वेबसाइट को रीलांच करने के बाद बातचीत के दौरान भड़ास के तेवर और सरोकार की प्रशंसा की. री-लांचिंग के मौक पर मौजूद वरिष्ठ पत्रकार शीतल पी. सिंह ने कहा कि आज के दौर में भड़ास जैसी वेबसाइटें और सोशल मीडिया जैसे माध्यम सच्ची पत्रकारिता कर रहे हैं. बाकी जिनके कंधों पर असल पत्रकारिता का ठेका था, उनमें से ज्यादार सत्ता और कार्पोरेट के चारण बन चुके हैं.
परंजय गुहा ठाकुरता जैसे जमीनी, सहज, मेहनती, ज्ञानी और सरोकारी पत्रकार को देखकर जब हिंदी पत्रकारों की तरफ नजर दौड़ाइए तो इक्का-दुक्का चेहरे ही नजर आते हैं, वरना ज्यादातर पेट, पैसा, जीभ, जांघ के चक्कर में ही हांफते नजर आते हैं. इन परंजय गुहा ठाकुरता का वीडियो इंटरव्यू वक्त निकाल कर देखिए-सुनिए. दावा है ज्ञान व सोच का स्तर जरूर बढेगा. भड़ास की री-लांचिंग के मौके पर परंजय गुहा ठाकुरता से वीडियो इंटरव्यू के लिंक यूं हैं, क्लिक करें…
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भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह की रिपोर्ट.
भड़ास की री-लांचिंग अभी पूरी नहीं हुई क्योंकि आपने तो री-लांच किया ही नहीं! कैसे? पढ़िए इसे…
भड़ास को परंजय गुहा ठाकुरता के साथ-साथ आप भी करिए री-लांच
परंजय गुहा ठाकुरता से संबंधित इन पोस्ट्स को भी पढ़ें…
भारतीय मीडिया का एक हिस्सा अब पहले से कम ‘स्वतंत्र और विश्वसनीय’ है
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Draft Statement of Concern on SLAPP Cases filed against authors, journalists and publishers
Saroj joshi
July 19, 2014 at 6:41 am
good work
niraj karmshil
July 20, 2014 at 4:10 am
sahi hai
manmohan
July 21, 2014 at 7:45 am
ज्यादातर पेट, पैसा, जीभ, जांघ के चक्कर में ही हांफते नजर आते हैं.
Pinky
July 22, 2014 at 11:49 am
good work…….keep it up