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वेब-सिनेमा

अगर आप नेट वीर हैं तो आपके लिए है ये ‘भड़ास कंटेंट मानेटाइजेशन वर्कशाप’

पूरे उत्तर भारत में इन दिनों आनलाइन मीडिया का जोर है. हर जिले में पत्रकार से लेकर पढ़े-लिखे वयक्ति तक अपने अपने न्यूज पोर्टल, ब्लाग, फेसबुक, यूट्यूब चैनल आदि पर सक्रिय हैं और खुद द्वारा क्रिएट जनरेट कंटेंट अपलोड कर रहे हैं. फिलहाल ज्यादातर लोग यह काम शौकिया करते हैं. लेकिन अब इस दौर में जब गूगल जैसा बड़ा ग्रुप हिंदी में कंटेंट रचने वालों को, वीडियो डालने वालों को जमकर डालर दे रहा है, गूगल एडसेंस व कंटेंट मानेटाइजेशन के जरिए, हिंदी पट्टी के अधिकतर लोग अनजान हैं कि आखिर कैसे वे अपने दम पर, अकेले के बल पर महीने में पांच से पचास हजार रुपये तक कमा सकते हैं.

पूरे उत्तर भारत में इन दिनों आनलाइन मीडिया का जोर है. हर जिले में पत्रकार से लेकर पढ़े-लिखे वयक्ति तक अपने अपने न्यूज पोर्टल, ब्लाग, फेसबुक, यूट्यूब चैनल आदि पर सक्रिय हैं और खुद द्वारा क्रिएट जनरेट कंटेंट अपलोड कर रहे हैं. फिलहाल ज्यादातर लोग यह काम शौकिया करते हैं. लेकिन अब इस दौर में जब गूगल जैसा बड़ा ग्रुप हिंदी में कंटेंट रचने वालों को, वीडियो डालने वालों को जमकर डालर दे रहा है, गूगल एडसेंस व कंटेंट मानेटाइजेशन के जरिए, हिंदी पट्टी के अधिकतर लोग अनजान हैं कि आखिर कैसे वे अपने दम पर, अकेले के बल पर महीने में पांच से पचास हजार रुपये तक कमा सकते हैं.

इसी स्थिति को ध्यान में रखते हुए भड़ास ने हिंदी पट्टी के उन लोगों के लिए दिल्ली में एक वर्कशाप का आयोजन किया है जो आनलाइन मीडिया के माध्यम से पत्रकारिता करना चाहते हैं और इसी काम से घर बैठे ही इमानदारी से धनोपार्जन करना चाहते हैं. भड़ास4मीडिया के संस्थापक और संपादक यशवंत सिंह कहते हैं: ”जब भड़ास ब्लाग हम लोगों ने शुरू किया था तो 2007 में गूगल के मानेटाइजेशन प्रोग्राम को एडाप्ट कर गूगल एडसेंस के विज्ञापन कोड लगाने से पहली दफे पांच हजार रुपये का चेक अमेरिका से आया तो मुझे अजीब-सी खुशी हुई. तभी लगने लगा था कि यही काम आगे करते हुए कमाया जा सकता है. तब भड़ास ब्लाग गूगल के ही ब्लागस्पाट पर था. हमारा खुद का कोई खर्चा नहीं था. जब भड़ास4मीडिया डोमेन नेम लेकर अपने सर्वर पर कामकाज शुरू किया तो पता चला कि गूगल ने हिंदी वालों के लिए विज्ञापन देना ही बंद कर दिया. तब बड़ी निराशा हुई. भड़ास चलाने के लिए बाहरी विज्ञापन, चंदे और मित्रों के आर्थिक सपोर्ट पर निर्भर रहना पड़ा. पर अब जब फिर से गूगल ने हिंदी वालों के लिए एडसेंस शुरू किया है तो भड़ास4मीडिया ने इसे अपनाया और इसका आश्चर्यजनक रिजल्ट पाया. इन दिनों गूगल एडसेंस के जरिए भड़ास4मीडिया को जितना पैसा मिल रहा है, उसकी कल्पना हम लोगों ने नहीं की थी. तभी लगा कि क्यों न हम लोग इस परिघटना को अपने दूसरे भाइयों-साथियों को बताएं, उन्हें ट्रेंड करें और आत्मनिर्भर बनाएं. बिना खुद की आर्थिक निर्भरता की ब्लाग, वेबसाइट, पत्रकारिता लंबे समय तक संभव नहीं है. इसलिए इन्हीं सब चीजों को ध्यान में रखते हुए भड़ास वर्कशाप का आयोजन किया जा रहा है. आज हर जिले में दो चार वेबसाइट्स वहां के स्थानीय पत्रकारों द्वारा चलाई जा रही है. हर जिले में वीडियो जर्नलिस्ट और कैमरामैन हैं जो रोजाना वीडियो शूट करते हैं. ये लोग अगर गूगल मानेटाइजेशन के तौर-तरीके को समझ कर अपना लें तो हर महीने एक अच्छी रकम घर बैठे कमा सकते हैं. कुल मिलाकर यह वर्कशाप उन लोगों के लिए है जो सीखना चाहते हैं, अपनी आज की स्थिति से आगे बढ़ना चाहते हैं, अपने आनलाइन कामकाज को मानेटाइज करना चाहते हैं. इस वर्कशाप में कोई भी शिरकत कर सकता है. इस आयोजन का मकसद हिंदी पट्टी के आधुनिक नेटफ्रेंडली युवाओं, उत्साही नागरिकों, सरोकारी मीडियाकर्मियों, दक्ष प्रोफेशनल्स को खुद के दम पर अर्निंग का वैकल्पिक रास्ता सुझाना-बताना-विकसित करना है. आमतौर पर हम हिंदी पट्टी वाले दूसरों की नौकरी करने के लिए ज्यादा तत्पर रहते हैं, खुद का काम खड़ा करने और उसका बिजनेस माडल डेवलप करने से दूर-दूर भागते हैं. इस आयोजन का मकसद लोगों को नौकरी करने की जगह खुद का काम करने को प्रेरित करना भी है.

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इस वर्कशाप में आनलाइन माध्यमों के जरिए पैसे कमाने के तरीके पर अपने अपने फील्ड के कई विशेषज्ञ प्रशिक्षण देंगे. साथ ही भाग लेने वाले लोगों को मौके पर ही कंटेंट मानेटाइजेशन के लिए ट्रेंड कर उनका एकाउंट खुलवाया जाएगा. भड़ास का दावा है कि इस वर्कशाप से लौटा हर शख्स अगर नियमित पांच से दस घंटे तक कंटेंट अपलोड का काम करता है तो महीने में पांच हजार रुपये से लेकर पचास हजार रुपये तक कमा सकता है. वर्कशाप में शामिल होने के लिए 1100 रुपये का रजिस्ट्रेशन फीस रखा गया है. इस फीस में सबको स्पेशल डिनर पैकेट दिए जाने के साथ ही गिफ्ट भी दिया जाएगा. इसके अलावा पूरे साल भर तक कंटेंट मानेटाइजेशन को लेकर आनलाइन सलाह, ट्रेनिंग, मदद दी जाएगी. भड़ास4मीडिया के जरिए प्रत्येक पार्टीशिपेंट के आनलाइन माध्यम का प्रचार प्रसार कर उसे लोकप्रिय बनाया जाएगा. रजिस्ट्रेशन फीस इसलिए भी रखा गया है ताकि सीरियस लोग ही आएं. ऐसे लोग आएं जो आनलाइन मीडिया माध्यम के बिजनेस माडल को एक्सप्लोर करने की मंशा रखते हों. केवल तमाशा देखना मकसद न रहे. इस वर्कशाप में देश के कुछ जाने-माने ब्लागर व न्यू मीडिया संचालक मौजूद रहेंगे जो अपने आनलाइन कामकाज से अच्छा खासा कमा रहे हैं. ये लोग अपने अनुभवों को शेयर करेंगे और प्रशिक्षित भी करेंगे. वर्कशाप क्लोज डोर होगा. सिर्फ उन्हीं को प्रवेश दिया जाएगा, जिन्हें आनलाइन एप्रूवल मिलेगा.

वर्कशाप के डिटेल इस प्रकार हैं-

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  • दिनांक: 17 अप्रैल 2015
  • समय: दिन में साढ़े तीने बजे से साढ़े सात बजे तक
  • स्थान: उर्दू भवन, दीन दयाल उपाध्याय मार्ग, (आईटीओ के नजदीक), नई दिल्ली
  • रजिस्ट्रेशन फीस: 1100 रुपये
  • पेमेंट का तरीका: वर्कशाप के दिन मौके पर ही फीस जमा कर प्रवेश दिया जाएगा
  • प्रशिक्षण टापिक : कंटेंट मानेटाइजेशन, गूगल एडसेंस, वेबसाइट संचालन से धनलाभ, यूट्यूब से अर्निंग, आनलाइन शॉप, आनलाइन अर्निंग के अन्य टिप्स, सवाल-जवाब सत्र, व्यावहारिक प्रशिक्षण
  • सुविधा : प्रत्येक पार्टिशिपेंट को एक स्पेशल डिनर पैकेट प्रोग्राम खत्म होने के बाद दिया जाएगा. साथ ही एक स्पेशल गिफ्ट भी. भड़ास4मीडिया के जरिए प्रत्येक पार्टीशिपेंट के आनलाइन माध्यम का प्रचार किया जाएगा ताकि उन्हें ज्यादा से ज्यादा हिट्स प्राप्त हो सकें.
  • ध्यान रखें : जो भी इस आयोजन में शिरकत करेगा, वह अपने यात्रा व्यय पर आएगा-जाएगा. साथ ही वह अपने रहने रुकने का खुद ही इंतजाम करेगा. अपने साथ अपना लैपटाप और इंटरनेट हेतु डाटा कार्ड ले आएगा.
  • कौन लोग शामिल हो सकते हैं : भड़ास की कोशिश है कि इस वर्कशाप में सिर्फ उन्हीं लोगों को भाग लेने का मौका दिया जाएगा जो दिल-दिमाग दोनों से आनलाइन माध्यमों से जुड़े हैं और इस माध्यम से धनोपार्जन कर आगे बढ़ने की सोच रहे हैं. जरूरी नहीं कि आप पत्रकारिता या न्यूज से जुड़ी वेबसाइट ही चलाते हैं. आप अगर कैमरामैन हैं तो भी इसमें शिरकत कर सकते हैं. आप टूरिज्म से लेकर किसी भी फील्ड की वेबसाइट का संचालन करते हैं तो भी इस वर्कशाप में शामिल हो सकते हैं. अगर आप रोजना बहुत सारी खबरें, रिपोर्ताज, फीचर या अन्य कंटेंट जनरेट करते हैं तो आप भी शिरकत कर सकते हैं. आपके अंदर गाने, बनाने, पकाने, बताने, सुनाने, घूमने की प्रतिभा औरों से कुछ ज्यादा है तो भी आप इसमें शिरकत कर सकते हैं.
  • संख्या : कुल 100 लोग इसमें शिरकत कर सकते हैं. सौ की संख्या पूर्ण होते ही रजिस्ट्रेशन बंद कर दिया जाएगा.
  • शामिल होने का तरीका : आप अपना नाम, मोबाइल नंबर, पता, आनलाइन सक्रियता (अपने ब्लाग, वेबसाइट, फेसबुक, ट्विटर के डिटेल) का विवरण लिखकर [email protected] पर मेल कर दें. भड़ास टीम द्वारा शुरुआती स्क्रीनिंग के बाद वर्कशाप में शिरकत करने की सहमति प्रदान किए जाने के बारे में सूचित किया जाएगा. वही लोग वर्कशाप में हिस्सा लेने आ सकेंगे जिन्हें आनलाइन एप्रूवल भड़ास की तरफ से मिलेगा. एप्रूव लोगों को एक कोड दिया जाएगा जिसे वर्कशाप के दिन रजिस्ट्रेशन के समय बताना होगा.

किसी अन्य जानकारी के लिए या सवाल पूछने के लिए या सुझाव देने के लिए या इस कांसेप्ट पर विमर्श करने के लिए अपनी बात [email protected] पर मेल कर सकते हैं.

 


”हजार रुपये लेकर आपको हजारों रुपये का धनोपार्जन कराने में मुझे दिली खुशी होगी. सो, आइए कुछ उद्यमिता की बातें कर ले. बहुत दिनों से यह मन में था कि हिंदी पट्टी के अपने आनलाइन एक्टिव साथियों को ट्रेंड करूं, प्रोफेशनल बनाउं, आनलाइन बिजनेस माडल के ए से लेकर जेड तक का ज्ञान दिलाउं… पर आलस्य के कारण सब कुछ टलता रहा. अब अचानक तय कर लिया गया है. उर्दू भवन बुक हो चुका है. सारी तैयारियां जोर शोर से चल रही हैं. वादा है, अगर वर्कशाप में शामिल होने के बाद हजारों रुपये महीने कमाने की शुरुआत न कर पाए तो हजार रुपये वापस. आखिर जब भड़ास से मैं रोजना दर्जनों डालर कमा सकता हूं तो ये ज्ञान दूसरों को क्यों नहीं दे सकता, दिला सकता. पढ़िए, सोचिए और यकीन करिए. हिंदी पट्टी में भाषण बहुत ज्यादा है, कर्मठता, प्रशिक्षण और ज्ञान बहुत कम. जिन्हें नौकरी से ज्यादा खुद की आत्मनिर्भरता प्यारी है, उन्हें दिल से कहना चाहूंगा कि वे आएं, शिरकत करें और एक नई दुनिया को एक्सप्लोर कर खुद को आर्थिक रूप से निर्भर बनाने की दिशा में मजबूत कदम बढ़ाएं.”

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भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह के फेसबुक वॉल से. 

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16 Comments

16 Comments

  1. विवेक रस्तोगी

    April 14, 2015 at 8:31 am

    हम भी इस वर्कशॉप में आना चाहते थे, शायद हमें भी बहुत कुछ सीखने को मिलता, पर हम केवल सप्ताहांत में ही आ सकते हैं, सप्ताह के बीच में नहीं, अभी हम भी अपने ब्लॉगों से कुछ तो कमा ही रहे हैं, बस अब तेजी से आगे बड़ना है, यशवंत भाई आपका प्रयास सराहनीय है।

  2. विनोद सावंत

    March 31, 2015 at 5:11 pm

    करना बहुत कुछ चाहते है …लेकिन जब नये आते युवा पत्रकारों पर 1100 सौ रुपये को बोझ हो जाये तो वह कैसे आ सकते है..जिनकी सैलरी ही 8 से 10 हजार होती है ..उसी में से अपना महीने का खर्च निकालते है ….आखिर वह कैसे आ पायेंगे …आना चाहकर भी … दिमाक की सारी बत्ती ऑन हो जाती है..जब 100 लोग शिरकत कर सकते है ..कहने का अर्थ हुआ 1100 रुपय गुणा 100 कुल हुए… 1 लाख दस हजार … जो 1100 रुपये नही दे सकते वह क्या करें ..मजबूरी का कोई जबाव है सर आपके पास….

  3. vikash singh

    April 1, 2015 at 5:13 am

    Fee 501 kar dijeye ..achha arhega garib patrkaro ke liye..dhan uparjan hone lagega to phir …apke site ke liye 500 bhej denge….abhi to bas itna main kaam chala lijiye…dinner pkt mat dijiyega…

  4. yashwant singh

    April 1, 2015 at 6:20 am

    Vinod sawant ji. आप रोते रहना। आप जैसे रोते ही रहेंगे। जिनको करना होता है वो कर लेता है। हर शुरुवात छोटी और मुश्किल होती है। जब हमने भड़ास शुरू किया था तो घर में खाने और किराये के पैसे नहीं थे। लेकिन ज़िद जूनून ने सब संभव कर दिखाया। उद्यमिता का पहला गुण साहस होता है। आर्थिक रुकावट से ज्यादा दिक्कत वाली बात मानसिक रुकावट है। मन में पाजिटिविटी है, साहस है, ज़िद है, तो आर्थिक अड़चन रास्ता नहीं रोक सकती। हिंदी पट्टी के लोग रोते रहते हैं। दूसरों को कोसते रहते हैं। आप भी रोते रहिये। हाय हाय करते रहिये। आप की समस्याएं कम नहीं होंगी। ख़त्म नहीं होंगी।प रोते रहना। आप जैसे रोते ही रहेंगे। जिनको करना होता है वो कर लेता है। हर शुरुवात छोटी और मुश्किल होती है। जब हमने भड़ास शुरू किया था तो घर में खाने और किराये के पैसे नहीं थे। लेकिन ज़िद जूनून ने सब संभव कर दिखाया। उद्यमिता का पहला गुण साहस होता है। आर्थिक रुकावट से ज्यादा दिक्कत वाली बात मानसिक रुकावट है। मन में पाजिटिविटी है, साहस है, ज़िद है, तो आर्थिक अड़चन रास्ता नहीं रोक सकती। हिंदी पट्टी के लोग रोते रहते हैं। दूसरों को कोसते रहते हैं। आप भी रोते रहिये। हाय हाय करते रहिये। आप की समस्याएं कम नहीं होंगी। ख़त्म नहीं होंगी।

  5. yashwant singh

    April 1, 2015 at 6:22 am

    Vikas singh ji, sirf aayojan ka kharch nikal raha hai 1100 rs mei. kharche ka detail publish kar diya jaayega aayojan ke baad.

  6. Manoj Kaushik

    April 1, 2015 at 5:06 pm

    हद हो गई भई ! मात्र 1100 रुपये मे इतने काम की जानकारी मिल रही है. कोई आदमी इतना प्रचार प्रसार कर रहा है, लोगों को आजीविका का रास्ता दिखा रहा है… और कुछ लोग है की इसमे भी छीछालेदारी से बाज नही आ रहे…..

  7. Sushil Gangwar

    April 2, 2015 at 6:29 am

    Mere bade bahut uttam kaam kar rahe hai .. Mai mumbai me hu . Varna mai bhi seekhta .. Dher saari badhai ..

    Editor
    Sushil Gangwar
    Sakshatkar.com

  8. Amit

    April 2, 2015 at 12:04 pm

    यशवन्त भईया को सादर प्रणाम, इस शानदार पहल के लिए ह्रदय से साधुवाद, एक निहोरा है आपसे कि हो सके तो इस वर्कशॉप को ऑनलाइन करने का प्रयास करें जिससे कि दूरदराज के लोग भी लाभान्वित हो सकें। फीस वगैरह सब उतना ही रखिये केवल फीस जमा करने वालो को ऑनलाइन देखने व समझने की सुविधा उपलब्ध करा दिजिए………..अगर इस बार संभव ना हो तो अगले किश्त में ही सही ………………शेष आप खुद जीनियस है इस मामले में……………सधन्यवाद आपका छोटा भाई ……………..अमित बनारस से

  9. Kaushalendra

    April 3, 2015 at 3:46 pm

    यशवंत जी हिन्दी पट्टी के लिए खुलकर सहयोग करने को तैयार रहते है। इसीप्रकार हिन्द युग्म के संस्थापक शैलेश भारतवासी जी भी है। लेकिन मेरा सहयोग नहीं हो रहा है। चूंकि यशवंत सर की व्यस्तता अधिक रहती है। इसलिए उनको मैं कष्ट नहीं देना चाहता। मैं एक वेबसाइट लांच करना चाहता हूं। लेकिन तकनीकी जानकारी के अभाव में कदम नहीं बढ़ा पा रहा हूं। इसके लागत और खर्चे के बारे में जानकारी देने का प्रयास करें आप सभी का आभारी रहूंगा।
    [email protected]

  10. anuj kumar maurya

    April 3, 2015 at 6:56 pm

    यशवंत जी नमस्कार, आपका ये प्रयास देखकर बहुत अच्छा लगा। इससे उन पत्रकार भाइयों और बहनों को भी मदद मिलेगी, जिन्होंने अपना समय और पैसा लगाकर पत्रकारिता की पढ़ाई तो कर ली, लेकिन सोर्स नहीं होने की वजह से मीडिया हाउस से उन्हें धुतकार दिया जाता है। मैंने भी हाल ही में khabarinshort.com नाम से एक वेबसाइट शुरू की है, जिसके जरिए चंद लाइनों में हर खबर का सार लोगों तक पहुंचाना मेरा लक्ष्य है। बहुत दिनों से सोच रहा था कि आखिर लोगों तक अपनी पहुंच कैसे बनाऊं। अब आपके इस प्रोग्राम ने मुझे एक बार फिर उत्साह और साहस से भर दिया है। आपके प्लेटफॉर्म से प्रचार-प्रसार में मदद की बात से मुझे बहुत खुशी हुई है। आपके इस कार्यक्रम में मैं जरूर आउंगा और कोशिश करूंगा एक दिन आपकी तरह बहुत सारी चींजें सीखकर मैं भी दूसरों तक उस ज्ञान को पहुंचा सकूं। आपका छोटा भाई, अनुज मौर्या, khabarinshort.com

  11. vikash singh

    April 4, 2015 at 7:34 am

    OK, Thank you for your kind reply. Satisfied with the response, i will be there. Regards!

  12. dilip soni

    April 5, 2015 at 4:19 pm

    जो लोग ११०० रूपये नहीं भरना चाहते वो मेरे ब्लॉग पे विजिट करें

  13. Kaushalendra

    April 11, 2015 at 1:46 pm

    [quote name=”dilip soni”]जो लोग ११०० रूपये नहीं भरना चाहते वो मेरे ब्लॉग पे विजिट करें[/quote]
    ap ke blog ka name kya h

  14. SUNNY KUMAR

    April 13, 2015 at 8:28 am

    सर वर्कशॉप में आने के पहले किन किन चीजों की तकनीकी जानकारी आवश्यक है? कुछ हिंट कर देते तो आसानी होती. शुक्रिया सर

  15. ajay dayal

    April 15, 2015 at 4:34 am

    congratulations….bosss, i m reaching…

    abhi ye seminar google wale karate to log 1100 kya 11,000 dene ko taiyar milte aur koi na sawal karta na kami nikalta bhale use vahan jakar ‘baba ji thullu’ hath lagta, chunki seminar ek journalist kara raha hai jisase patrkarita ki duniya janti hai so kamiya ginane aur nafa-nuksan ki ganit lagane walon ki kami nahi.

  16. बी एस पाबला

    April 16, 2015 at 1:51 pm

    सार्थक प्रयास

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