ये तो बड़ी अजीब सी बात, कि हम आप के लिए खबर लिखें और उसके बदले लिफाफे में पांच हजार रुपए डाल कर हमे उसे कोरियर से भेजें। कुछ ऐसा ही वाकया गुजरा आज भड़ास4मीडिया के साथ। ये चौंकाने वाला घटनाक्रम है, 18 मई, 2015 को भड़ास4मीडिया पर प्रकाशित ‘कानपुर ‘लाल इमली महाघोटाले’ पर हाईकोर्ट के रुख से वस्त्र मंत्रालय हिला’ शीर्षक समाचार के संबंध में।
गौरतलब है कि वस्त्र मंत्रालय (भारत सरकार) के अधीन बीआईसी कानपुर (उ.प्र.) के पुनरुद्धार में हुए लगभग हजार करोड़ के भूखंडीय महाघोटाले ने लाल इमली के लगभग ढाई हजार अधिकारियों, कर्मचारियों की रोजी रोटी सांसत में डाल रखी है। हालात से उनकी कमर ही टूट गई है। बताते हैं कि हाईकोर्ट के फैसलों के बावजूद इतना बड़ा घोटाला आजतक कानपुर से दिल्ली तक सुर्खियों में न आ पाने की खास वजह है, पर्दे के पीछे इस खेल में एक बड़े मीडिया घराने का मुख्य रूप से संलिप्त होना। इसी मामले पर हाल में ही 8 मई 2015 को पीएमओ में संयुक्त सचिव स्तरीय बैठक भी हुई थी। मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी विचाराधीन है।
भड़ास4मीडिया ने प्राप्त पर्याप्त दस्तावेजों के संज्ञान सहित सविस्तार गत 18 मई को प्रकाशित किया। अब आगे का हाल जानिए। खबर प्रकाशित होने के आज पांचवें दिन भड़ास4मीडिया को कोरियर से एक लिफाफा प्राप्त हुआ। लिफाफे में प्रकाशित खबर के प्रिंट, वर्ष 2014 में सिविल लाइन कानपुर निवासी शक्तिभार्गव के नाम इसी मामले में प्रेषित पीएमओ का एक पत्र, और उसी लिफाफे के अंदर रखे छोटे लिफाफे में 5000 हजार रुपए के नोट मिले। ऐसा क्यों किया गया, समझ से परे नहीं। पत्रकारों को उपकृत करने का जो बेईमान चलन मीडिया घरानों और भ्रष्ट तंत्र ने चला रखा है, ये उसी का एक छोटा सा नमूना लगता है… कि ‘तुम खबर छापो, हम तुम्हे नोट देंगे।’
ये करतूत चाहे जिसकी हो, प्राप्त कोरियर लिफाफे पर ‘ओम प्रकाश, डिप्टी मैनेजर बीआईसी, 16/30, सिविल लाइन्स, खलासी लाइन, कानपुर’ का पता दर्ज है। भड़ास4मीडिया के पास वे पांच हजार रुपए रखे हुए हैं। ये सूचना जानने के एक माह के अंदर नाजायज पैसे भेजने वाले महोदय अपने ये पांच हजार रुपए भड़ास4मीडिया कार्यालय दिल्ली से प्राप्त कर लें। अन्यथा ये रकम किसी जरूरतमंद को दे दी जाएगी। साथ ही, उन्हें ये सबक लेना है कि हर पत्रकार बिकाऊ नहीं। उनकी आदत खराब है तो उसे सुधार लें वरना ऐसी करतूतों पर उन्हें कभी लेनी की देनी पड़ जाएगी। खैर मनाएं कि हम ये मामला पुलिस तक नहीं ले जा रहे हैं। उनकी करतूत तो इसी तरह की है। खबर और कोरियर से संबंधित सारे साक्ष्य भड़ास4मीडिया ने अपने पास सुरक्षित रख लिए हैं।
..और ये है 18 मई 2015 को भड़ास4मीडिया पर प्रकाशित उस समाचार का लिंक –
कानपुर लाल इमली महाघोटाले पर हाईकोर्ट के रुख से हिला वस्त्र मंत्रालय
मुकेश भारतीय
May 22, 2015 at 10:38 am
एक माह बाद जरुरतमंदो की सूची में मुझे भी डाल कर विचार कीजियेगा। बिना पैसे दिए मेरा वकील सही से मेरा वो चर्चित केस नहीं लड़ रहा है। 😆