याद पिया की आए…. बड़े-बड़े संपादक मिलने के लिए योगी जी के यहां लाइन लगाए… पूरी कहानी जानिए ‘भड़ासानंद कहिन’ सीरिज के नीचे दिए गए पहले वीडियो में… इस वीडियो के जरिए एक नया प्रयोग भी किया हूं… न्यूज कमेंटरी लाइव… तो कभी जोक-चुटकुला… तो कभी जीवन-ब्रह्मांड की बातें लाइव…
देख के बताइएगा, कैसे रहा प्रयोग…
और हां, वीडियो देखने के बाद भड़ास के यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइव करना न भूलिएगा ताकि ‘भड़ासानंद कहिन’ सीरिज का नेक्स्ट वीडियो खुद ब खुद आप तक नोटिफाई हो जाए…
तब तक इसे देखिए… याद पिया की आए… हाए… 🙂
वीडियो देखने के लिए नीचे क्लिक कर दें :
–यशवंत सिंह
Editor
Bhadas4Media.com
भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह के उपरोक्त एफबी स्टेटस पर आए कुछ प्रमुख कमेंट्स इस प्रकार हैं….
Ashok Aggarwal न्यूज़ तो बढिया है ही आवाज़ तो वाकई गजब है अच्छे सुर के साथ…
Yashwant Singh ha ha thanku sir.
Vinod Bhardwaj संपादकों की योगीजी से मुलाकात की खबर की बढ़िया “आरती” उतारी है यशवंत भाई ! बढ़िया प्रयोग ।
Ashish Rai Kaushik संपादक लोग चरण वंदना करने गए होंगे…
Nikhil Sharma Arey wah yaad piya ki aaye rocking u r also a good singer
Yashwant Singh हा हा थैंक्यू भाई 🙂
Trilochan Shastri मन लट्टू हो गया। लगे रहिए। बढिया प्रयोग किया है। पत्रकारिता के शुरुआती स्वप्न तक पहुँचाया है, आधुनिक पत्रकारिता के प्रस्थानबिंदु पर पहुँचाया है। अच्छा लगा। यही चाहिए।
Journalist Yogesh Bharadwaj कदम अच्छा है लेकिन तर्क और तथ्यो का अभाव है आपका ये नया आइटम अगर तीखा हो हमलावर हो तो और भी अच्छा हो सकता है
Journalist Yogesh Bharadwaj आप तो शांत चित्त हो गए बुरा लिख दिया क्या आपके उत्साह वर्धन के लिए अपनी राय दी थी जो की कोई भी किसी को दे देता है फ्री में जैसे की इस देश की प्रथा है ज्ञान बाटने की सो मेने भी बाँट दिया
Yashwant Singh सभी सुझावों का हृदय से स्वागत है भाई. अपना काम है प्रयोग करना. देखने वालों का काम है फीडबैक देना. हम दोनों अपने अपने हिस्से का काम कर रहे हैं. 🙂
Journalist Yogesh Bharadwaj शुक्रिया आभार आपका यशवंत जी
Kamta Prasad प्रयोग बढ़िया रहा, जारी रखें। पर धाराप्रवाह बोलें अटकें नहीं। माने पूर्व तैयारी आवश्यक है। कैमरे पर आने से पहले।
Yashwant Singh तनखा देते हैं का कि धाराप्रवाह बोलें…हम अटक अटक के बोलेंगे… एकाध कोई हकला एंकर भी तो होना चाहिए 😀
Kamta Prasad बोलने और सोचने यानि दोनों काम जब एक साथ होता है Yashwant Singh, तो अटकना पड़ता है। कांटेंट दमदार तो है यह शैली भी चलेगी।
Sanjaya Kumar Singh तनख्वाह नहीं देते हैं तो का हुआ देखते हैं ना। बिना पैसा लिए। ये कम है क्या? मजाक अलग, तैयारी से बोलने से सुनने वाले को अच्छा लगता है। पहले कहा जाता था कि लिखे हुए शब्द की गंभीरता होती है। टीवी ने वीडियो की गंभीरता स्थापित कर दी है। इसलिए गंभीरता से बोला जाए तो दर्ज होगा। ऐसा मेरा मानना है।
Ved Ratna Shukla यशवंत भैया वैसे भी हकलाते हैं 🙂 और उनके जैसी लाइव कमेंट्री कोई एंकर नहीं कर सकता. मैंने कई बार प्रत्यक्ष देखा है.
Ramji Mishra सर आपकी कोचिंग कहाँ है?
DrMandhata Singh बहुत बढ़िया।
Niraj Modi बहुत बढ़िया प्रयोग। थोड़ा साउंड क्वालिटी पर ध्यान देने की जरूरत। ऐसे लाइव में लापेल माइक का उपयोग बेहतर होता है।
Shweta R Rashmi सही पकडे है साथ ही ये भी बता देते की किस तरह संस्थान में भाई भतीजा वाद कर रहे हैं
Dinker Srivastava गुड वेरी गुड…लगे रहिये डटे रहिये…..समझते रहिये समझाते रहिये….बटोरते रहिये फैलाते रहिये…
Kanttilal Jain Bammnia Acchey din hey desh badal raha hey.. desh bhakt media bikega nahi to chalega kese..
‘भड़ासानंद कहिन’ सीरिज का दूसरा वीडियो देखें…
संदीप ठाकुर
April 17, 2017 at 10:07 am
क्या बातें हुई हाेंगी सीएम आैर संपादकाें के बीच….सवाल माैंजू आैर नितांत घातक है। घातक मीडिया वालाें के लिए। क्याेंकि 30 साल के पत्रकारिता के कैरियर में मुझे भी एेसी एक दाे मीटिंग एटेंड करने का माैका मिला है। वैसे ताे संपादक इसे कटसी विजिट का नाम देते हैं। लेकिन एेसा है नहीं। इस तरह की मीटिंग में एक डील हाेती है…बेहद सभ्य शब्दाें में। डील का लब्बाेलुआब हाेता है कि आपकाे भी अखबार चलाना है आैर मुझे राज्य…दाेनाें काे एक दूसरे का ख्याल ताे रखना ही चाहिए..नहीं पड़ेगा। फिर शुरू हाे जाता है खेल। जनता आैर पत्रकारिता गई भांड में। हाेती हुई खबर भी अखबाराें व चैनलाें से गायब। आैर न हाेती हुई घटना भी खबर के ताैर पर पेश आैर फिर उसे मीडिया हाईप…कर भाैकाल खड़ा करने का सिलसिला जारी। मसलन जनता काे चाहिए बुनियादी सुविधा ताे मीडिया बात करेगा गाे रक्षा की। गर्मी में जनता जूझ रही हाेगी जल संकट से ताे मीडिया चर्चा करता दिखेगा…ट्रिपल तलाक। जनता जूझ रही हाेगी बिजली संकट से ताे मीडिया बात करता दिखेगा..याेगी सुबह 4 बजे उठ जाते हैं..नाश्ते में चना गुड़ खाते हैं…बगैरह ..बगैरह। संपादकाें आैर शासकाें में यही तय हाेता है। जनता काे बरगलाने का तरीका। जय हाे….
जनार्दन यादव
April 17, 2017 at 10:59 am
पिया का पद बड़ा होगा तो पिछलगुओ को पायलग्गी करना तो पड़ेगा ही,भले ही उचित पुरस्कार न पाने पर पश्चयताप ही क्यों न करना पड़े।अलग तासीर,अलग कलेवर,संगीतमय प्रस्तुति मन मोह लिए जी।
Pramod kumar Singh
April 17, 2017 at 12:49 pm
यशवंत जी निष्पक्षता से कार्य करते आ रहें हैं,यह मैं 2013 से देख रहा हूँ जब मुझपर 24 झोलाछाप पत्रकारों ने केस कर दिया था।इतना ही शशिशेखर ने भी cyber crime depatt में भी हमारे ऊपर केस कर दिया था!मुँह की खानी पड़ी थी शशिशेखर को और 24झो.छाप पत्रकारों को।