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सुख-दुख

भड़ासी चुटकुला : शामियाना सिलवाना हो तो इंडियन मीडिया को रख लीजिए!

एक बादशाह ने रफूगर रखा हुआ था, जिसका काम कपड़ा रफू करना नहीं, बातें रफू करना था. एक दिन बादशाह दरबार लगाकर शिकार की कहानी सुना रहे थे, जोश में आकर बोले – एकबार तो ऐसा हुआ मैंने आधे किलोमीटर से निशाना लगाकर जो एक हिरन को तीर मारा तो तीर सनसनाता हुआ हिरन की बाईं आंख में लगकर दाएं कान से होता हुआ पिछले पैर के दाएं खुर में जा लगा.

जनता ने कोई दाद नहीं दी. वो इस बात पर यकीन करने को तैयार ही नहीं थे.

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इधर बादशाह भी समझ गया ज़रूरत से ज़्यादा लम्बी छोड़ दी.. और अपने रफूगर की तरफ देखने लगा…

रफूगर उठा और कहने लगा.. हज़रात मैं इस वाक़ये का चश्मदीद गवाह हूँ, दरसल बादशाह सलामत एक पहाड़ी के ऊपर खड़े थे हिरन काफी नीचे था, हवा भी मुआफ़िक चल रही थी वरना तीर आधा किलोमीटर कहाँ जाता है… जहां तक बात है ‘आंख’ , ‘कान’ और ‘खुर’ की, तो अर्ज़ करदूँ जिस वक्त तीर लगा था उस वक़्त हिरन दाएं खुर से दायाँ कान खुजला रहा था,

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इतना सुनते ही जनता जनार्दन ने दाद के लिए तालियां बजाना शुरू कर दीं…

अगले दिन रफूगर बोरिया बिस्तरा उठाकर जाने लगा… बादशाह ने परेशान होकर पूछा– कहाँ चले?

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रफूगर बोला- बादशाह सलामत मैं छोटी मोटी तुरपाई कर लेता हूँ, शामियाना सिलवाना हो तो इंडियन मीडिया को रख लीजिए!

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1 Comment

1 Comment

  1. ध्यानेन्द्र

    July 23, 2020 at 12:17 pm

    हा हा हा हा
    करारा व्यंग है और प्रासंगिक भी..
    साधुवाद ..

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