अपनी शोषणकारी नीति की तहत भास्कर मैनेजमेंट दिल्ली में काम कर रही डॉट कॉम टीम को भोपाल ले जा रहा है। साथ ही, ग्रुप के ताकतवर शख्स नवनीत गुर्जर को डिजिटल हेड बनाया है जिनकी अगुवाई में अब भास्कर डॉट कॉम की पूरी टीम भोपाल में बैठकर काम करेगी। अब यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि भास्कर मैनेजमेंट के इन फैसलों के पीछे असली वजहें क्या हैं?
पहली वजहः अब तक भास्कर डॉट कॉम में बिजनेस हेड और सीओओ ज्ञान गुप्ता का एक छत्र राज रहा लेकिन नवनीत गुर्जर के डिजिटल हेड बनाए जाने के बाद उनके पर कतर दिए गए।
ज्ञान गुप्ता ही वो शख्स हैं जिन्होंने भास्कर डॉट कॉम को स्थापित करने के लिए हिंदी की डिजिटल दुनिया में गंदगी फैलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। भास्कर के मैनेजमेंट ने पहले उनको खुली छूट दी। ज्ञान गुप्ता पत्रकारिता के आदमी तो हैं नहीं इसलिए समाज को क्या परोसना है क्या नहीं, इससे उन्हें कोई सरोकार नहीं रहा। उनकी ताकत के आगे पूर्व डिजिटल हेड राजेश उपाध्याय और कार्यकारी संपादक युवा व्यंगकार साहित्यकार अनुज खरे भी नतमस्तक रहे।
भास्कर डॉट कॉम पर भूत-प्रेत, अंधविश्वास, अश्लीलता और दिग्भ्रमित करने वाले हेडलाइन्स जमकर परोसे गए जिनकी वजह से इस न्यूज पोर्टल ने हिट्स के कीर्तिमान गढ़ दिेए और अपने आपको नंबर वन कहने लगा। उसके बाद भास्कर मैनेजमेंट को यह अहसास हुआ कि पोर्टल ने ब्रांड इमेज को खराब किया है। उसके बाद से ही ज्ञान के पर कतरने की कोशिशें होने लगीं। पहले निधीश त्यागी को डिजिटल हेड बनाकर लाया गया लेकिन वह ज्ञान की ताकत को कम नहीं कर सके। हां, उन्होंने भास्कर पर परोसे जा रहे अश्लीलता को कम किया।
निधीश त्यागी के बीबीसी में जाने के बाद फिर ज्ञान हावी हो गए और अश्लीलता वापस लौट आई। भास्कर ने अपने ब्रांड इमेज को और खराब होने से बचाने के लिए सख्त कदम उठाने शुरू किए। सबसे पहले ज्ञान की मनमानी बंद की गई। भास्कर मैनेजमेंट ने एक मेल चलाकर अश्लीलता और दिग्भ्रमित करने वाले हेडलाइन्स परोसने वाले कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी और अचानक सत्ता पलट हो गया। रही सही कसर भास्कर ग्रुप ने ताकतवर शख्स नवनीत गुर्जर को डिजिटल हेड बनाकर पूरी कर दी। नवनीत गुर्जर राज शुरू होते ही ज्ञान के राज का अंत हो गया। अब भास्कर का पूरा ध्यान धूमिल हो चुकी भास्कर डॉट कॉम की ब्रांड इमेज चमकाने पर है।
दूसरी वजहः भास्कर के भोपाल ऑफिस में पैसा और श्रम दोनों मोर्चों पर कर्मियों का शोषण किया जाता है। एक तरफ, वहां काम कर रहे पत्रकारों को कम वेतन दिया जाता है तो दूसरी तरफ वहां काम का समय भी आठ घंटे से ज्यादा होता है। इसके लिए भास्कर ने अपने भोपाल ऑफिस में चरवाहे किस्म के लोगों को पदोन्नति देकर ऊंचे पदों पर बिठा रखा है जिनका काम सिर्फ कर्मियों से ज्यादा से ज्यादा घंटे काम करवाना होता है।
भोपाल के मीडिया स्कूलों से भास्कर ग्रुप को ऐसे बच्चे आसानी मिल जाते हैं जो कम पैसे पर काम करने को हमेशा तैयार रहते हैं इसलिए कोई कर्मी नौकरी छोड़ दे तो भी चिंता की बात नहीं। काम करने वाले मिल ही जाते हैं।
भास्कर दिल्ली ऑफिस में दोनों ही तरह के शोषण में नाकामयाब थी। एक तरफ यहां काम करने वालों का वेतन ज्यादा तो दूसरी तरफ काम के घंटे निर्धारित। साथ ही अगर कोई ऩौकरी छोड़ दे तो कम पैसे में नया बंदा खोजने की परेशानी। इसलिए भास्कर ने दिल्ली की टीम को भोपाल शिफ्ट करने की सोची।
तीसरी वजहः कार्यकारी संपादक अनुज खरे अब तक भास्कर डॉट कॉम के संपादकीय विभाग के सबसे ताकतवर शख्स रहे हैं। उनकी ताकत इतनी थी कि पूर्व डिजिटल हेड निधीश त्यागी चाहकर भी अनुज खरे का कद छोटा नहीं कर पाए थे। उसकी भी वजह है। अनुज खरे ने भास्कर डॉट कॉम के सारे महत्वपूर्ण बड़े पदों पर अपने विश्वासपात्र बिठा रखे हैं। भोपाल टीम का इंचार्ज सुशील तिवारी सहित कई अन्य ऐसे लोगों को महत्वपूर्ण पदों पर अनुज खरे ने बिठाए हैं जो उनके इशारे पर काम करते हैं। इन सबको अनुज खरे ने बदले में पदोन्नति और इंक्रीमेंट से भी नवाजा है।
भास्कर मैनेजमेंट के सामने अनुज खरे खुद एक समस्या बनकर उभरे हैं। उन्होंने भास्कर डॉट कॉम में अपनी सत्ता का मजबूत किला बना रखा है जिसे ध्वस्त करना नए डिजिटल हेड नवनीत गुर्जर के लिए बड़ी चुनौती है।
अब, नवनीत गुर्जर को भास्कर डॉट कॉम के अंदर की सत्ता में सेंध लगानी है तो अनुज खरे एंड कंपनी को तो अपने आसपास ही रखना होगा। अब देखना यह है कि नवनीत गुर्जर अपने राज में इन चुनौतियों से निबटते हुए भास्कर डॉट कॉम के इमेज को कितना चमका पाते हैं? (कानाफूसी)
Rakku
September 23, 2014 at 9:16 pm
Jabalpur patrika me bhi kuch aisa he chal raha hai…
Khushi
September 24, 2014 at 7:57 am
ज्ञान के ज्ञान पर अंकुश सिर्फ ही एक ही शख्स लगा पाया था २००९ में जब बड़े पैमाने पर वेबसाइट को स्थापित करने के लिए अलग कंपनी भास्कर ने बनायी थी। शुरू में ज्ञान अपना ज्ञान ग्लैमर व सेक्स से संबंधित कंटेंट व तस्वीरें परोस कर बघारते थे लेकिन फिर इंदौर भास्कर के संपादक को वहां भेजा गया संपादक के रूप में। उसी समय से भास्कर डाट काम उठना शुरू हुआ था लेकिन वह संपादक ज्यादा दिन नहीं रहा और उसके बाद फिर ज्ञ३नगंगा बहने लगी।
SachBole
September 22, 2014 at 12:33 pm
भास्कर डॉट कॉम में गंदगी परोसने में ज्ञान गुप्ता और अनुज खरे दोनों में बराबर ज्ञान लगाया। इन लोगों ने ऐसे लोगों को जोड़ा जो केवल ‘हां’ कहना जानते हैं। हर उस शख्स को बाहर कर दिया, जो केवल काम करना चाहता था। ऐसे लोगों पर विशेष कृपा बरसाई जो काम के सिवाय सब कर सकते थे। आज भी ऐसे ही लोगों का जमघट जमा रखा है।
raam narayan
September 25, 2014 at 2:09 pm
पूरा समाचार अपने में ही विरोधाभासी है। समाचार की शुरुआत में लिखा है कि ज्ञान के आगे अनुज खरे कुछ नहीं कर पाए। फिर लिखा है कि निधीश ने ज्ञान पर रोक लगाई, पर अनुज खरे की ताकत के आगे हार गए। फिर अंत में लिखा है कि ज्ञान की ताकत पर रोक लगाने के लिए नवनीत गुर्जर आए। फिर लिखा है कि अनुज खरे से ज्यादा ताकतवर पूरे ग्रुप में कोई नहीं।
… क्या यार, एक बात पर तो कायम रहो। ये क्या कभी घोड़ा तो कभी चतुर, कभी चतुर तो कभी घोड़ा लगा रखा है। या तो घोड़ा कहो या चतुर कहो भाई।
Sahi to bola
September 25, 2014 at 9:45 pm
Kisi media house me noukri karne se achcha h ki thela laga k chay bech lo… Sare editor apni gardan bachakar sathiyo ka shoshan karte h.. Apni pagar me izafa karwate h aur sathiyo ko thege par rakhte h.. Ha aise editor chamcho se behad khush rahte h… In logo k bare me jitna likha jaye kam hai.