Connect with us

Hi, what are you looking for?

प्रिंट

भास्कर और हिंदुस्तान अखबार का प्रबंधन मजीठिया न देने के लिए अब भी कर्मचारियों के साथ कर रहा अन्याय

दिल्ली के हिन्दुस्तान अखबार की एक कारगुजारी. खबर ये है कि आजकल हिन्दुस्तान अखबार मजीठिया वेज बोर्ड न देने के तमाम हथकंडे अपनाने में लगा है। सुना है कि आजकल इसने अपने यहां काम करने वाले डेस्क कर्मचारियों को 2-2, 4-4 करके बुलाकर आनलाइन में बदलने को पेपर साइन कराना शुरू कर दिया है। ये बहुत ही शर्म की बात है। देश में प्रिंट मीडिया के तमाम लोगों के लिए घोर अन्याय की बात है। दुखद पहलू ये है कि इसमें मैनेजमेंट खुले दिल से जुट गया लगता है। अब तो ईश्वर जाने कि यहां किसी को न्याय मिलेगा भी या नहीं क्योंकि ये  हिन्दुस्तान दिल्ली समाचार पत्र उच्चतम न्यायालय को तो कुछ भी नहीं मानता।

<p>दिल्ली के हिन्दुस्तान अखबार की एक कारगुजारी. खबर ये है कि आजकल हिन्दुस्तान अखबार मजीठिया वेज बोर्ड न देने के तमाम हथकंडे अपनाने में लगा है। सुना है कि आजकल इसने अपने यहां काम करने वाले डेस्क कर्मचारियों को 2-2, 4-4 करके बुलाकर आनलाइन में बदलने को पेपर साइन कराना शुरू कर दिया है। ये बहुत ही शर्म की बात है। देश में प्रिंट मीडिया के तमाम लोगों के लिए घोर अन्याय की बात है। दुखद पहलू ये है कि इसमें मैनेजमेंट खुले दिल से जुट गया लगता है। अब तो ईश्वर जाने कि यहां किसी को न्याय मिलेगा भी या नहीं क्योंकि ये  हिन्दुस्तान दिल्ली समाचार पत्र उच्चतम न्यायालय को तो कुछ भी नहीं मानता।</p>

दिल्ली के हिन्दुस्तान अखबार की एक कारगुजारी. खबर ये है कि आजकल हिन्दुस्तान अखबार मजीठिया वेज बोर्ड न देने के तमाम हथकंडे अपनाने में लगा है। सुना है कि आजकल इसने अपने यहां काम करने वाले डेस्क कर्मचारियों को 2-2, 4-4 करके बुलाकर आनलाइन में बदलने को पेपर साइन कराना शुरू कर दिया है। ये बहुत ही शर्म की बात है। देश में प्रिंट मीडिया के तमाम लोगों के लिए घोर अन्याय की बात है। दुखद पहलू ये है कि इसमें मैनेजमेंट खुले दिल से जुट गया लगता है। अब तो ईश्वर जाने कि यहां किसी को न्याय मिलेगा भी या नहीं क्योंकि ये  हिन्दुस्तान दिल्ली समाचार पत्र उच्चतम न्यायालय को तो कुछ भी नहीं मानता।

उधर, मंगलवार के दिन पंजाब के पठानकोट, बटाला, गुरुदासपुर के दैनिक भास्कर के आफिसों में कई कर्मचारियों से मजीठिया को लेकर जबरन कागजों पर हस्ताक्षर कराए गए. प्रबंधन की इस हरकत से मीडियाकर्मी नाराज हैं लेकिन नौकरी जाने के डर से कोई कुछ नहीं बोला और सभी ने दस्तखत कर दिए.

Advertisement. Scroll to continue reading.

उपरोक्त दोनों सूचनाएं भड़ास के पास कुछ भरोसेमंद पत्रकार साथियों द्वारा भेजे गए पत्रों पर आधारित है. आपको भी कुछ कहना-बताना है तो [email protected] पर मेल करें.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

0 Comments

  1. anil kumar verma

    September 4, 2014 at 5:30 am

    majithiya reportaro k liye sougat se kam nahi hai. 1 baar sabhi saathiyo ko noukari jaane ka dar chodna hoga. is baat ka dhyan rakhkar k jo pratispardha akhbaaro me chal rahi hai uske liye sabhi ko reportar to chahiye hi. sabhi 1jut hokar 1 disha me jayenge to laabh jaroor milega.

  2. Kashinath Matale

    September 5, 2014 at 12:33 pm

    Yeh Koun Dekhega ki kiske din Achhe aanewale hai
    Newsn paper ke kamchariyonko majitia wage board ke proper implementation ke liye ladhna pad raha hai. Kahi bhi UNIFORMITY nahi hai.

  3. Hemant Sharma

    September 7, 2014 at 2:54 am

    सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवमानना के खिलाफ भी सुप्रीम कोर्ट इन अखबार मालिकों को सजा नहीं देगा। क्या दैनिक भास्कर , अमर उजाला, जागरण, हिंदुस्थान, राजस्थान पत्रिका जैसे समाचार पत्र मालिक सुप्रीम कोर्ट से भी भी बढे हो गए।

Leave a Reply

Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement