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दैनिक भास्कर इंदौर : इस ब्लंडर पर आइए विलाप करें और सर फोड़ें

Sandip Naik : तो लीजिये साहेबान पेश है दैनिक भास्कर इंदौर की प्रस्तुति … वाह क्या भाषा है और क्या शब्द!!! कमाल यह है कि इस अखबार में ढेर सारे लोगों की फौज है जो बाकायदा ज्ञानी है, पत्रकारिता और भाषा में पारंगत है, बस एक ही दिक्कत है कि निकम्मे हैं। शर्म भी नहीं आती कि इतना गलत लिखते हैं छापते हैं और अफसोस भी जाहिर नहीं करते। “अपसेंट” क्या होता है?

Sandip Naik : तो लीजिये साहेबान पेश है दैनिक भास्कर इंदौर की प्रस्तुति … वाह क्या भाषा है और क्या शब्द!!! कमाल यह है कि इस अखबार में ढेर सारे लोगों की फौज है जो बाकायदा ज्ञानी है, पत्रकारिता और भाषा में पारंगत है, बस एक ही दिक्कत है कि निकम्मे हैं। शर्म भी नहीं आती कि इतना गलत लिखते हैं छापते हैं और अफसोस भी जाहिर नहीं करते। “अपसेंट” क्या होता है?

अरे महामानों ‘अनुपस्थित’ लिख दो या ‘एब्सेंट’ लिखो पर तुम्हें खुद कुछ आता हो तब ना, और जमाने को सिखाते हैं। हद है यार, देश के सबसे तेजी से बढ़ते हुए अखबार में ये आज सुबह की एकदम ताजा खबर।

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आईये विलाप करें, सर फोड़े और गालियाँ खाए, सुने- सुनाएँ…

सोशल एक्टिविस्ट संदीप नाईक के फेसबुक वॉल से.

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0 Comments

  1. Ashok Upadhyay

    June 18, 2014 at 5:54 pm

    आजकल ऐसे मूर्खो का ही राज है ….इनका दूसरा भाई है दिल्ली का नवभारत टाइम्स ……सरल और बोलचाल के नाम पर अपना अज्ञान छुपा रहे हैं

  2. ashok mishra

    June 18, 2014 at 8:42 pm

    उपाध्याय जी ने बिल्कुल ठीक फरमाया है… सौ टके की बात…

  3. Raj

    June 19, 2014 at 4:50 am

    मुझे तो संदीप की अक्ल पर ही तरस आ रहा है । मध्य प्रदेश को समझे बगैर इस हैडलाइन को नहीं समझा जा सकता । वहां बोलचाल की भाषा में एबसेंट को अपसेंट ही कहते हैं । ये अंग्रेज़ी के एक शब्द का स्थानीय हिंदी में Adoptation है । अगर इस हैडलाइन में सस्पेंट लिखते तो और मज़ा आता । खैर बाल की खाल निकालना और टांग खींचना हिंदी के पत्रकारों की बीमारी है ।

  4. pradeep Sharma

    June 19, 2014 at 7:19 am

    just chill yaar

  5. vinay

    June 19, 2014 at 11:22 am

    यार किसने कह दिया ये ब्लंडर है। आवे न जावे बुरी बुरी गावे। और यशवंत भाई खबर दीजिए ये फेसबुक वॉल से भेजना बंद कीजिए। चाहे जिसे सेलेबे्रटी बना देते हैं।

  6. ramsingh

    November 12, 2014 at 12:36 am

    Rajasthan patrika main bhee- ghodo ko ghas nahi milrahi liken gadho ko chavyanprash mil raha gulab kothari jago dhrashtra jago

  7. ramsingh

    November 12, 2014 at 12:37 am

    in Rajasthan patrika also that horses are not eating but patrika giving chavanprash to donkeys jago dhrashtra gulab kothari jago

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