
दशहरे के दिन के दैनिक भास्कर के एक संस्करण में ‘सत्य पर असत्य का विजय’ नामक ‘ब्लंडर’ के छपने के बाद सोशल मीडिया में जैसे तूफान आ गया। भड़ास के पास उपरोक्त तस्वीर विभिन्न टिप्पणियों के साथ सौ से ज्यादा लोगों ने फारवर्ड कर इसे प्रकाशित करने को कहा। सोशल मीडिया के आज के दौर में बड़ा संकट विश्वसनीयता का है। जो वायरल है, वह सच भी हो, ज़रूरी नहीं।

भास्कर के दशहरे के दिन के छतरपुर संस्करण के उपरोक्त फर्स्ट पेज पर छपी लाइन की सच्चाई क्या है, यह अधिकृत रूप से कोई नहीं बता पा रहा है पर कुछ लोगों का दावा है कि ये ग़लती भास्कर में वाकई छपी है जिसे बाद में ई पेपर आदि में सुधार लिया गया लेकिन जो छप कर मार्केट में बंट गया, उसे कैसे छिपाया मिटाया जा सकता है!

वहीं कुछ अन्य लोगों का कहना है कि फेसबुक ट्वीटर व्हाटसअप में जो कथित गलती वाला पेज शेयर फारवर्ड हो रहा है उसमें छतरपुर लिखा है। छतरपुर से मेन एडिशन नहीं निकलता बल्कि सागर एडिशन की प्रतियां जाती हैं। छतरपुर के लिए अलग से पुलआउट है। अगर छपकर गया है तो एक ही फोटो क्यों वाट्सऐप और फेसबुक पर दिख ही है? अन्य लोग भी अपने अखबार की फोटो शेयर करते तो समझ में आता कि ग़लती हुई है। फिलहाल तो ऐसा लग रहा जैसे किसी ने जान बूझ कर फोटोशॉप वाली शरारत की हो और यह शरारत वायरल हो गई है।
पंजाब के एक सीनियर डिजिटल जर्नलिस्ट का कहना है कि गलती भास्कर हिंदी डॉट कॉम वालों की है। नीचे देखें, भास्कर का छतरपुर एडिशन है, ई पेपर। यही छपा भी है और मार्किट में बंटा भी यही। इन्होंने आज इसे करेक्ट किया।


इस प्रकरण पर वरिष्ठ पत्रकार दयानंद पांडेय लिखते हैं-
“कोई कुछ भी कहे। आज का सच यही है। सत्य पर असत्य की विजय की यातना बढती ही जा रही है। बाकी हलके छोड़ भी दीजिए। सिर्फ़ पत्रकारिता पर ही गौर कीजिए। दलालों और भडुओं की पौ बारह है। लिखने-पढ़ने वालों की ज़रुरत अब कहां रह गई है। एक से एक पाकेटमार , गिरहकट अब मीडिया मालिक बन गए हैं। दस्तखत करने में पसीना आ जाता है, लेकिन बहुत बड़े संपादक हैं। दिन-रात नेताओं, अफसरों की चापलूसी में व्यस्त पत्रकार ही अब बड़े पत्रकार हैं। लडकियां सप्लाई करने वाले लोग अब पत्रकारिता के सिरमौर हैं। मध्य प्रदेश का हनी ट्रैप बिना पत्रकारों के संभव हुआ क्या? तमाम किस्से हैं असत्य के सत्य पर विजय के। सब से बड़ी बात यह कि बिना काला धन और दलाली के आज की पत्रकारिता की कल्पना भी मुमकिन है क्या। यह सत्य पर असत्य की विजय ही है। वह दिन धुआं हुए जब गांधी कहते थे कि साध्य ही नहीं, साधन भी पवित्र होने चाहिए। मदन मोहन मालवीय , महात्मा गांधी , पराड़कर और गणेश शंकर विद्यार्थी के औजारों से होने वाली सत्य और संघर्ष की पत्रकारिता तिरोहित हो चुकी है। अब तो दलाली है , हिंदू , मुसलमान है। इन का उन का तलुआ है। चाटने के लिए। अपमान है , यातना है , लिखने-पढ़ने वालों के लिए। सभी मीडिया घरानों का मकसद ही है सत्य पर असत्य की विजय। इसे छपाई की गलती नहीं समझा जाए। सत्य समझा जाए। आज की तारीख का सत्य।”
Comments on “इस ‘गलती’ से दैनिक भास्कर के ब्रांड इमेज की बैंड बज गई!”
अगर दैनिक भास्कर में सत्य पर असत्य की विजय यह छपी है तो शोर मचाने वाली कौन सी बात हो गयी। आज समाज में चोर मचाये शोर वालों की चलती हैं। एकाध को छोड़कर सभी सरकारी तन्त्र के लोग भ्रस्टाचार रुपी हाज्में की गोली चुस्ते रहते हैं। शोषित पत्रकारों के बारें मे न सरकार सोचती है और न समाज। डेस्क पर बैठा आदमी कितना मेहनत करता है वही जानता है। अखबारों में इस प्रकार की human error होती रहती है।
इस खबर को सिर्फ फैलाया गया और कुछ नहीं
यह कोई नई घटना नहीं है । प्रिन्ट मीडिया हमेशा ही ऐसे कारनामें करती रहती है । चाहे भास्कर हो ,जागरण । यह लोग सत्य पर असत्य की विजय करने की कोशिश में लगे रहते है । जो सत्य खबर होती है ,उसे तो यह लोग प्रकाशित ही नहीं करते है। मेरे पास ऐसी कई खबरें है जो दैनिक जागरण व अन्य बैनरों ने प्रकाशित ही नहीं की है , जबकि शोशल मीडिया के माध्यम से उन माफियों पर मुकद्मा भी करा दिया गया । लेकिन इन प्रिन्ट मीडिया के कुछ दल्ले तथाकथित पत्रकारों ने पुलिस से सांठ-गांठ करके सत्य पर असत्य की विजय हासिल कर ली है, और आवाज उड़ाने वालों पर फर्जी मुकद्दमा भी करा दिया है।
सुशील कुमार पत्रकार
यह कोई नई घटना नहीं है । प्रिन्ट मीडिया हमेशा ही ऐसे कारनामें करती रहती है । चाहे भास्कर हो ,जागरण । यह लोग सत्य पर असत्य की विजय करने की कोशिश में लगे रहते है । जो सत्य खबर होती है ,उसे तो यह लोग प्रकाशित ही नहीं करते है। मेरे पास ऐसी कई खबरें है जो दैनिक जागरण व अन्य बैनरों ने प्रकाशित ही नहीं की है , जबकि शोशल मीडिया के माध्यम से उन माफियों पर मुकद्दमा भी करा दिया गया । लेकिन इन प्रिन्ट मीडिया के कुछ दल्ले तथाकथित पत्रकारों ने पुलिस से सांठ-गांठ करके सत्य पर असत्य की विजय हासिल कर ली है, और आवाज उड़ाने वालों पर फर्जी मुकद्दमा भी करा दिया है।
सुशील कुमार पत्रकार
पांडेय जी ने सही कहा
साइबर आतंकी ऐसी पोस्ट कर मिडिया हाउस को बदनाम करने का अपराध कर रहे हैं। शुरुआत में मैं भी इस पोस्ट से आहत हुआ। लेकिन सचाई यह है कि छतरपुर ऐडिशन नाम से दैनिक भास्कर का कोई अखबार प्रकाशित नहीं होता है। एडिट किए हुए साइबर अपराधियों के पक्ष में बडा़ कुनबा खडा़ है।
Yeh galti Bhopal edition meim bhi hui.bur
DB corp ne koi maafi nhi mangi abhi tak
Dainik bhaskar yani DB corp se Harish Bhatia ki koi khabar abi tak nhi chali hai bhadas par..
Unse jabardasti istifa liya gaya hai , cost optimization ke karan aur bahana dusra laga diya hai, shayd MPCG COO Barish Tiwari ab National sales dekhenge .
Subham Tomar Sagar Madhya Pradesh