: भास्कर न्यूज में मैनेजमेंट और कर्मचारियों में सेलरी के लिए जंग : सही कहते हैं लोग की मीडिया कभी किसी का सगा नहीं होता। इस लाईन में आप कंपनी के प्रति भरोसा दिखाते है लेकिन जब कंपनी ही भरोसा तोड़ दें और वो भी उन कर्मचारियों के लिए जो अपना काम पुरी लगन और ईमानदारी से करते हो। ऐसा ही कुछ भास्कर न्यूज में हुआ। हाल ही में भास्कर न्यूज नामक एक चैनल आया जिसने अपने आप को दैनिक भास्कर का सहयोगी बताया लेकिन अब धीर-धीरे सारे राज खुलने लगे। भास्कर न्यूज ना ही दैनिक भास्कर का हिस्सा है और ना ही अब इस चैनल के पास पैसा है कि वो अपने कर्मचारियों को सेलरी दे सकें।
जी हां पिछले दो महीने से इस चैनल में यही हो रहा है। कर्मचारियों को सितंबर में से लेकर अक्तूबर और अब आधा नवंबर निकल चुका है लेकिन अभी तक पैसा नहीं गया। जब कर्मचारियों ने पैसा मांगा तो उन्हें धमकाया और हर बार दे दी जाती है नई तारीख। तारीख पर तारीख मिलने पर भास्कर न्यूज के कर्मचारियों ने हड़ताल की काम करने से इनकार किया तो एमडी राहुल मित्तल के तेवर ही अलग दिखे। बीच न्यूजरुम में कर्मचारियों को धमकाया और जबरन काम करने को कहा। भास्कर न्यूज का मैनजेमेंट भी अपने कर्मचारियों का साथ देने की जगह राहुल मित्तल की हां में हां मिल रहा है। दीवाली के मौके पर इस कंपनी का दिवाला नकल रहा था। कंपनी अपने कर्मचारियों को सेलरी तक दे नहीं पाई। बैंक अकाउंट तो कई खुले लेकिन किसी भी अकाउंट में पैसा नहीं डाला गया।
जनाब आलम तो यहां तक आ गया है कि सीनियर प्रोड्यूसर, प्रोड्यूसर, एडिटर्स, एसोसिएट प्रोड्यूडर और ट्रैनी जैसे लोग अपनी सेलरी के लिए भास्कर न्यूज के मैनेजमेंट के आगे रो भी पड़े लेकिन इस कंपनी के मैनेजमेंट को उनके आंसुओं की भी कदर नहीं। कर्मचारी कर्जें में हैं, लोगों से पैसा मांग रहे हैं, सारी जमा पूंजी अब खत्म हो गई है। भास्कर न्यूज के एमडी राहुल मित्तल को इससे भी कोई फर्क नहीं पड़ा। इतना सब कुछ होने के बाद एक एहसान के तौर पर कंपनी कुछ कर्मचारियों को दो महीने की सेलरी की बजाए 5000 रुपये दे रही है और उन्हें बोल रही है कि इतने में अभी काम करो, बाकी बाद में मिलेगी। भास्कर न्यूज के एमडी राहुल मित्तल अपने गुरगों के साथ रोजाना घंटों बैठक करते हैं लेकिन इस बैठक में सिर्फ हंसी और मजाक होता है।
एक अहम सूत्र ने बताया है कि इस चैनल की सीएमडी हेमलता अग्रवाल अब राहुल मित्तल पर भरोसा नहीं कर रही हैं क्योंकि जब इस चैनल की नींव रखी गई जा रही थी तो मित्तल ने सीएमडी को बड़े-बड़े सपने दिखाए थे पर आज वो सपने साकार नहीं हो पाए। माना जा रहा है कि राहुल मित्तल अब इस कंपनी में पैसा नहीं लगा रहे हैं। कर्मचारी दुखी हैं। पाई-पाई के मोहताज हो गए हैं। मित्तल साहब अपनी जेब ही गरम कर रहे हैं। इतना ही नहीं, पैसा नहीं दिए जाने पर जिस सेट टॉप बॉक्स पर ये चैनल दिखाई देता था, अब वो भी बंद हो गया है। भास्कर न्यूज एक इन हाउस चैनल बनकर रह गया है। एक कंपनी के एमडी की जिम्मेदारी होती है कि वो अपनी कंपनी को आगे बढ़ाए, चोटी तक पहुंचाए लेकिन भास्कर न्यूज के एमडी तो कंपनी को पीछे धकेल रहे हैं। ख़बरों की मानें तो नेशनल चैनल की जगह अब ये चैनल सिर्फ यूपी और उत्तराखंड का होने जा रहा है। सेलरी नहीं दी गई तो बिजली विभाग ने बिजली काट दी। लोग कह रहे हैं कि ये चैनल नहीं चल पाएगा और जल्द ही इस पर ताला लग जाएगा।
भास्कर न्यूज में कार्यरत एक कर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.
Kaushalendra Kumar
November 15, 2014 at 8:24 am
किसी कम्पनी के असफल होने का कारण सिर्फ मैनेजमेन्ट नहीं बल्कि उसके इर्द गिर्द घिरे चम्मच होते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि जब बुद्धि बट रही थी तो यही लोग पाए थे। एक आम व्यक्ति को काम मिले तो इनसे बेहतर चला कर दिखा सकता है। चैनल यदि लांच हो चुका है तो उसको चलने से कोई रोक नही ंसकता बसर्ते कर्मचारियों की उपेक्षा न किया जाए।
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anil kumar
November 16, 2014 at 2:24 am
Mittal chor tha meerut mai car churata tha for dalali karne laga USS k bad umesh kumar nai NNI mai stringer rakh liya last maar baga Diya vikkaa KO rakh liya hemlata KO pagal banakar MD ban gaya chor yaha aaker fir chori karega Caro Ki dalali Karega
SONU SHARMA
November 16, 2014 at 3:02 am
ha sir shai baat hai y me bhaskar news me hau 2 man s nahi aayi
Deepak Gupta
November 16, 2014 at 12:28 pm
साहब आप दो महीनों की सेलरी देने की बात कह रहे है. मै फ़रवरी माह २०१४ से इस भास्कर न्यूज़ के लिए काम करते आया हूँ … पर आज तक मेहनताने के रूप में एक भी पैसा नहीं मिला. दो बार इन्टरव्यू के लिए बुला कर मेरा खर्च्चा करआते हुए इन्होने शुरुआत की…. और तब से अब तक सिर्फ काम के बदले अपना शोषण ही होते हुए देख रहा हूँ.. यानि की अपने बच्चों का पेट काट भास्कर न्यूज़ के महानुभावों का पेट भर रहा हूँ…. कभी भला नहीं होगा इस चंनल के मालिकों का जो हम जैसे नौकरों के पेट में लात तो मारते ही है, हमारे बच्चों के भी हितेषी नहीं है… बात करते है विश्व भर के बच्चों को सहायता देने की. साबित क्या करना चाहते है, पता नहीं. कुल मिला के भास्कर न्यूज़ अपने कर्मचारियों का शोषण करता है…. मेरी बद्दुआ है इस चैनल को भी…. जिसने और चैनलों की भीड़ में खुद को भी खड़ा किया और डूबने की कगार में है. केवल नाम का सहारा कब तक.? भगवान् करे जैसा मुझे देखना पढ़ रहा है ऐसा ही मित्तल साहब और उनकी टीम को भी देखने को मिले… आज लाल गाड़ी में लाल हुए फोटो भेजते है. कल बैरिंग गाड़ी में इनकी फोटो कोई और भेजे…. मा कसम बोहोत गुस्सा है. लेकिन कुछ कर नहीं सकता इन ………… का.
ramesh
November 18, 2014 at 4:13 am
Ye fraud channel to suru se tha aab iski asliyat samne aa rahi hai. Employee se meri puri hamdardi hai aap shut down karo aur Labour court me jao apka payment jarur milega.
prakant
November 22, 2014 at 12:06 pm
mital ke sath sath sare upper post wale dalal bhaskar me hi hai ye baat dubey chai wala bhi janta hai