चंडीगढ़ के पत्रकारों के बीच ये चर्चा आम है कि दैनिक भास्कर ने पंजाब के अपने स्टेट हेड दीपक धीमान को सस्पेंड कर दिया है.
इस बारे में कनफर्म करने के लिए जब भड़ास की तरफ से दीपक को फोन किया गया तो उन्होंने फोन काट दिया.
इसके बाद उन्हें एसएसएस कर जानकारी दी गई कि उनके बारे में चर्चा आम है कि उन्हें सस्पेंड कर दिया गया है, कृपया इस बारे में सच्चाई बताएं.
दीपक का थोड़ी देर बाद जवाब आया. उन्होंने फोन कर जानकारी दी कि वे अब भी अपने आफिस में काम कर रहे हैं. उनको लेकर झूठी खबरें फैलाई जा रही हैं. दीपक धीमान का कहना है कि भड़ास पर पहले भी गलत सूचना डाली गई कि उन्हें थाने में बिठाया गया है. वे संजीव महाजन की गिरफ्तारी के मुद्दे पर पुलिस द्वारा मांगे जा रहे कागजात आदि को मुहैया कराने हेतु एसएसपी के यहां बैठे थे. दीपक धीमान का कहना है कि अगर कोई एक आदमी गलत करता है तो इसका मतलब ये नहीं हो जाता कि सब के सब गलत हैं. इस तरह झूठी व बेसिरपैर की खबरें चलाना उचित नहीं है.
ज्ञात हो कि दीपक धीमान दैनिक भास्कर के पंजाब के स्टेट एडिटर होने के साथ-साथ चंडीगढ़ संस्करण के स्थानीय संपादक भी हैं. उनका नाम प्रिंटलाइन में प्रकाशित होता है.
इससे पहले चर्चा थी कि दीपक धीमान को भास्कर प्रबंधन ने आपराधिक मामलों में गिरफ्तार सिटी चीफ रहे संजीव महाजन से संबंधों को लेकर सस्पेंड किया है. दीपक धीमान पर आरोप लग रहे हैं कि वे संजीव महाजन के गलत कार्यों को संरक्षण देते रहे हैं. हालांकि दीपक धीमान ने इन सारे आरोपों को खारिज कर दिया. उनका कहना है कि किसी संस्थान में बहुत सारे लोग होते हैं. कोई एक खराब निकल जाए तो इसका मतलब नहीं कि बाकी लोग भी खराब हैं.
ज्ञात हो कि दैनिक भास्कर ने अपने सिटी चीफ संजीव महाजन को बर्खास्त कर दिया है. संजीव पर एक व्यक्ति को मानसिक रोगी बनाकर उसकी कोठी फर्जीवाड़े के जरिए दूसरे को बेचकर करोड़ों रुपये उगाहने के आरोप हैं. फिलहाल संजीव महाजन पुलिस रिमांड पर हैं.
इस बीच कहा जा रहा है कि दीपक धीमान और संजीव महाजन के रिश्तों को लेकर पुलिस विभाग भी जांच कर रहा है. इस बीच, दैनिक भास्कर ने भी एक आंतरिक जांच प्रारंभ कर दी है.
आरोपों में कितनी सच्चाई है, इसका पता जांच रिपोर्टों के सामने आने पर ही लग पाएगा.
पर दीपक धीमान तो बिलकुल साफ कहते हैं कि उन्हें सस्पेंड नहीं किया गया है, उन्हें थाने में कभी नहीं बिठाया गया. सारी बातें बेसिरपैर की फैलाई जा रही हैं. इस तरह किसी का चरित्रहनन करना ठीक नहीं है. ऐसी झूठी खबरों से किसी भी व्यक्ति का काफी नुकसान होता है.
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दीपक धीमान बड़े पत्रकार हैं। रणनीतिकार भी। अपने कामकाज में परफेक्ट, टीम को बचाए रखना भी उनकी जिम्मेदारी है। पहले भी दीपक, दर्पण चौधरी व अन्य अपना अखबार निकाल चुके हैं। उनकी योग्यता व अनुभव को देखते हुये दैनिक भास्कर प्रबन्धन ने उन्हें दोवारा बुलाया था। मालिकान से अच्छे संबंधों के कारण ही उन्हें दोबारा बुलाया था। दीपक धीमान का pr गजब का है।
चल झूठा। कुछ नहीं जानता तू। ब्लैकमेलर्स का इस तरह सार्वजनिक गुणगान नहीं करते। ऐसा उनके कमरों में, घरों में जाकर किया जाता है। सार्वजनिक करने पर या तो खूब गरियाए जाओगे या बुरी तरह जुतियाए जाओगे।
करीब 10 वर्ष पहले दैनिक भास्कर चंडीगढ़ की एक तिकड़ी रातोंरात संस्थान से एकसाथ इस्तीफा दे देती है। अगले ही दिन चुनौतीभरे तेवर से ऐलान करती है कि अब शहर में एक सांध्य अखबार आएगा जो भास्कर समेत तमाम दैनिक अखबारों को पछाड़ेगा। हुआ भी कुछ ऐसा ही। यह तिकड़ी एक सांध्य या यो कहें कि एक लेट सांध्य लेकर आई। सभी आखबारों के रिपोर्टरों को निठल्ला बना दिया। सभी सांध्य में प्रकाशित खबरों को अपने ढंग से चेपने लगे। सभी रिपोर्टर अपाहिज हो चुके थे। बात भास्कर मैनेजमेंट तक पहुंची और टेबल टॉक शुरू हुई। शर्तों का आदान-प्रदान हुआ और आखिरी नतीजा इस तिकड़ी के पक्ष में आया।
तिकड़ी थी दीपक धीमान, संजीव महाजन और दर्पण चौधरी की और नतीजा रहा कि दीपक धीमान को स्टेट हैड के साथ-साथ चंडीगढ़ संस्करण का संपादक बनाया गया, संजीव महाजन को सीनियर रिपोर्टर की जगह से उठाकर सिटी हैड बनाया गया और दर्पण चौधरी को भी लगभग सिटी हैड वाली ही पॉवर दे दी गई।
महाजन को धीमान का संरक्षण मिलना अगर कन्फर्म हो भी जाता है तो हैरानी ज़रा भी नहीं होनी चाहिए।