साथियों
मैं अनुपम कुमार, बीएचयू के दर्शनशास्त्र विभाग का शोध छात्र हूँ। पिछ्ले सात महीने से मैं शोध में पंजीकृत हूँ और नियमित रूप से विभाग में उपस्थित रहा हूँ। बीते 6 जुलाई को मैं विभाग पहुँचा और अपनी उपस्थिति बनानी चाही तो मुझे विभागाध्यक्ष के द्वारा यह सूचना मिली की मेरी पीएचडी पंजीकरण बीएचयू प्रशासन द्वारा कैंसिल कर दी गई है। कारण क्या था, इसकी स्पष्ट सूचना मुझे नहीं दी गयी है।
मौखिक रूप से प्रशासन से बताया कि मुझे 3-4 मई 2018 की घटना में छात्राओं के आन्दोलन में भाग लेने और उसका आधार बनाकर वर्तमान चीफ प्रॉक्टर रोयाना सिंह द्वारा किये गये FIR के कारण निष्कासित किया जा रहा है। ज्ञात हो कि उस समय ही बताया था कि लोकल थानाध्यक्ष संजीव मिश्रा ने उक्त FIR फर्ज़ी तरीके से किया था। बाद में सभी छात्र-छात्राओं को आरोपमुक्त करते हुए FIR रद्द कर दी थी।
इस पूरे घटनाक्रम को लगभग 1 साल से उपर हो गया हो गया है और इतने समय बाद मुझे इस तरह से निष्कासित किया जा रहा है जबकि इस घटना के समय दर्शनशास्त्र परास्नातक का छात्र था, मैंने अपनी परीक्षा दी और उतीर्ण हुआ। उसके पश्चात् मैंने सोशल साइंस फैकल्टी के सोशल एक्सक्लूशन विभाग में प्रवेश लिया और एक सेमेस्टर क्लास भी किया और परीक्षा भी दी। तत्पश्चात् शोध में प्रवेश होने के पश्चात मैंने उक्त पाठ्यक्रम को छोड़ दिया और पिछले 7 महीने में नियमित रूप से विभाग में उपस्थित रहकर शोधरत हूँ।
मेरे शोधनिर्देशक व विभागाध्यक्ष को ऐसा कोई कारण नहीं नजर आ रहा है जिसको आधार बनाकर मुझ पर इतनी बड़ी कारवाई की जाए और जरुरत पड़ने पर वो मेरा चरित्र प्रमाण पत्र भी बीएचयू प्रशासन को देने के लिए तैयार हैं। लेकिन मैंने एक काम किया है, पढाई के साथ साथ, वो है- अन्याय के खिलाफ जहाँ तक संभव हो पाया है, खड़ा होकर आवाज उठाता रहा हूँ। क्योंकि मैंने बीएचयू आकर ही सीखा है कि आप अगर अन्याय के खिलाफ खड़े नहीं होते हैं तो आप इंसान कहलाने के काबिल नहीं है।
अतः आप सभी न्याय प्रिय छात्र-छात्राओं, अध्यापकों, बुद्धिजीवियों, सभी संगठनों एवं नागरिक समाज के लोगों से अपील है कि आप इस अन्याय के खिलाफ लड़ाई में मेरा साथ दें और इस घृणित कदम का विरोध करें।
अनुपम कुमार
शोध छात्र
दर्शन एवं धर्म विभाग
बीएचयू
7317557056
PK Dutta
August 9, 2019 at 9:58 am
There should be the transparent procedure while taking a very hard decision as such the future of a student matter. The letter should mention the cause of taking such drastic action clearly at the same time the student should be given an opportunity to defend himself on this matter before taking final decision (it should not be one sided).
Sanjeet Kumar
August 9, 2019 at 11:08 am
मैं संजीत कुमार आपके इस संघर्ष में साथ हूं। दिनांक 31जुलाई 2019को मैंने पीएचडी में प्रवेश हेतु काउंसलिंग में गया था जिसमें मुझे टेस्ट भी में भाग लेने से रोक दिया गया क्योंकि मेरे नियोक्ता द्वारा अनापत्ति प्रमाण-पत्र नहीं पहुंचा था। मैंने काफी अनुरोध किया कि मुझे अस्थायी चयन कर एक दो सप्ताह का समय दिया जाय मैं उक्त प्रमाण-पत्र जमा कर ही नामांकन लूंगा, लेकिन निदेशक महोदय नहीं माने। जबकि नामांकन ब्रोसर में टेस्ट बी के बाद मेरिट लिस्ट प्रकाशित होने के बाद नामांकन की प्रक्रिया ए्वं प्रमाण-पत्र जमा करने की बात थी। मुझे बी. एच.यू प्रशासन का यह रवैया बिल्कुल बुरा लगा जिसकी मैं निंदा करता हूं। आपको निर्यात मिले ।
mukesh kumar gautam
August 9, 2019 at 4:26 pm
I am with you. Go ahead.