Connect with us

Hi, what are you looking for?

प्रिंट

भूरिया ने ऐसे अखबार के पक्ष में संसद में आवाज उठाई जिसे कर्मचारी शोषण में गोल्ड मेडल मिलना चाहिए

आदरणीय भूरिया जी,

नमस्कार,

सुबह-सुबह राजस्थान पत्रिका के प्रथम पेज पर आपकी मीडिया के दमन को लेकर चिंता के विषय में पढ़ा। अच्छा लगा। मीडिया के अधिकारों की बात होनी चाहिए। पुरजोर तरीके से मीडिया की दबती आवाज, अभिव्यक्ति, आजादी आदि-आदि के लिए लड़ना चाहिए। पर, आश्चर्यजनक तो यह है कि आप संपूर्ण मीडिया के लिए लड़े नहीं। एक विशेष अखबार की आपको चिंता हुई। कोई विशेष कारण। आखिर क्या मजबूरी थी? आपने कहा, अखबार के विज्ञापन रोकना लोकतंत्र विरोधी है। यह बात हजम नहीं हुई।

<script async src="//pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script> <script> (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({ google_ad_client: "ca-pub-7095147807319647", enable_page_level_ads: true }); </script> <p>आदरणीय भूरिया जी,</p> <p>नमस्कार,</p> <p>सुबह-सुबह राजस्थान पत्रिका के प्रथम पेज पर आपकी मीडिया के दमन को लेकर चिंता के विषय में पढ़ा। अच्छा लगा। मीडिया के अधिकारों की बात होनी चाहिए। पुरजोर तरीके से मीडिया की दबती आवाज, अभिव्यक्ति, आजादी आदि-आदि के लिए लड़ना चाहिए। पर, आश्चर्यजनक तो यह है कि आप संपूर्ण मीडिया के लिए लड़े नहीं। एक विशेष अखबार की आपको चिंता हुई। कोई विशेष कारण। आखिर क्या मजबूरी थी? आपने कहा, अखबार के विज्ञापन रोकना लोकतंत्र विरोधी है। यह बात हजम नहीं हुई।</p>

आदरणीय भूरिया जी,

Advertisement. Scroll to continue reading.

नमस्कार,

सुबह-सुबह राजस्थान पत्रिका के प्रथम पेज पर आपकी मीडिया के दमन को लेकर चिंता के विषय में पढ़ा। अच्छा लगा। मीडिया के अधिकारों की बात होनी चाहिए। पुरजोर तरीके से मीडिया की दबती आवाज, अभिव्यक्ति, आजादी आदि-आदि के लिए लड़ना चाहिए। पर, आश्चर्यजनक तो यह है कि आप संपूर्ण मीडिया के लिए लड़े नहीं। एक विशेष अखबार की आपको चिंता हुई। कोई विशेष कारण। आखिर क्या मजबूरी थी? आपने कहा, अखबार के विज्ञापन रोकना लोकतंत्र विरोधी है। यह बात हजम नहीं हुई।

Advertisement. Scroll to continue reading.

आप ही समझाओ लोकतंत्र में कहां उल्लेख है कि अखबार को सरकार का विज्ञापन देना अनिवार्य है? अखबार को सरकार विज्ञापन नहीं देगी तो लोकतंत्र को क्या नुकसान होगा? विज्ञापन रोककर सरकार कैसे मीडिया हाउस पर अंकुश लगा सकती है? क्या सरकार ने अखबार की प्रिंटिंग प्रेस पर ताला लगा दिया या उसके प्रतिनिधियों के सचिवालय में घुसने के पास रद्द कर दिए या रिपोर्टरों को खबर करने से रोका जा रहा है या किसी प्रकार की कानूनी कार्रवाई की है? यदि ऐसा कुछ किया है तो वाकई आपको आवाज ही नहीं उठानी चाहिए, बल्कि सरकार की मुखालफत (आपने खिलाफत शब्द का इस्तेमाल किया, जो गलत है) करनी चाहिए। सर जी सड़क पर उतरकर लड़ें, हम आपके साथ कंधे से कंधा मिलाएंगे।

लेकिन आपने तो ऐसे अखबार के पक्ष में संसद को चुना, जिसे कर्मचारी शोषण में ओलंपिक का गोल्ड मेडल मिलना चाहिए। जो अपना वाजिब हक मांग रहे पत्रकारों का गला घोंटने में अव्वल है। जिसके खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अवमानना के 5 केस चल रहे हैं। 200 से ज्यादा पत्रकार-गैर पत्रकार आप ही की सरकार (यूपीए-2) के लागू मजीठिया वेजबोर्ड को पाने के लिए कोर्ट की शरण में हैं। जिनमें 25 से ज्यादा पत्रकार-गैर पत्रकारों को बिना कारण बर्खास्त किया जा चुका है। 40 से ज्यादा को बेघर किया गया है। यह अखबार अपने कर्मचारियों से अमानवीय व्यवहार की सारी हदें तोड़ रहा है। यहां पत्रकारों की तुलना कुत्तों से हो रही है। अखबार पत्रकार नाम के प्राणी को ही यह विलुप्त बनाने पर आतुर है। आप ही बताएं, ऐसे अखबार ने अपने आर्थिक हितों के लिए आपका तो इस्तेमाल नहीं किया?

Advertisement. Scroll to continue reading.

आप वरिष्ठ राजनेता हैं। आपका जनता में बहुत सम्मान है। आप भारी मतों से विजयी होकर लोकतंत्र के मंदिर में पहुंचे हो। आपसे छोटा से अनुरोध है, जैसे आपने इस अखबार के लिए संसद में आवाज उठाई, उससे थोड़ा कम इस अखबार द्वारा प्रताड़ित पत्रकार-गैर पत्रकारों की भी आप आवाज बनें। हम आपके बहुत-बहुत आभारी रहेंगे। देर शाम राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जी ने भी कुछ ऐसा ही किया, यही सवाल गहलोत जी से भी है।

धन्यवाद।
विनोद पाठक

Advertisement. Scroll to continue reading.

विनोद पाठक के उपरोक्त एफबी पोस्ट पर आए कुछ प्रमुख कमेंट्स इस प्रकार हैं….

Vikas Bokdia : मुझे लगता है की भूरिया ने गुलाब कोठारी का कोई पुराना कर्ज उतारा है ऐसा दुस्साहस करके।। संसद में जो कागज़ पता नहीं कौनसे टेबल की दराज के डस्टबीन में फेंक दिया गया उसकी आत्मप्रशंसा करते हुए ऐसी भ्रामक खबर छापना गुलाब कोठारी के असली व्यक्तित्व को दर्शाता है। आपको बता दूँ की ये खबर छपने के बाद से भूरिया अपना फोन स्विच ऑफ करके किसी दड़बे में छुप गए हैं। देखते हैं वे कब तक हमारे सवालों से बच पाते हैं। इधर सुना है कि कोठारी ने विपक्षी सांसदों को एप्रोच करके इस मुद्दे पर वसुंधरा को घेरने का कोई प्लान बनाया है। मगर मेरा मानना है कि ये दांव कहीं उल्टा न पड़ जाये।। चौबेजी कहीं दुबेजी नहीं बन जाएँ।।।
…तुलसी हाय गरीब की
कबहू ना निष्फल जाय
मरे बैल के चाम सूं
लौह भसम होई जाय।

Advertisement. Scroll to continue reading.

Parmanand Pandey : Beautiful commentary. You have exposed the duplicity of the gentleman. Shabash.

Amit Mishra : पत्रिका के मालिकानों पर माननीय सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के 7 मुकदमे चल रहे

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

0 Comments

  1. ravi

    August 6, 2016 at 6:36 am

    yah bilku satya hain ki rajasthan patrika bhrusth sansthan hain is haramjade gulab kothari se puncha jay ki nalayak gaddar kutte tu aaj rajasthan sarkar ko dhrashtra bata raja aur supreme court ke avhelna bata raha sale tune bhee to supreme court ke wage borad ke mamle main avahelna ke gandu aaj nov.11 se is wage borad ke apalna honi thee chor tune aaj tak ek bhee pais nahi diya ulta 5-6 sale d.a. and anual increasment kha gaya sala duniya ko updesh desh deta randwaj daruwaj aur apne karamchariyo ka soshan kar raha hain sarkari bhrastachar ko ujagar karta aapne bhrasthachar ko bhee to bata ki tu kintan emandar hai kutte tue bhee to dhrasthra se kam kanha hain tu bhee apni nayalka aulado ke preem main andha ho gaya sale buddhe kutte ke maut marega madarchod.

Leave a Reply

Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement