छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार की शर्मनाक हरकत, पत्रकार को आधी रात में अर्धनग्न हालत में उठा ले गई पुलिस, रात भर किया टॉर्चर
रायपुर : रात लगभग 12:00 बजे जब एक वरिष्ठ पत्रकार अपने घर पर परिवार के साथ सो रहे थे तो कुछ पुलिस वाले उनके घर पहुंचते हैं. दरवाजे पीटते हैं. चिल्ला चिल्ला कर कहते हैं- “दिलीप शर्मा बाहर निकलो!” इस आवाज को सुन पत्रकार दिलीप शर्मा की डरी-सहमी बेटियां दरवाजे से झांकने लगती हैं और उनसे पूछती हैं- ‘भैया, आप लोग कौन हो? और पिताजी को क्यों बुला रहे हो?’
वे लोग सिर्फ यही कहते रहे कि दिलीप शर्मा को बाहर भेजो! पत्रकार दिलीप शर्मा की बेटी ने जब दरवाजा खोला तो तेज रफ्तार के साथ ये लोग घर में दाखिल हो गए. इस दौरान 45 साल के दिलीप शर्मा को पकड़ कर पुलिस वाले अपनी गाड़ी में बिठाकर चल दिए. दिलीप को कपड़े तक न पहनने दिया गया. वे शरीर पर सिर्फ बनियान और टावेल लपेटे थे. पुलिसवालों ने रात भर पत्रकार दिलीप शर्मा को टॉर्चर किया. इस टॉर्चर की वजह सिर्फ एक खबर थी.
खबर बिजली गुल होने की थी. कई गांवों में लगातार बिजली गुल होने से लोग परेशान थे. छत्तीसगढ़ में इसी कड़वे सच को लिखना इस पत्रकार के लिए गुनाह हो गया. इसकी सजा दिलीप शर्मा भुगत रहे हैं. एक अपराधी की तरह उन्हें घर से उठाने से लेकर कोर्ट में पेश करने और अब जमानत मिल जाने तक की प्रक्रिया फिलहाल पूरी हो गई है. लेकिन इस दौरान जो अमानवीय हरकत पत्रकार दिलीप शर्मा के साथ की गई, वह शर्मनाक है. इस घटनाक्रम ने हर किसी को चौथे स्तंभ के खिलाफ सिस्टम की तानाशाह मानसिकता का पर्दाफाश किया है.
महासमुंद में रहने वाले दिलीप शर्मा तकरीबन दो दशकों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रहे हैं. जिले में एक वरिष्ठ पत्रकार के तौर पर उनकी अच्छी ख़ासी पहचान है. ग्रामीण क्षेत्रों की ना जाने कितनी खबरों को उन्होंने प्रमुखता से प्रकाशित किया और पीड़ितों के दर्द को अपने शब्दों में पिरो कर उन्हें इंसाफ दिलाया. उनके प्रयासों और लेखन से कई गांवों में बिजली पहुंची. कई सूखे नलों में पानी पहुंचाने का काम किया. जब दिलीप शर्मा गांव में लगातार बत्ती गुल की खबर लिख बैठे तो उनके साथ अपराधियों जैसा सलूक किया गया.
हमसे बात करते हुए दिलीप शर्मा बताते हैं कि पुलिस ने उनके साथ हत्यारोपी जैसा बर्ताव किया. उन्हें मानसिक प्रताड़ना दी गई. इस प्रताड़ना से ब्लड प्रेशर लगातार हाई होता गया.
दिलीप से योगेश की पूरी बातचीत को सुनने के लिए नीचे क्लिक करें–
छत्तीसगढ़ में बिजली कटौती से लोग परेशान हैं. जनता की इस समस्या को उजागर करने वाले मीडियाकर्मी के साथ पूरी सिस्टम किसी खूंखार अपराधी की तरह बर्ताव करता है. इस घटना की चारों ओर निंदा हो रही है. हर तरफ लोग यह चर्चा कर रहे हैं कि क्या सत्ता पक्ष में बैठे हुए सरकार का चरणवंदन करना, उनके पक्ष में समाचार लगाना ही पत्रकारिता है? या फिर गर्मी की तपिश में झुलस रहे लोगों की तकलीफों को सामने लाना पत्रकारिता ? छत्तीसगढ़ के कांग्रेसी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के शासन में एक पत्रकार के साथ हुए इस बर्ताव को लेकर हर कोई स्तब्ध है. सवाल पूछा जा रहा है लेकिन जवाब देने वाला कोई नहीं है.
पत्रकार दिलीप शर्मा बताते हैं कि महासमुंद क्षेत्र के कई गांवों में लगातार ब्लैकआउट की शिकायतें उनको मिल रही थी. कई गांवों में लगातार बिजली कटौती हो रही है. इस मामले को जब अपने वेब न्यूज़ पोर्टल में प्रकाशित किया तो उनको इतनी बड़ी सज़ा दे दी गई. शर्मा बताते हैं कि वह अपने साथ हुए इस पुलिसिया सलूक से स्तब्ध हैं, परेशान हैं. छत्तीसगढ़ के कई इलाकों में गर्मी के दिनों में लगातार बिजली गुल की शिकायत रहती है. अब ऐसे में क्या बिजली कटौती की खबर लिखना गुनाह हो गया है? छत्तीसगढ़ की कांग्रेसी सरकार की यह हरकत हर पत्रकार को स्तब्ध किए हुए है.
रायपुर से पत्रकार योगेश मिश्रा की रिपोर्ट.
Shambhu chudhary
June 18, 2019 at 9:53 pm
Bhagwan hi bachye en kutonn se, Jo satta pe ata hai whoi dhons jamata hai. Congress+ bjp Bhai Bhai.
Reetesh
June 18, 2019 at 11:40 pm
इस तरह की हरकतों का ज्ञान BJP शासित राज्यों से मिल रहा है ।। बधाई
DEV BISHT
June 19, 2019 at 7:06 am
पुलिस वाले आजकल सठिया रहे है।
Madan Tiwary
June 19, 2019 at 8:29 am
न्यूज लिखने के खिलाफ तो कोई दंड प्रावधान है नही, इस न्यूज से भी स्पष्ट नही है कि कौन सी धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज हुआ और गिरफ्तारी हुई ?सिर्फ पत्रकार महोदय की बात के आधार पर तो कोई निर्णय नही लिया जा सकता