Girish Malviya-
यकीन मानिए कुछ ही दिनों बाद खबर आएगी कि पतंजलि की कोरोनिल दवा की बिक्री में 200 फीसदी का इजाफा हुआ है, कुछ लोग डिबेट के एक दो शॉट देख कर लिख रहे कि डॉ लेले ने रामदेव की ले ली लेकिन हकीकत यह है कि रामदेव ने तमाम डॉक्टर की ले ली… माफ कीजिएगा यदि भाषा गलत लगी हो तो लेकिन यही हकीकत है….
आप डिबेट का वीडियो देखिए… पूरे समय रामदेव कोरोनिल की ब्रांडिंग सामने टेबल पर लगा कर बैठा रहा! आप क्या सोचते हैं कि आप ओर हम किसी न्यूज़ चैनल पर लाइव जाए और अपने किसी प्रोडक्ट की वैसी ही ब्रांडिंग करे जैसे रामदेव ने की है तो क्या वह न्यूज़ चैनल उसकी इजाजत देगा? हरगिज नहीं देगा! तो फिर आज तक ने ऐसी इजाजत रामदेव को क्यों दी?
क्या बहस कोरोनिल पर हो रही थी? बहस तो रामदेव की गलत बयानबाजी पर हो रही थी.. तो ऐसी बहस में रामदेव को कोरोनिल की ब्रांडिंग की इजाजत कैसे दे दी गई?
साफ है कि पतंजलि जितने विज्ञापन आज तक को देता आया है उसी को ध्यान में रखते हुए उसे कोरोनिल की ब्रांडिंग की इजाजत दी गयी है…..
अगर IMA के पदाधिकारियों में थोड़ी भी अक्ल होती तो वह कोरोनिल की ऐसी ब्रांडिंग देखते से ही बहस को छोड़ उठ गए होते..
इस प्रकरण में IMA पूरी तरह से गलत प्रेक्टिस पर है, बल्कि मैं तो कहूँगा कि उसने जनता के सामने ऐसी डिबेट में भाग लेकर उसने एक गलत नजीर पेश की है. अब यही होगा कि रामदेव जैसा कोई एरा ग़ैरा नत्थू खैरा कभी भी खड़ा होकर दो चार गाली एलोपैथी को बकेगा और विवाद बढ़ने पर ऐसी पब्लिक डिबेट आयोजित करने को कहेगा जिसमे शान से IMA जैसे प्रतिष्ठित संगठन की ओर से उसके पदाधिकारी भाग लेने जाएंगे.
अगर IMA को रामदेव के बयान पर आपत्ति थी तो उसे सीधे सीधे महामारी एक्ट में एफआईआर दर्ज करानी चाहिए थी….और सरकार को कह देना चाहिए था कि यदि रामदेव को गिरफ्तार कर मुकदमा नहीं चलाया जाता है तो निर्धारित तारीख से सारे डॉक्टर हड़ताल पर जा रहे हैं..
लेकिन नहीं……उसने पब्लिक डिबेट का रास्ता चुना… रामदेव अच्छी तरह से जानता था कि ICMR और एम्स जैसी संस्थाओं द्वारा बार बार कोरोना के इलाज की गाइडलाइंस बदले जाने और परस्पर विरोधी बयानों से पब्लिक पहले से ही डॉक्टरों के एक वर्ग से चिढ़ी हुई है….उसके लिए तो यह गोल्डन अपॉरचुनिटी थी… यह उसके लिए विन विन गेम था. वह इसमें कामयाब हुआ.
सोशल मीडिया के वह मित्र जो इसमे रामदेव की हार देख रहे हैं वो समझ नही पा रहे हैं कि इस बहस का ओवर ऑल क्या प्रभाव पड़ा! अचानक से रामदेव लाइम लाइट में आ गया है… उसने जनता के बड़े वर्ग में डॉक्टरों के प्रति गुस्से को अपने पक्ष में मोड़ लिया है…
कहते हैं न कि सुअर के साथ लड़ाई लड़ने जाओ तो कीचड़ में तुमको उतरना पड़ेगा… सुअर का क्या है… वो तो पहले से ही कीचड़ में लोट लगाए हुए हैं……. IMA कीचड़ में उतरा है…..इस डिबेट में यही हुआ है…
इंदौर निवासी विश्लेषक गिरीश मालवीय की एफबी वॉल से.
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Prakash
May 25, 2021 at 3:50 pm
लो आपकी क्यों जल रही है, आपकी भी ली है रामदेव ने। फट गई है तो सिलवा लो।