विश्व दीपक-
जर्मनी के सबसे ज्यादा बिकने वाले और ताकतवर अख़बार “बिल्ड” ने अपने प्रमुख संपादक को नौकरी से बाहर निकाल दिया. जानते हैं क्यों ?
क्योंकि बिल्ड के संपादक यूलियान गाइखेल्ट (Julian Richelt) का उनके ही ऑफिस में ही काम करने वाली एक जूनियर लड़की के साथ अफेयर हुआ. जांच के बाद साबित हो गया कि गाइखेल्ट ने उस लड़की को ऑउट ऑफ टर्न प्रमोशन दिया था.
अब इस घटना के बरक्स भारतीय मीडिया की नैतिकता का आंकलन करिए. नाम लेने की ज़रूरत नहीं. पिछले बीस साल का इतिहास इस बात का साक्षी है भारत की मीडिया में “ऑउट ऑफ टर्न प्रमोशन” न्यू नॉर्मल बन चुका है.
ध्यान रहे बात रोमांस, अफेयर या सेक्स की नहीं थी. पश्चिमी समाज इसे लेकर सहज है. इसीलिए वहां ढोंग कम है.
मुद्दा था 1) सत्ता के दुरुपयोग की 2) काबिल लोगों को दरकिनार करते हुए एक कम काबिल को ऊपर पहुंचाने की 3) और झूठ बोलने की
अगर गाइखेल्ट यह बात अपने प्रबंधन को बता देते तो मुमकिन है कि या तो उनका इस्तीफा लिया जाता या फिर लड़की को बाहर किया जाता.
दोनों में से किसी एक को संस्थान से बाहर जाना पड़ता. चूंकि गाइखेल्ट संपादक थे इसलिए जिम्मेदारी उनकी ज्यादा बनती है.
भारत का मीडिया किसी भी प्रकार की नैतिकता के मापदंड में कहां खड़ा है – मुझे बताने की ज़रूरत नहीं.
अगर यह सरकार से सवाल नहीं पूछ पा रहा है तो इसका कारण सिर्फ और सिर्फ इतना ही है कि यह अपने पूरे स्वरूप में, अंग-प्रत्यंग सहित बेहद अनौतिक है.
मुख्यधारा की मीडिया के साथ अगर राजनीति, एनजीओ, सामाजिक संगठन, सरकारी संस्थाएं, विश्वविद्यालय आदि को जोड़ लीजिए तो तस्वीर और साफ बनकर उभरतती है.
तुरंत पता चल जाएगा है कि विश्व गुरु असल में कितना (अ) नैतिक है.