योगी सरकार में अगर आपने शासन व प्रशासन की मुखालफत में एक भी शब्द अखबार में छापा तो आपको ना सिर्फ मुकदमा झेलना पड़ेगा बल्कि पुलिस चार पट्टे मार कर हवालात में बंद कर देगी। मीडिया के लिए उत्तर प्रदेश में कुछ-कुछ इमरजेंसी जैसे हालात बने हुए हैं। पीलीभीत में तो प्रशासन ने हद ही कर दी। जिला अधिकारी ने अपनी कोठी के बगल में करोड़ों रुपए की शत्रु संपत्ति पर कब्जा करने वालों पर कार्रवाई करने के बजाए इस प्रकरण में खबर छापने वाले बरेली से प्रकाशित दैनिक युवा हस्ताक्षर के ब्यूरो चीफ पर ही मुकदमा दर्ज करा दिया जबकि अखबार का ब्यूरो चीफ बीते एक महीने से कातिलाना हमले में कूल्हा टूट जाने से बिस्तर पर पड़ा है और जीवन से संघर्ष कर रहा है।
10 सितंबर को पीलीभीत शहर के थाना सुनगढ़ी में बल्लभ नगर कॉलोनी के शशांक मिश्रा की ओर से मेडिकल स्टोर स्वामी ग्राम बरहा निवासी दामोदर उसके पुत्र अजय व युवा हस्ताक्षर के पत्रकार सुधीर दीक्षित पर आईपीसी की धारा 420, 506 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। मुकदमे की तहरीर पर आदेश जिला अधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने किए हैं। दर्ज मुकदमे में घटनाक्रम की शुरुआत 10 अगस्त से होना दर्शाई गई है।
इससे अधिक हास्यास्पद क्या होगा कि पत्रकार सुधीर दीक्षित 9 अगस्त से कूल्हे की हड्डी टूट जाने के बाद चलना फिरना तो दूर उठने बैठने तक से लाचार हैं। वह 9 अगस्त को पीलीभीत जिला संयुक्त चिकित्सालय के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती रहे। उसी दिन उनको उच्च स्तरीय इलाज के लिए केजीएमयू लखनऊ ट्रामा सेंटर रेफर कर दिया गया, तब से आज तक सुधीर दीक्षित बिस्तर पर ही पड़े हुए मल मूत्र का त्याग कर जीवन से संघर्ष कर रहे हैं।
जिला अधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने जिस शशांक मिश्रा के प्रार्थना पत्र पर सुनगढ़ी पुलिस को पत्रकार पर मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए। शशांक मिश्रा कथित शिकायतों के आधार पर पूरे जनपद में लोगों से रंगदारी मांगने के लिए कुख्यात है और इसी क्रम में 6 सितंबर को शशांक मिश्रा के विरुद्ध पहले से ही बरहा के शिवा मेडिकल स्टोर स्वामी अजय कुमार की ओर से रंगदारी मांगने का मुकदमा दर्ज है, जिसका समाचार सभी प्रमुख समाचार पत्रों में प्रमुखता से छपा था। जाहिर है कि प्रशासनिक अधिकारी वाकिफ थे कि शशांक मिश्रा रंगदारी के मुकदमे का अभियुक्त है।
प्रशासनिक अधिकारी इस बात से भी भली-भांति वाकिफ हैं कि पत्रकार सुधीर दीक्षित 9 अगस्त से लेकर आज तक बिस्तर पर पड़े हुए हैं और हिलने-डुलने तक की स्थिति में नहीं हैं, ऐसे में रंगदारी मांगने के लिए कुख्यात व्यक्ति की ओर से पत्रकार सुधीर दीक्षित पर मुकदमा दर्ज करने के आदेश देने से जिलाधिकारी का कटघरे में खड़ा होना लाजमी है। उल्लेखनीय है कि पत्रकार सुधीर दीक्षित पर 9 अगस्त को टनकपुर हाईवे पर ट्रैक्टर चलाकर उनकी हत्या करने की कोशिश की गई थी। ट्रैक्टर के नीचे आकर उनकी कूल्हे की हड्डी टूट गई। जिसकी धारा 307 की एफआईआर कोतवाली में दर्ज है।
पत्रकार सुधीर दीक्षित ने “भड़ास” को बताया कि जिलाधिकारी की कोठी के बगल में करोड़ों रुपए की शत्रु संपत्ति पर शहर के भू माफियाओं ने ध्यान योग केंद्र की आड़ में कब्जा कर लिया, जिसकी खबरों का प्रकाशन होने से जिलाधिकारी नाराज हैं। इसीलिए दुर्भावनावश उन्होंने यह जानते हुए कि मैं एक माह से कूल्हा टूट जाने के कारण बिस्तर पर पड़ा हूं फिर भी संवेदन शून्य होकर प्रतिशोध की नीयत से रंगदारी मांगने के लिए बदनाम शशांक मिश्रा को मोहरा बनाकर मेरे विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने के आदेश पारित किए। शशांक मिश्रा के विरुद्ध लोगों की फर्जी शिकायतें करके रंगदारी मांगने की शिकायतों की लंबी फेहरिस्त है। मेरे विरुद्ध मुकदमा दर्ज होने से प्रशासन और माफिया-अपराधी गठजोड़ सामने आ गया है।
पीलीभीत में बीते 10 दिन के अंदर पांच पत्रकारों पर आलोचनात्मक खबरें छापने पर पुलिस में मुकदमा दर्ज हो चुका है, जिसको लेकर मीडिया योगी सरकार में बुरी तरह भयभीत है।
बरेली से वरिष्ठ पत्रकार निर्मलकांत शुक्ला की रिपोर्ट.
Shubhendu shukla
September 13, 2019 at 12:10 am
बीजीपी सरकार में पत्रकारों के साथ जो कुछ हो रहा गलत है। ये प्रशासन पूरी तरह से तानाशाही पर उतर आई है। झूठ मुकदमा दर्ज कराने पर fir दर्ज होनी चाहिए। साथ ही जिम्मेदार उन सभी अधिकारियों को बर्खास्त कर fir दर्ज की जाए जिन्होंने पावर का गलत दुरुपयोग करते हुए निर्दोष पत्रकार पर गलत तरीके से सिर्फ खबर छापने पर बौखलाकर ये काम किया।