हर्ष कुमार-
स्तरहीन पत्रकारिता …. भाकियू में हुए बिखराव को लेकर कुछ बड़े मीडिया हाउस की खबरें इस तरह से चली। जबकि हकीकत यह है कि एक अलग संगठन बना है और उनकी अभी इतनी हैसियत नहीं कि वे राकेश या नरेश टिकैत को निकाल सकें।
वैसे भी भारतीय किसान यूनियन टिकैत परिवार का संगठन है। इसे कोई और कैसे चला सकता है? क्या शिवपाल यादव कभी सपा से अखिलेश को निकाल सकते हैं? नए संगठन को बनाने वालों ने कहीं नहीं कहा कि वे राकेश या नरेश को निकाल रहे हैं।
समस्या यह है कि इन संस्थानों में राजनीतिक लेखन करने वालों की संख्या शून्य हो चुकी है। किसी को नहीं पता कि क्या लिखना है? इनके संपादक भी गधे हैं।
शायद यही वजह है कि इनकी खबरों पर से लोगों का भरोसा उठ चुका है और इनसे ज्यादा व्यूज हमारे जैसे यूट्यूबर्स के वीडियो पर आते हैं।