कांग्रेस हो या भाजपा, सबने उत्तराखंड को छला है. इस राज्य के नेता और अफसर अपनी जेबें भरते रहे, अपने आदमियों में संसाधन का बंदरबांट करते रहे. जनता के हिस्से केवल गरीबी ही रही. जनता के लिए दुख, परेशानी और दुर्दशा स्थाई भाव है. ये तस्वीर देखिए. सड़क पर प्रसव कराती महिलाएं. क्योंकि, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर न एंबुलेंस है और न डाक्टर.
जोशीमठ से पत्रकार नितिन सेमवाल बताते हैं कि विकासखंड के उर्गम गांव की ये तस्वीर उत्तराखंड की वर्तमान और भूतपूर्व सरकारों व इससे जुड़े नेताओं-मंत्रियों समेत पूरे सिस्टम पर बड़ा तमाचा है.
आज उर्गम निवासी श्रीमती तनुजा को अचानक प्रसव पीड़ा होने लगी. उनके पति प्रेम प्रकाश पंवार उन्हें गांव के ही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले गये. वहां कोई डाक्टर न था. एम्बुलेंस भी नहीं दिखा जिससे वो अपनी पत्नी को कहीं दूसरी जगह ले जाते. प्रसव पीड़ा से तड़प रहीं पत्नी तनुजा को लेकर प्रेम प्रकाश ल्यारी पहुँचे. वहां से जोशीमठ स्वास्थ्य केंद्र की ओर पढ़ने लगे. तनुजा को दर्द सहन नहीं हुआ. तभी साथ में मौजूद आशा कार्यकर्ती संतोषी देवी के साथ ल्यारी की 4 से 5 महिलाओं ने सकड़ किनारे प्रसव कराया. नवजात सकुशल है.
क्या इतने वर्षों में उत्तराखंड में हेल्थ सेक्टर में इतना भी काम न हो सका है कि महिला सुरक्षित तरीके से और कुशल डाक्टरों की निगरानी में बच्चे को जन्म दे सके? आज का दिन उत्तराखंड के लिए काला दिन है. यहां के नेताओं और अफसरों को अपने मुंह पर कालिख पोत लेनी चाहिए.
कब तक इस प्रकार से गर्भवती महिलाओं को करप्ट सिस्टम के आगे दर्द और मौत की आशंका के बीच जीना-जूझना पड़ेगा. सरकार ने करोड़ों की लागत से गांवों में स्वास्थ्य केंद्र तो बना दिये हैं पर उनकी स्थिति-नियति देखकर हर किसी को रोना आ रहा है. उर्गम गांव बद्रीनाथ हाईवे पर हेलग से 12 किमी दूर है. यहां पर सड़क मार्ग से जाया जा सकता है. पर बरसात में सड़क की स्थिति बहुत खराब रहती है. लोगों को जान हथेली पर रखकर चलना पड़ता है. उत्तराखंड में करप्ट सिस्टम के कारण स्वास्थ्य सेवा का दम निकल चुका है. ये तस्वीर उत्तराखंड के नेताओं-अफसरों के गाल पर तमाचा है जो जनता के पैसे को लूट कर जनता के हवाले सिर्फ दर्द और दुख दे सके हैं.
जोशीमठ से युवा पत्रकार नितिन सेमवाल की रिपोर्ट.