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साहित्य

उपन्यास पार्ट (1) : सक्सेना बड़ा काइयां था… नई माल देख उसके अंदर का मर्द जग गया…

जैसे ही वो लड़की लिफ्ट से निकलकर गुड़गांव यानी अभी के गुरूग्राम के डीएलएफ फेज-2 स्थित ‘साड्डा हक’ न्यूज़ चैनल के रिसेप्शन की ओर बढ़ी…सबकी आंखें खुली की खुली रह गईं…जिसने भी उसे देखा…दंग रह गया…सब उसे एकटक देखते रह गए…किसी को अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था…कई तो इस कदर खो गए कि पलकें झपकाना तक भूल गए…फिर मन ही मन सोचने लगे कि क्या कोई लड़की इतनी भी ज्यादा खूबसूरत हो सकती है?…

वैसे आप तो बुझवे करते होंगे…इसलिए बताने की जरूरत नहीं है…लेकिन अगर नहीं बूझते हैं…तो एगो बात बूझ लीजिए…और अपने मन में एक बात मजबूती से गांठ बांध लीजिए…कि महिलाएं और लड़कियां सिर्फ दो टाइप की होती हैं…नंबर वन- खूबसूरत…और नंबर टू- बेहद खूबसूरत…मीडियम या एवरेज जैसा कोई ऑप्शन नहीं होता…और एक ‘गूढ़ रहस्य’ की बात बताते हैं आपको….लाइफ में कभी भी लड़कियों-महिलाओं के लुक, फिगर और उम्र के बारे में सच बोलने की ‘हिमाकत’ मत करिएगा…’सामने वाली पार्टी’ की इच्छा, चाहत और ‘मन की बात’ पढ़कर बात करिएगा…वरना ‘लेने के देने’ पड़ जाएंगे…आपको अपनी इस ‘छोटी-सी गलती’ का ‘काफी खतरनाक अंजाम’ भुगतना पड़ सकता है…‘भारी कीमत’ चुकानी पड़ सकती है…

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अगर गर्लफ्रेंड के सामने ऐसी ‘गुस्ताखी’ की…तो वो रूठ जाएगी…फिर आपको एप्पल या सैमसंग का महंगा स्मार्ट फोन…या चांदनी चौक से लहंगा खरीदकर…या फिर झावेरी बाजार से झुमका या टॉप्स खरीदकर और कई दिनों तक खुशामद करने के बाद ‘रिश्वत’ देकर उसे ‘पटाना’ पड़ेगा…आपको फालतू का 25 से 30 हजार का ‘चूना’ लग जाएगा…अगर ‘टुनटुन या गुड्डी मारूति जैसी दिखने वाली’ बीवी के सामने भी सच बोलने की ‘जुर्रत’ की…तो घर में खाना तो नसीब नहिए होगा…’बेडरूम में’ भी तूफान मच जाएगा…मेरे कहने का मतलब तो बुझिये गये होंगे आप?…फिर ‘सच बोलने की इस गलती’ के लिए आपको सोने का ईयर रिंग, भारी भरकम कंगन और चूड़ियों का सेट…या एंटिक लुक वाला काफी महंगा नेकलेस देकर…और अनगिनत बार ‘सॉरी’ बोलकर अपनी ही ‘बेटर हाफ’ को ‘पटाना’ पड़ेगा…फालतू में आपको एक-डेढ़ लाख रुपए की चपत लग जाएगी…फिर आप मुझे कोसेंगे…’अमां यार, कैसे फ्रेंड हो तुम?…जब सच बोलना इतना खतरनाक था…और ई बात तेरे को पहले से पता था…तो बताना चाहिए था न’…इसलिए ‘सच्चा फ्रेंड’ होने के चलते आपको वक्त रहते ‘संभावित खतरे’ के प्रति आगाह कर दे रहा हूं…

वैसे हम का बतायें आपको…आप खुदे काफी समझदार हैं…आपको हमरी सलाह की जरूरत न पहले थी…और न ही अभियो है…काहे कि पाठक लेखक से ज्यादा समझदार होते हैं…नहीं नहीं, ई बात हम अपने मन से नहीं कह रहे हैं…ऊ हमरे सामने वाली बिल्डिंग में एगो पाठक जी रहते हैं न…उहे एक दिन हमसे ई बात कह रहे थे…खैर, छोड़िए ई सब बात…लेकिन ऊपर ऊ सब बात जो हम आपको कह रहे थे न…वो अपने ‘रियल लाइफ एक्सपीरियंस’ के आधार पर…काहे कि एगो कहावत है न- ‘समझदार वही होता है जो खुद की गलती से नहीं, बल्कि दूसरों की गलतियों से सीखता है…इसलिए समय रहते बताय दे रहा हूं अभियो चेत जाइए’…

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खैर छोड़िए ई सब बात…बहुत हुआ हंसी-मजाक…फालतू का हमरा और आपका ‘टैम भेस्ट’ हो रहा है…और विषयांतर भी हो रहा है…सो, टू द प्वॉयंट आते हैं…उस खूबसूरत लड़की की बात करते हैं…जो इस वक्त ‘साड्डा हक’ चैनल के रिसेप्शन पर आई हुई है…अरे, उसका नाम बताना तो हम आपको भूलिए गए थे…ऊं…क्या नाम है उसका?…अच्छा याद आया…प्रीति…बताया तो था उसने मुझे…हमही आपको बताना भूल गए…लगता है बुढ़ापे ने दस्तक दे दी है…स्साला, लाख गार्नियर या लॉरियल का हेयर कलर लगा लो…हर पंद्रह दिन पर हेयर डाई करा लो…हफ्ते-हफ्ते जाकर कितना भी फेसियल या फेस मसाज करा लो…लेकिन सफेद बाल और चेहरे पर लटकी झुर्रियां बुढ़ापे की चुगली कर ही देती है…टीभी वाला सब परचार में कतना झूठ दिखाता है…हम दर्शक लोगों को खूब ‘बुड़बक’ बनाता है…खैर छोड़िए ई सब बात…हमरी पर्सनल लाइफ से आपको का मतबल?…काहे जबरन ताक-झांक कर रहे हैं…चलिए खूबसूरत प्रीति के बारे में बात करते हैं…

प्रीति उन चुनिंदा लड़कियों में से थी…जिसे शायद भगवान ने फुर्सत के पलों में अपने हाथों से करीने से तराशकर धरती पर भेजा था…ताकि अपनी खूबसूरती से वो धरती को गुलजार कर सके…अपने हुस्न और अदाओं से कुदरत की बनाई इस दुनिया को और भी खूबसूरत बना सके..अपने हुस्न के जादू से लाखों जवां दिलों को सम्मोहित कर उस पर राज कर सके…बिल्कुल स्वर्गलोक में रहने वाली परी जैसी दिखती थी वो…उम्र तकरीबन 28-29 साल…कद करीब साढ़े पांच फीट…तीखे नैन-नक्श…गेहुंआ रंग…जिसने भी उसे देखा…पहली ही नजर में उसका दीवाना बन गया…

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प्रीति ने रिसेप्शनिस्ट को बताया कि वो यहां जॉब के सिलसिले में आई है…और मैनेजिंग एडिटर सक्सेना जी से मिलना चाहती है…रिसेप्शनिस्ट जगजीत कौर ने इंटरकॉम पर सक्सेना को बताया-‘एक कुड़ी त्वाडे से मिलने आई है’…इस पर सक्सेना ने रिसेप्शनिस्ट से कहा- ‘अभी अर्जेंट मीटिंग चाल रही है…उसे आधे घंटे बाद भेजो’…हालांकि सक्सेना मीटिंग के बजाय खुशबू से फ्लर्ट करने में बिजी था…

ज्यादातर मर्दों की फितरत ऐसी ही होती है…खूबसूरत लड़की दिखी नहीं…कि लार टपकाने लगे…उम्रदराज लोग तो इस मामले में ‘और भी ज्यादा एक्सपीरिएंस्ड’ और ‘घाट-घाट का पानी’ पिये होते हैं…फिर खुशबू तो थी ही बिंदास और सो-कॉल्ड मॉडर्न…काम से ज्यादा उसे भी इन्हीं सब चीजों में मन लगता था…शायद उसे मीडिया इंडस्ट्री और प्रोफेशनल लाइफ में ‘सक्सेस का शॉर्टकट’ पता था…कि सिर्फ काम करने से कुछ नहीं होता…’कुछ और भी’ करना पड़ता है…मेहनत तो सबसे ज्यादा बेचारे रिक्शा चलाने वाले और दिहाड़ी मजदूर करते हैं…लेकिन क्या होता है?…बेचारे दो वक्त की रोट्टी के लिए तरसते हैं…और साहेब लोग पिज्जा, बर्गर तोड़ते रहते हैं…रोस्टेड चिकेन चबाते रहते हैं…सो, सक्सेना उसे ‘नॉन वेज’ जोक सुना रहा था…और वो हंस-हंसकर एन्ज्वॉय कर रही थी…

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https://www.youtube.com/watch?v=jWBKxjk2zEc

बीच-बीच में वो भी सक्सेना को बिहारियों के बारे में घिसे-पिटे जोक सुनाती…कि कैसे एक बिहारी ने लुधियाने से अपनी वाइफ को कच्छा भेज दिया…तो गांव में उसकी घरवाली प्रेग्नेंट हो गई…कैसे एक बिहारी ने अपने घर लेटर लिखा कि- ‘रात में ड्यूटी से आने के बाद खाना बनाना पड़ता है…बहुते दिक्कत होता है…फिर ठंडो बहुत पड़ रहा है…सो, किसी के साथ वाइफ को दिल्ली भेज दें…इस पर गांव में उसके फादर ने ‘वाइफ का मतलब ‘कंबल’ समझ लिया और कंबल भेज दिया…वगैरह…वगैरह…और दोनों इन घटिया जोक्स पर जमकर ठहाके लगाते…

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अब ई सब पढ़कर आप बिहारी भाई लोग मेरे पीछे लाठी-डंडा लेकर मत पड़ जाइएगा…काहे कि हमहूं बिहारिये हैं…खांटी बिहारी…ऊ जइसे एनआरआई होता है न…उसी तरह से एनआरबी…यानी नॉन रेजिंडेंट बिहारी…बिहार में पैदा हुआ…पला-बढ़ा..पढ़ा-लिखा और फिर रोटी-रोजगार के लिए एक राज्य से दूसरे राज्यों में ‘पेंडुलम की तरह’ डोलता रहा…’सुशासन बाबू’, सत्ता की मलाई खाने से कभी फुर्सत मिले…तो इस पर सोचिएगा जरूर…कि ‘विकास पुरूष’ कहे जाने के बावजूद आप बिहार में रोजगार के अवसर क्यूं नहीं पैदा कर सके…खैर छोड़िए ई सभ बात…काहे कि कोई ‘फैदा’ नहीं होने वाला…नेता लोग अपनी नेतागिरी चमकाने में लगे रहते हैं…और हमारे बिहारी भाई-बंधु दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, अहमदाबाद, सूरत में ‘प्राइभेट’ नौकरी करते हैं…लेकिन ऊपर जो जोक लिखे हैं…उसके बारे में बस इहे कहना चाहेंगे कि मेरे ई सब लिखने का मतलब ‘अपने बिहारी भाईयों’ का अपमान करना नहीं है…बस, पंजाबियों के मन में हम बिहारियों के प्रति जो पूर्वाग्रह है…उसे सामने लाना है..फिर भी अगर किसी की भावना को ठेस पहुंची हो…तो ‘भईया लोग’ माफी चाहते हैं…

खूबसूरती वो खुशबू है जो फिजा में घुलकर सांसों के जरिये सीधे आशिकों के दिल में उतरकर बस जाती है…खूबसूरती को सात ताले में बंद करके रखो…तो भी उसकी सुगंध ‘दिलवालों’ के दिल तक पहुंच ही जाती है…रिसेप्शन पर बैठी लड़की की खूबसूरती की खबर थोड़ी ही देर में पूरे ऑफिस में फैल गई…अब जहां ‘खूबसूरत कली’ रहेगी…वहां आसपास ‘भंवरे’ मंडराएंगे ही…ये तो कुदरत का दस्तूर है…सो, ‘लिचरपने की आदत से मजबूर’ बहुत-से ‘टुच्चा टाइप’ लोग खुद को रोक नहीं पाए…और उसकी एक झलक पाने के लिए रिसेप्शन पर चले आए…

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फिर तो मानो सिलसिला-सा चल पड़ा…मेल स्टाफ किसी न किसी बहाने रिसेप्शन पर आते…और जगजीते से हाय-हलो करते…फिर टाइमपास करने के लिए इधर-इधर की बातें करने लगते…इस दौरान तिरछी नजरों से उस अप्सरा को देखते…हवस भरी आंखों से उसकी ‘खूबसूरती का रसपान कर अपने नैनों की प्यास’ बुझाते…जगजीत भी समझती थी कि अचानक से स्टाफ लोग रिसेप्शन पर ‘मधुमक्खियों की तरह’ क्यूं मंडराने लगे हैं…बाकी दिन तो रिसेप्शन पर इतनी देर खड़ा रहना अपनी शान के खिलाफ समझते थे…कभी उससे सीधे मुंह बात तक नहीं करते थे…रिसेप्शनसिस्ट से बात करना अपनी तौहीन समझते थे…लेकिन आज जिसे देखो वही रिसेप्शन आकर उसका हाल-चाल पूछ रहा है…जाहिर है असली वजह कुछ और है…सो, वो भी इन मर्दों की फितरत पर मंद-मंद मुस्कुरा रही थी…लेकिन किसी को कुछ कहा नहीं…
थोड़ी ही देर में प्रीति की खूबसूरती की खबर सक्सेना के कानों तक भी पहुंच गई…सक्सेना ने जल्दी-जल्दी खुशबू को अपने केबिन से चलता किया…फिर रिसेप्शन पर फोन कर जगजीते से उस लड़की को भेजने को कहा…प्रीति बड़ी अदा और नजाकत के साथ चलते हुए सक्सेना के केबिन तक पहुंची…

सक्सेना…यानी ‘साड्डा हक’ में मालिक के बाद नंबर-2 की कुर्सी पर विराजमान मैनेजिंग एडिटर प्रेम सक्सेना…उम्र तकरीबन 52 साल…नाटा कद…सर पर गिनती के बाल…इतने कि चांद भी इन्हें देखकर शर्मा जाए…बेल्ट तोड़कर शरीर से बाहर निकलने के लिए बेताब पेट…सक्सेना ने ही चिटफंडिया कंपनी के मालिक आनंद आहूजा को चैनल खोलने के लिए पटाया था…आहूजा को मीडिया लाइन का कोई तजुर्बा नहीं था…सो, उसने सक्सेना के हाथों में चैनल की कमान सौंपते हुए उसे मैनेजिंग एडिटर बनाया…आजकल आम तौर पर चैनल में बड़ा पद और ज्यादा सैलरी उसे ही मिलती है…जो फाइनेंसर को ‘फंसा कर’ लाता है…

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लेकिन आहूजा भी कच्चा खिलाड़ी नहीं था…बगैर स्वार्थ के वो कोई काम नहीं करता था…आहूजा को भी लगा कि मीडिया का साथ रहेगा…तो कोई हाथ डालने की हिम्मत नहीं करेगा…सोसायटी में हनक बरकरार रहेगी…केस-वेस का चक्कर भी खत्म होगा…पुलिस-प्रशासन को वक्त-वेवक्त चढ़ावा चढ़ाने की ज़रूरत भी नहीं पड़ेगी…और सबसे बड़ी बात कि इंवेस्टर का भरोसा कायम रहेगा…कि चलो काफी बड़ा ग्रुप है…मीडिया हाउस भी है उसके पास…फिर चैनल के जरिये लोगों को चिटफंड में पैसे इंवेस्टमेंट करने के लिए मोटिवेट किया जाएगा…सो, उसने गुड़गांव में एक लो बजट नेशनल चैनल खोल लिया…’साड्डा हक’ के नाम से…कहने को तो ‘साड्डा हक’ नेशनल चैनल था…लेकिन इसका फोकस पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, दिल्ली-एनसीआर और पश्चिमी उत्तर प्रदेश था…आहूजा के बिजनेस का प्राइम फोकस एरिया भी यही था…इन्हीं इलाकों से वो साढ़े पांच साल में रकम दोगुनी करने के नाम पर माल बटोरता था…छोटे शहरों और कस्बों के भोले-भाले लोगों को मोटा मुनाफा का लालच देकर बरगलाता था…

ई कोनो कहने वाली बात नहीं है…आप तो बुझवे करते होंगे कि आजकल ज्यादातर ऐसे ही लोग चैनल खोलते हैं…जिन्हें अपनी ब्लैकमनी ह्वाइट करनी होती है…खास तौर से बिल्डर और चिटफंडिया कंपनी के मालिक…इन्हें मीडिया की आड़ में अपने काले कारोबार को आगे बढ़ाना रहता है…ये लोग मीडिया को ‘सेफगार्ड की तरह’ इस्तेमाल करते हैं…ताकि पुलिस और प्रशासन इन पर हाथ डालने से पहले हजार बार सोचे…आहूजा ने भी इसीलिए चैनल खोला था…खैर छोड़िए इन सब बातों को…चलिए देखते हैं कि साड्डा हक ‘न्यूड चैनल’…ओ

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सॉरी…सॉरी…माफ कीजिएगा…टाइपिंग की गलती से न्यूड चैनल लिखा गया…साड्डा हक न्यूज़ चैनल में क्या हो रहा है…

सक्सेना ने जब उस लड़की को देखा…तो देखता ही रह गया…उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हुआ…सो, पहले उसने अपना चश्मा हटाया…ग्लास साफ किए…फिर उसे पहना…वाकई…इतनी खूबसूरत लड़की तो उसने अपनी जिंदगी में कभी नहीं देखा था…इतने दिनों में चैनल में एक से बढ़कर एक कुड़ियां आईं और गईं…लेकिन इस कुड़ी में जो बात है…वो अब तक किसी में नहीं दिखी…जो अदा…जो नजाकत…जो नफासत..जो इनोसेंस…और नेचुरल ब्यूटी होने के चलते जो सेक्स अपील इसमें है…वो आज तक किसी में नहीं दिखी थी…और खूबसूरती ऐसी कि स्वर्गलोक की अप्सरा भी ईर्ष्या करने को मजबूर हो जाए…

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सक्सेना बड़ा काईयां किस्म का आदमी था…उसके दिल में कुछ और होता और जुबां पर कुछ और…सो, उसने इधर-उधर की बातें न करते हुए और चेहरे पर कोई एक्सप्रेशन लाये बगैर सपाट लहजे में पूछा- ‘हाऊ आई कैन आई हेल्प यू मैडम?…’प्रीति ने सक्सेना को अपनी सीवी दी…और बताया कि उसका नाम प्रीति चौधरी है…और वो एंकर बनना चाहती है…सक्सेना ने जब प्रीवियस एक्सपीरियंस के बारे में पूछा…तो उसने बताया कि कभी किसी चैनल में काम नहीं किया है…लेकिन खबरों की समझ उसे है…और ठीक-ठाक लिख भी लेती है…उसने नोएडा फिल्मसिटी स्थित एक नेशनल चैनल में डेढ़ महीने की इंटर्नशिप की है…एंकरिंग की भी अलग से ट्रेनिंग ली है और प्रैक्टिस की है…सक्सेना ने पूछा कि उसके परिवार, रिश्तेदार या फ्रेंड सर्कल में से कोई मीडिया लाइन में है…तो उसने ‘ना’ में जवाब दिया…

सक्सेना के ‘अंदर का मर्द’ जाग गया…उसे लगा कि ‘नई माल’ है…मीडिया लाइन में उसका कोई नहीं है…सो, उसे अपने जाल में ‘फंसाना’ आसान होगा…फिर भी उसने अपने मन में चल रही साजिशों को जुबां पर नहीं आने दिया…और कहा-‘ऐसा है प्रीति, हम ‘सिल्वर स्क्रीन’ नाम से जल्द ही एक नया प्रोग्राम लॉन्च करने जा रहे हैं…जिसके लिए एक बिंदास और गुडलुकिंग एंकर की ज़रूरत तो है…लेकिन इसके लिए तुमको ऑडिशन देना पड़ेगा…ऊं…ऐसा करो…कल दोपहर दो बजे आ जाओ…मेकअप लो…और ढाई बजे ऑडिशन दो…देखते हैं क्या हो सकता है?’…प्रीति सक्सेना के केबिन से बाहर निकली…और रिसेप्शन की ओर बढ़ी…इसी बीच आहूजा के राडार पर आ गई…

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https://www.youtube.com/watch?v=GpJGhWPgSz0

आहूजा यानी आनंद आहूजा…’साड्डा हक’ न्यूड चैनल…सॉरी..सॉरी…पता नहीं क्या हो गया है…लैपटॉप का की बोर्ड खराब हो गया है…या नाकामी के फ्रस्टेशन के चलते मेरा दिमाग सठिया गया है कि बार-बार न्यूड चैनल लिखा जा रहा है…मेरे कहने का मतलब था- साड्डा हक न्यूज चैनल का मालिक…उम्र तकरीबन 47 साल…गोरा रंग…लंबी-चौड़ी कद-काठी…कद करीब पौने छह फीट…पंजाबी वैसे भी गठीले शरीर और लंबी-चौड़ी कद-काठी के होते ही हैं…अपने चैंबर में लगे बड़े-से एलईडी पर वो सीसीटीवी के जरिये स्टाफ की एक्टिविटीज वाच कर रहा था…तभी उसने एक ‘टंच माल’ को सक्सेना के केबिन से बाहर निकलते देखा…उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हुआ…उसने जूम कर देखा…उसके ‘अंदर का शैतान’ जाग गया…उसे लगा कि अगर ये उसके चैनल में आ गई…तो जिंदगी में ‘आनंद ही आनंद’ होगा…लाइफ में ‘मजे ही मजे’ होंगे…

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हम ई बात बूझते हैं कि टंच माल’, ‘नई माल’ जैसे शब्द पढ़कर आपको काफी बुरा लग रहा है…और आप शायद मन ही मन मुझे गालियां दे रहे होंगे…इसे लडकियों और महिलाओं का अपमान मानकर मुझे ‘सी ग्रेड रायटर’ और ‘महिला विरोधी’ बूझ रहे होंगे…पर माफ कीजिए…लड़कियों और महिलाओं के अपमान का मेरा तनिक भी इरादा नहीं है…बल्कि सच बयां करने की मजबूरी है…लिखते वक्त इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल करते हुए मुझे भी बुरा लग रहा है…इसलिए इस तरह के शब्दों के इस्तेमाल के लिए पूरे नारी समाज से माफी चाहते हैं…

पर का करें…आजकल न्यूड चैनलों…सॉरी…सॉरी न्यूज चैनलों में कुछ ऐसी ही भाषा चलती है…लोग आपसी बातचीत में ऐसे-ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं कि अश्लील साहित्य के जनक ‘परम आदरणीय मस्तराम जी’ भी शर्मा जाएं…ऐसी-ऐसी बातें करते हैं जिसे यहां लिख भी नहीं सकते…जो चैनल जितना बड़ा…वहां के लोगों की सोच उतनी ज्यादा छोटी…उस पर तुर्रा ये कि जो ऐसा करते हैं…उसे ‘प्रोग्रेसिव और मॉडर्न’ माना जाता है…और जो ऐसा नहीं करते…बोलते वक्त मर्यादा का ध्यान रखते हैं…शब्दों के चयन में सावधानी और संयम बरतते हैं…उसे ‘पिछड़ा और दकियानूसी सोच रखने वाला’ माना जाता है…

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खैर छोड़िए इन बातों को…आप बोर हो रहे होंगे…सो, आहूजा की बात करते हैं…

हवस वो आग जो अगर एक बार भड़क जाए…तो सैकड़ों-हजारों फायरब्रिगेड की गाड़ियां उसे नहीं बुझा सकती…हवस वो चिंगारी है जो ‘दांपत्य जीवन रूपी सोने की लंका’ को पल भर में जलाकर राख कर देती है…लेकिन आहूजा को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था…वाकई जब आप दिन रात हवस के दलदल में डूबते-उतराते हों…तो आपको उस दलदल में गोते लगाते वक्त भी खुशबू का ही एहसास होगा…सड़ांध महसूस नहीं होगी…जब इन्द्रियों के आगे ज्ञानेंद्रियां हार मान ले तो समझिए कि उस शख्स का पूरी तरह से चारित्रिक पतन हो चुका है…आहूजा का भी कुछ ऐसा ही हाल था…

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….जारी….

‘गॉडफादर!’ नामक इस उपन्यास के लेखक अमर कुमार मिश्र मधुबनी, बिहार के रहने वाले हैं. उनसे संपर्क [email protected] के जरिए किया जा सकता है. इस उपन्यास का किसी भी चैनल और जीवित या मृत व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है…अगर कहीं कोई समानता नजर आती है तो वो महज एक संयोग है…

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इसके आगे का पढ़िए…

उपन्यास पार्ट (2) : तेरे पर भी उसकी बुरी नजर है…

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उपन्यास पार्ट (3) : अगर तुम्हें एंकर बना भी दें तो इससे हमें क्या मिलेगा?


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