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साहित्य

उपन्यास पार्ट (2) : तेरे पर भी उसकी बुरी नजर है…

पार्ट वन से आगे….

पहली ही नजर में आनंद आहूजा के पापी मन में उस अनजान लड़की के साथ आनंद लेने की कामनाएं हिलोर मारने लगी…उसने रिसेप्शन पर फोन किया कि अभी जो लड़की सक्सेना के मिलकर निकली है…उसे मेरे चैंबर में भेजो…जगजीत ने फुर्ती दिखाते हुए प्रीति को आवाज भी दी…लेकिन तब तक लिफ्ट का गेट बंद हो चुका था…जगजीत ने आहूजा को बताया- ‘सॉरी सर, वो लड़की जा चुकी है…लिफ्ट का गेट बंद हो चुका था…इसलिए मैं उसे आवाज नहीं दे पाई.’ इस पर आहूजा ने झल्लाते हुए कहा- ‘इडियट, किसी काम की नहीं हो तुम…एक छोटा-सा काम दिया…वो भी ठीक से नहीं कर पाई…रखो फोन.’

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उसने फौरन सक्सेना को अपने चैंबर में बुलाया…और पूछा कि अभी जो लड़की आई थी…वो किस सिलसिले में?…सक्सेना ने सारी बातें बताईं…इस पर आहूजा ने झल्लाते हुए कहा…’क्या यार, तुम भी फॉर्मेलिटीज के चक्कर में पड़ गए…सीधे रख लेना था न?…कोई कंफ्यूजन था…तो मुझसे बात कर लेते…इसलिए तुमसे कहता हूं…स्साला अपना दिमाग मत लगाया करो…चलो, बी फास्ट…सीवी में उसका फोन नंबर तो होगा ही…फौरन फोन कर उसे रास्ते से वापस बुलाओ…और दिव्या से बोलकर ऑफर लेटर बनवाकर दो’.

इस पर सक्सेना ने कुटिल मुस्कान के साथ कहा- ‘अरे सर जी, इतने उतावले क्यूं हो रहे हो…कल दोपहर तक की ही तो बात है…कल तो वो आएगी ही न ऑडिशन देने…अब फोन करेंगे…तो शक हो जाएगा…कि क्या बात है जो इतनी हड़बड़ी हो गई? थोड़ा सबर रखो सरजी…सबर का फल मीठा होता है…फिर भाबी जी का भी तो सोचो’.

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हम उम्र होने और ‘प्रेम पुजारी’ होने के चलते आहूजा और सक्सेना में काफी याराना था… आपसी बातचीत में वे एक-दूसरे के खिलाफ जमकर ‘विशेषणों’ का इस्तेमाल करते…सक्सेना ने तंज कसा तो आहूजा बिफर गया…कहा- ‘भाबी जी की बड़ी फिक्र है तुम्हें…कहीं मेरे एबसेंट में तुम मेरे घर जाकर सिमरन से चक्कर-वक्कर तो नहीं चला रहे हो?…अबे स्साले, जहां तक तुम्हारी भाबी का सवाल है…तो स्साली जाएगी कहां?…अब तक खूंटे से बांधकर रखा है…तो आगे भी खूंटे से बंधी रहेगी…जहाज का पंछी चाहे कितनी भी उड़ान भर से…फाइनली उसे लौटकर जहाज पर आना ही पड़ता है…स्साली, बच्चों की खातिर सब कुछ सहेगी…और उसे किस्मत का लेखा मानकर चुप रहेगी…सो, तुम सिमरन की चिंता मत करो…अपनी जसप्रीत को संभाल लो वही बहुत बड़ी बात होगी’.

इंतजार की घड़ी लंबी होती है…फिर अभी तो शाम के पांच ही बज रहे थे…अभी पूरे इक्कीस घंटे बाकी थे…सक्सेना सिगरेट के छल्ले उड़ाकर इंतजार के इन पलों को छोटा करना चाहता था…सक्सेना घड़ी की सूईयों को बार-बार निहारता…कि कब रात होगी…कब अगला दिन आएगा…और कब दोपहर के दो बजेंगे…लेकिन वक्त काटे नहीं कट रहा था…यही हाल आहुजा का था…उसने प्यून को बोलकर किसी के भी आने पर डिस्टर्ब करने से मना कर दिया…और एक ‘खूबसूरत लौंडिया’ के हाथ से फिसल जाने का गम भुलाने के लिए अपने केबिन में रखे फ्रिज से विदेशी शराब की बोतल निकाली…दो-तीन बार पटियाला पैग बनाया…और नीट ही गटक गया…जब दारू का सुरूर चढ़ा…तो शराब की बोतल में भी उसे वही लड़की नजर आने लगी…वो सपनों की रंगीन दुनिया में खो गया…

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अगले दिन प्रीति तय वक्त पर आई…रिसेप्शन से सक्सेना को फोन किया…तो वो खुद उसकी अगवानी करने भागा-भागा रिसेप्शन पर जा पहुंचा…और प्रीति को मेकअप रूम तक ले गया…लेकिन मेकअप आर्टिस्ट उस वक्त हैरान रह गई…जब प्रीति ने उससे मेकअप कराने से मना कर दिया…उसका कहना था कि दूसरों का किया मेकअप उसे पसंद नहीं आता…इसलिए वो खुद मेकअप करेगी…मेकअप आर्टिस्ट को मजबूरी में बाहर निकलना पड़ा…ऐसा पहली बार हुआ था कि किसी फिमेल एंकर ने फिमेल मेकअप आर्टिस्ट से मेकअप कराने से मना कर दिया हो…प्रीति ने मेकअप रूम का दरवाजा बंद किया…और खुद मेकअप करने लगी…थोड़ी देर बाद जब वो बाहर निकली…तो कयामत ढा रही थी…जिसने उसे देखा…देखता ही रह गया…न्यूज़ रूम में मौजूद लोग पलकें झपकाना भूल गए…शायद इतनी ज्यादा खूबसूरत लड़की इन लोगों ने पहली बार देखा था…

उसे स्टूडियो ले जाया गया…पूरी अदा और लटके-झटके के साथ मटक-मटक कर चलते हुए वो स्टूडियो पहुंची…सीनियर कैमरामैन ने उसे देखा तो वो भी दंग रह गया…और फ्रेम बनाना भूल गया…जब पैनल प्रोड्यूसर ने उसे हड़काया…और जल्दी से फ्रेम बनाने को कहा….तब उसे याद आया कि फ्रेम रेडी करना है…उसके कैमरे ने एक से बढ़कर एक खूबसूरत चेहरे अपने कैमरे में कैद किए थे…लेकिन ऐसी हसीन लड़की उसने कभी नहीं देखी थी…

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सक्सेना खुद पीसीआर में जम गया…पीछे सिल्वर स्क्रीन का क्रोमा लगाया गया…जिसमें बॉलीवुड के नामी हीरो-हीरोइनों की तस्वीरें लगी हुई थीं…पैनल प्रोड्यूसर ने जब स्टैंड बाय…थ्री..टू…वन…क्यू का कमांड दिया…तो प्रीति बिंदास अंदाज में शुरू हो गई- ‘हेलो फ्रेंड्स, मैं हूं आपकी न्यू होस्ट एंड दोस्त प्रीति…और लेकर आई हूं बॉलीवुड की कुछ चटपटी खबरें और गॉसिप…सिद्धार्थ मल्होत्रा से ब्रेकअप के बाद अब किसके साथ चल रहा आलिया का अफेयर?…दीपिका-रणबीर सिंह की कब होगी शादी?…क्या आलिया को वाकई नहीं पता देश के प्रेसिडेंट और वाइस प्रेसिडेंट का नाम…देर रात किसके साथ पार्टी में दिखे वरूण धवन?…श्रद्धा कपूर और फरहान अख्तर के रिश्ते का क्या है सच?…क्या अपने ब्वॉयफ्रेंड निकी से शादी के चलते ‘भारत’ छोड़ने से पिग्गी चोप्स से नाराज हैं सल्लू…और सबसे बड़ा सवाल कि क्या सलमान और कैटरीना फिर से आ रहे हैं एक-दूसरे के करीब?… सब बताएंगे हम आपको सिल्वर स्क्रीन में….तो चलिए शुरू करते हैं सिल्वर स्क्रीन….’

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प्रीति ने इन खबरों को एक्सपीरियंस्ड एंकर की तरह इस तरह चटपटे अंदाज में पेश किया कि सब हैरान रह गए…और खुशी से तालियां बजाने लगे…सक्सेना की बांछें खिल गईं…उसने भरसक कोशिश की…फिर भी अपने चेहरे पर कुटिल मुस्कान आने से रोक नहीं सका…प्रीति जब स्टूडियो से बाहर निकली…तो उसने उसे कांग्रेचुलेट किया…कईयों ने प्रीति को मुबारकबाद देने के लिए अपना हाथ बढ़ाया…लेकिन उसने किसी से हाथ नहीं मिलाया…बल्कि हाथ जोड़कर सबको ‘थैंक यू’ कहा…प्रीति की इस अदा पर सब फिदा हो गए…खूबसूरत लड़कियां जो भी करती हैं…उसमें एक अदा होती है…और लड़के उस पर फिदा हो जाते हैं…पर माफ कीजिए लड़कों को ये सुविधा हासिल नहीं है…अब ई मत पूछिएगा कि काहे नहीं है?…अरे, कह दिए न…नहीं है…तो नहीं है…काहे बात का बतंगड़ बनाते हैं…महराज, अपनो भी विवाद में फंसिएगा…और हमको भी फंसाइएगा…सो, छोड़िए ई सब बात…

प्रीति को थोड़ी देर रिसेप्शन पर बैठने को कहा गया…ताकि आगे की फॉर्मेलिटीज पूरी की जा सके…इसी बीच सक्सेना के इंटरकॉम पर आहूजा का फोन आया…’क्या सक्सेना…ऑडिशन-वॉडिशन में फालतू का टैम वेस्ट कर रहे हो?… बोलो उसको एचआर में आकर ऑफर लेटर लेने के लिए…मैंने कल ही दिव्या को बोलकर बनवा दिया था’…

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सक्सेना ने रिसेप्शन पर फोन कर कहा कि जिस लड़की ने अभी ऑडिशन दिया था…उसे एचआर के पास भेजो… प्रीति एचआर मैनेजर दिव्या अरोड़ा से मिली तो पहले उसने प्रीति को कांग्रेचुलेट किया और एक इनवेलप दिया…प्रीति ने जब इनवेलप खोलकर ऑफर लेटर देखा…तो उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हुआ…असिस्टेंट प्रोड्यूसर कम एंकर का पोस्ट और 12 हजार सैलरी… किसी न्यूकमर के लिए इतनी सैलरी मिलनी बहुत बड़ी बात है… प्रीति खुशी से पागल हो गई…

फिर दिव्या उसे आहूजा से मिलाने उसके चैंबर में ले गई… सक्सेना वहां पहले से बैठा हुआ था… उसने ब्रेक देने के लिए आहूजा और सक्सेना को धन्यवाद दिया और कल से ज्वॉयन करने की बात कही…इस पर आहूजा अपनी बेताबी रोक नहीं सका…पूछा- ‘कल से क्यूं? आज से क्यूं नहीं?’. इस पर प्रीति ने कहा- ‘आज वो मेंटली प्रिपेयर नहीं है…साथ ही, मम्मी को भी बोलकर नहीं आई है’. ये सुनकर आहूजा थोड़ा मायूस हुआ…लेकिन उसने अपनी मायूसी जाहिर नहीं की…कहा-‘ठीक है कल से ही आइए…सक्सेना देख लो…कितने बजे से आएगी…और किसे रिपोर्ट करेगी’. सक्सेना ने उसे फिलहाल सुबह 10 से शाम 7 की शिफ्ट में आने को कहा…

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आजकल ज्यादातर न्यूज़ चैनलों में आठ घंटे की जगह नौ घंटे की शिफ्ट होती है…ताकि स्टाफ का एक घंटा ज्यादा शोषण कर सकें…यहां भी वही हाल था…सच कहें तो छोटे मीडिया हाउसेज में मीडियाकर्मियों की हालत दिहाड़ी मजदूरों से भी बदतर है…आम तौर पर दिहाड़ी मजदूर आठ घंटे से पांच मिनट भी ज्यादा काम नहीं करते…भले ही, आधा-पौन घंटा कम करें…लेकिन मीडियाकर्मियों का ‘भावनात्मक शोषण’ कर बैलों की तरह दस से बारह घंटे काम लिया जाता है…और उन्हें ओवरटाइम के पैसे भी नहीं मिलते…जबकि दिहाड़ी मजदूरों से आप एक घंटे भी ज्यादा काम लेंगे…तो आपको ओवरटाइम के पैसे देने पड़ेंगे…दिहाड़ी मजदूरों को हर दिन जाते वक्त मजदूरी मिल जाती है..और अगर किसी वजह से नहीं मिली…तो अगले दिन दोनों दिनों की मजदूरी जोड़कर एक साथ मिल जाती है…

कुछ नामचीन नेशनल मीडिया हाउसेज को छोड़ दें…तो ज्यादातर रिजनल और छोटे मीडिया हाउसेज में कई–कई महीने की सैलरी बकाया रहती है…उस पर तुर्रा ये कि उल्टे मालिक रौब गांठता रहता है कि नौकरी से निकाल देंगे…मीडियाकर्मियों की भी मजबूरी रहती है…वे जाएं तो कहां जाएं ?..अमूमन हर जगह यही हाल है…उन्हें पता है कि नौकरी छोड़कर घर बैठ जाने के बाद आगे नौकरी मिलने में दिक्कत आएगी…सो, वो शोषित होने को मजबूर होते हैं…

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मालिकों को इंडस्ट्री की हकीकत पता है…उन्हें पता है कि वो चाहे जितना भी शोषण करें…लोग भागेंगे नहीं…और अगर चले भी गए…तो जहाज के पंछी को लौटकर जहाज पर आना ही है…और अगर मान लो नहीं भी आए तो इंटर्न्स से काम चला लेंगे…हर दिन सैकड़ों रिज्यूमे आता है…कम सैलरी पर नए लोगों को रख लेंगे…धीरे-धीरे वो काम सीख ही लेंगे…अरे कौन-सा ‘रॉकेट साइंस’ है कि पंद्रह दिन-एक महीना में नहीं सीख सकते…इसलिए जो भागना चाहता है…भागने दो स्सालों को…सो, वो भी मजबूरी का फायदा उठाने से पीछे नहीं हटते…

खैर छोड़िए इन बातों को…आप भी बोर हो रहे होंगे…और सोच रहे होंगे कि प्रीति की बात करने की जगह कहां ई ‘दो टके का टुंटपुंजिया राइटर’ मीडियाकर्मियों का रोना लेकर बैठ गया है…अरे, मैंने बोला था किसी को मीडिया लाइन में जाने के लिए…अरे साहब, अगर वहां नहीं ‘पोसाता’ है…तो कोई दूसरा काम-धंधा करें…कोई जरूरी है कि मीडिया लाइन में ही चूतड़ घिसते रहें…कोई छोटा-मोटा बिजनेस शुरू करें…किसी चौराहे पर सिगरेट-गुटखा की दुकान खोल लें…नहीं तो परचून की दुकान ही खोल ले…गुजारा तो ठीक से हो जाएगा…हर महीने घर खाली करने की मकान मालिक की धमकी तो नहीं सहनी पड़ेगी…बेटे के स्कूल के प्रिंसिपल का धमकी भरा फोन तो नहीं आएगा कि अगर इस महीने की फलां तारीख तक सारा बकाया फीस जमा नहीं किया…तो अबकी बार जरूर ‘तुम्हारे लल्ला’ का नाम काट देंगे…ये लास्ट वार्निंग है…

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जनाब, सही कह रहे हैं आप…मैं भी कौन-सा फालतू टॉपिक लेकर बैठ गया…पर क्या करें…जर्नलिज्म वो ‘जिद्दी कीड़ा’ है…जो एक बार जिसके अंदर घुस जाता है…तो मरने के बाद भी बाहर नहीं निकलता…सो, छोड़िए ई सब बात…हम भी कहां आपको मीडियाकर्मियों का दर्द का एहसास कराने लगे…आप नहीं समझेंगे…काहे कि जाके पैर न फटे बिवाई…वो क्या जाने पीड़ पराई…सो चलिए प्रीति की बातें करते हैं…उसी प्रीति की जिसकी प्रीत पाने के लिए सक्सेना से लेकर आहूजा तक सभी बेकरार हैं…और आपके सब्र का बांध भी टूटता जा रहा है…

अगले दिन प्रीति तय वक्त से थोड़ा पहले ही आ गई…पहले सक्सेना से मिली…सक्सेना ने उसे आउटपुट हेड कुमार नवीन और इंटरटेनमेंट डेस्क की इंचार्ज अंजना ओबेरॉय से इंट्रोड्यूस कराया…नवीन ने उससे ज्यादा बातें नहीं की…बस नाम और एजुकेशनल बैकग्राउंड के बारे में पूछा…फिर उसने अंजना से कहा-‘तुम इसे अपने डेस्क पर ले जाओ…और बढ़िया से कामकाज सिखा दो…जितना जल्दी काम सीख लेगी…तुम्हारे लिए अच्छा रहेगा…वर्क लोड थोड़ा कम होगा’… फिर नवीन ने मजाकिया लहजे में कहा-‘नहीं तो काम करते-करते जल्दी बूढ़ी हो जाओगी…फिर शादी भी नहीं होगी’.

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अंजना उसे अपने साथ इंटरटेनमेंट डेस्क पर ले गई…और अपनी टीम से इंट्रोड्यूस कराया…थोड़ी देर औपचारिक बातें करने के बाद उसने प्रीति को न्यूज़ चैनल के कामकाज का तरीका समझाया…फिर वो उसे एडिट सेक्शन में ले गई…वीटी एडिटर्स से परिचय कराया…प्रीति पहले से कंप्यूटर फ्रेंडली थी…सो, थोड़ी देर बाद वो काम में जुट गई…लेकिन बीच-बीच में उसे कोई कंफ्यूजन होता तो अंजना से जाकर पूछती…अंजना भी उसे बड़े प्यार से समझाती…

इंटरटेनमेंट डेस्क पर और भी कई लोग थे…अंजना, मानसी मिश्रा, सोनाली सिंह, रिमझिम रॉय और प्रणब प्रियदर्शी…अब इसमें प्रीति चौधरी भी शामिल हो गई थी…अंजना भी नई कुलीग पाकर काफी खुश थी…वो बार-बार प्रीति से कहती कि कोई कंफ्यूजन हो तो बेहिचक पूछ लेना… स्वभाव से मिलनसार प्रीति जल्द ही सबसे घुल-मिल गई…मानसी, सोनाली और रिमझिम से उसकी अच्छी दोस्ती हो गई…सिवाय प्रणब के…पता नहीं क्यूं… प्रणब से वो थोड़ी दूरी बनाकर रहती…पंद्रह-बीस दिन होते-होते प्रीति काफी हद तक काम सीख गई…किसी न्यूकमर के लिए ये बहुत बड़ी बात होती है कि वो इतने कम वक्त में काम सीख ले…इसका श्रेय प्रीति को कम अंजना को ज्यादा जाता था…अंजना ने प्रीति को इस तरह ट्रेंड किया…कि वो ‘पत्थर से हीरा’ बन गई…

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प्रीति तो अप्सरा जैसी खूबसूरत थी ही…अंजना भी कम नहीं थी…अंजना…यानी अंजना ओबेरॉय…उम्र तकरीबन 25 साल…सांवला रंग…अंजना सांवली होने के बावजूद गजब की खूबसूरत थी…लोगों में ये गलत धारणा है कि सांवले लोग उतने सुंदर नहीं होते…जबकि ऐसा कुछ नहीं है…सुंदरता गोरा या सांवला होने में नहीं…देखने वालों की आंखों में होता है…उसके नजरिये में होता है…सुंदरता रूप से ज्यादा गुण, विचार-व्यवहार और बोली-वाणी से होनी चाहिए…और इस मामले में अंजना का कोई सानी नहीं था…

चैनल में कई लोग उसे प्यार से ब्लैक ब्यूटी या ब्लैक रोज़ बुलाते थे…और माफ कीजिएगा…ये रेसियल कमेंट न होकर तारीफ थी…नवीन उसे अक्सर नंदिता दास कहकर पुकारता…अंजना का लुक भी गुजरे जमाने की खूबसूरत सांवली-सलोनी हीरोइन नंदिता दास से काफी मिलता-जुलता था…नवीन और अंजना में वर्षों पुरानी जान-पहचान और दोस्ती थी…दोनों ने दिल्ली के नॉर्थ कैंपस स्थित रामजस कॉलेज में साथ पढ़ाई की थी…और उसके बाद डीयू के साउथ कैंपस से हिंदी जर्नलिज्म में पीजी डिप्लोमा किया था…नवीन उम्र में अंजना से थोड़ा बड़ा था…रामजस कॉलेज में पढ़ाई के दौरान वो अक्सर अंजना से कहता- ‘कहां तुम पंजाबी होकर रामजस में आकर हम बिहारियों के बीच फंस गई.

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साउथ कैंपस से पास आउट होने के बाद दोनों ने कई जगहों पर नौकरी के लिए ट्राई किया…लेकिन नौकरी नहीं मिली…इसी बीच आहूजा ने ‘दुकान’ खोली…ओ…सॉरी…सॉरी चैनल खोला…तो दोनों को ठौर मिला…दोनों टेलेंटेड थे…एकेडमिक बैकग्राउंड भी अच्छा था…मेहनती तो थे ही…दोनों ने जमकर मेहनत की और काम सीख लिया…नवीन की काबिलियत को देखते हुए उसे कुछ महीने बाद आउटपुट में पहले मॉर्निंग और फिर बाद में इवनिंग शिफ्ट का इंचार्ज बनाया गया…वहीं अंजना इंटरटेनमेंट डेस्क की सीनियर स्टाफ बन गई…

आहूजा के बारे में कहा जाता था कि वो लंगोट का कच्चा और लौंडियाबाज है…सिर्फ खूबसूरत लड़कियों को ही अपने चैनल और ग्रुप के दूसरे वेंचर में जॉब देता है…कई स्टाफ आरोप लगाते कि वो खूबसूरत लड़कियों को चैनल में एंकर बनाने के सपने दिखाता है…उनमें से कईयों को एंकर बनाता भी है…और उसके एवज में कीमत वसूलता है…अब तक कई लड़कियों को उसने इसी तरह अपने जाल में फंसाया है…अब इन आरोपों में कितनी सच्चाई थी ये कहना मुश्किल है…क्योंकि किसी ने भी न तो थाने, कोर्ट और न ही राष्ट्रीय या राज्य महिला आयोग में कोई शिकायत दर्ज कराई थी…हां, कईयों ने अचानक रहस्यमय तरीके से नौकरी जरूर छोड़ दी थी…कई स्टाफ दावा करते कि आहूजा की गलत फरमाईशों से आजिज आकर ही इन लड़कियों ने नौकरी छोड़ी थी…और उन्हें पता था कि आहूजा के रसूख के चलते पुलिस उस पर हाथ नहीं डालेगी…सो, उन्होंने पुलिस में भी कंप्लेन दर्ज नहीं कराई…और इन सब चीजों में फालतू का उलझने की जगह दूसरा चैनल ज्वॉयन करने में ही अपनी भलाई समझी…

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बाहर से तो चैनल में सब कुछ ठीक दिख रहा था…लेकिन अंदरखाने क्या हो रहा था…किसी को नहीं पता…फिर, जो कुछ हुआ…उससे चैनल में हड़कंप मच गया…आहूजा और सक्सेना के बढ़ते हस्तक्षेप और रोज-रोज की किचकिच से आजिज आकर आउटपुट हेड राकेश त्रिपाठी ने इस्तीफा दे दिया…ऐसे में नए आउटपुट हेड की तलाश तेज हो गई…दूसरे चैनलों के कई सीनियर लोगों से संपर्क साधा गया…लेकिन आकर्षक पैकेज ऑफर के बावजूद कोई नामचीन चेहरा इस चिटफंडिया चैनल में आने को राजी नहीं हुआ…ऐसे में, मजबूरी में ही सही, आहूजा और सक्सेना ने यंग और एनर्जेटिक नवीन पर भरोसा जताया…और उसे इवनिंग शिफ्ट इंचार्ज से प्रमोट कर पहले आउटपुट इंचार्ज’ और फिर बाद में ‘आउटपुट हेड’ बना दिया…

उधर, ऐसी अफवाह थी कि सलोनी अरोड़ा ने आहूजा की ‘नाजायज डिमांड’ पूरी करने से मना कर दिया…और उसे जमकर खरी-खोटी सुनाई…स्टाफ कहते कि आहूजा मे उसे इंटरटेनमेंट डेस्क की एक कमसिन एंकर को मौज मस्ती के लिए प्रोवाइड करने को कहा था…लेकिन सलोनी ने ऐसा करने से साफ मना कर दिया…और उसके केबिन में जाकर उसे जमकर लताड़ा…इस पर आहूजा, सक्सेना और दिव्या के जरिये उसे तरह-तरह से प्रताड़ित करने लगा…रोज-रोज की इस किचकिच से आजिज आकर आखिरकार एक दिन सलोनी ने एचआर को अपना रेजिगनेशन मेल कर दिया…वो अपनी सैलरी भी मांगने नहीं आई…उसे पता था कि आहूजा सैलरी देगा नहीं…इससे पहले भी आहूजा नौकरी छोड़कर जाने वाले न जाने कितने लोगों की सैलरी डकार चुका था…इसके बाद अंजना को ‘इंटरटेनमेंट डेस्क इंचार्ज’ बनाया गया…
अंजना की अभी तक शादी नहीं हुई थी…पंजाब के होशियारपुर जिले की रहने वाली थी अंजना…लोअर मिडिल क्लास की…उसके पिता का गारमेंट का छोटा-मोटा बिजनेस था…चार बहनों में सबसे बड़ी…उसके पापा चाहते थे कि जल्द वो अंजना की शादी कर निबटा दें…ताकि बाकी बेटियों से भी जल्दी-जल्दी फारिग हो सकें…लेकिन अंजना इतनी जल्दी शादी के लिए राजी नहीं थी…वो अपने करियर पर फोकस करना चाहती थी…इसलिए वो किसी-न-किसी बहाने शादी की बात टालती…और अपने घर भी कम ही जाती…दरअसल, जब वो घर जाती…तो नाते-रिश्तेदार पूछते- ‘कब शादी करोगी?…बूढ़ी हो जाओगी तब?…जब उमर बीत जाएगी…तो साड्डे नाल कोई लड़का ब्याह नहीं करेगा…तब जिंदगी पर कुंवारी बैठी रहना’…इन्हीं सब बातों से आजिज आकर वो घर जाने, रिश्तेदारों से मिलने-जुलने और उनसे फोन पर बात करने से भी परहेज करती…रिश्तेदार उसके पिता को भी टोकते- ‘कुड़िये की शादी क्यूं नहीं करता?…घर में बिठाकर रखेगा के?’.

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प्रीति जल्दी ही सारा काम सीख गई…और अंजना के गाइडेंस में‘सिल्वर स्क्रीन‘ प्रोग्राम बनाने लगी…हां, एक बात गौर करने वाली थी…अंजना जब भी उसे कुछ समझाती…तो प्रीति एकटक उसका चेहरा निहारती रहती…एक दिन अंजना ने उससे मजाक में कहा भी…’क्या यार प्रीति…जब भी मैं बोलती हूं तो तुम मुझे लड़कों की तरह देखती रहती हो…तुम लड़की हो या लड़का? कहीं सेक्स चेंज कर लड़का से लड़की तो नहीं बन गई हो?’…ये कहकर अंजना खिलखिलाकर हंस पड़ी…प्रीति ने भी मुस्कुरा दिया…लेकिन कहा कुछ नहीं…

प्रीति को एंकरिंग के लिए लाया गया है….लेकिन तमाम स्टाफ को उस वक्त काफी ताज्जुब हुआ…जब उन्होंने देखा कि खूशबू ‘सिल्वर स्क्रीन’ की एंकरिंग कर रही है…इसको लेकर ऑफिस में गासिपों का बाजार गर्म हो गया…तरह-तरह की बातें होने लगीं…स्टाफ आरोप लगाते कि खुशबू समय-समय पर आहूजा को ‘अपने जिस्म की खुशबू’ लेने का मौका देती है…देर शाम अक्सर वो आहूजा के साथ उसकी गाड़ी में जाती दिख जाती है…लेकिन वहीं कुछ लोगों का कहना था कि खूशबू स्साले बिहारियों को भाव नहीं देती…उन्हें अपनी जूती की नोक पर रखती है…इसलिए स्साले बिहारी उसके बारे में मनगढ़ंत कहानियां सुनाते रहते हैं…

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https://www.youtube.com/watch?v=vTSRTgV2mU4

अब सच क्या था…भगवान जाने…एक दिन मैंने ऑफिस में काम करने वाले भगवान दास से इस बारे में पूछा भी था…लेकिन उसने कुछ नहीं बताया…हो सकता है कि भगवान को भी नहीं पता हो कि कि उन्होंने जो धरती बनाई है…वहां ‘भाई लोग’ किस तरह से गुल खिला रहे हैं…और हर तरफ किस कदर गंदगी फैला रखी है…दरअसल, आजकल लोग इतने घाघ और चालाक हो गए हैं कि कंबल ओढ़कर घी पीते हैं…तालाब में डुबकी लगाकर पानी पीते हैं…फिर जब कोई चश्मदीद होगा नहीं तो कैसे किसी को सच और झूठ का पता चलेगा…फिर आजकल तो मोबाइल का जमाना है…सारी सेंटिंग व्हाट्सअप और फेसबुक पर ही हो जाती है…

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अफवाहों के पैर नहीं होते…फिर भी वो काफी तेज गति से चलता है…लेकिन सच्चाई कछुए से भी धीमी गति से चलती है…सो, चैनल में तरह-तरह की चर्चाएं होने लगी…अफवाहें अपनी जगह…लेकिन प्रीति का पत्ता काटकर खुशबू को एंकरिंग का मौका क्यूं दिया गया…इसके पीछे की असली स्टोरी हम आपको बताते हैं…दरअसल, प्रीति ने जब ज्वॉयन किया था…उसके करीब दस-बारह दिन बाद आहूजा ने उसे अपने चैंबर में बुलाया…और कहा कि वो इंवेस्टर्स समिट में हिस्सा लेने के लिए तीन-चार दिनों के लिए मुंबई जा रहा है…उसने प्रीति को भी अपने साथ चलने को कहा…आहूजा ने कहा-‘मैं तो बिजनेस मीटिंग में बिजी रहूंगा…इस बीच तुम कुछ स्टार्स का इंटरव्यू कर लेना…काम भी हो जाएगा…और घूमना-फिरना भी’…लेकिन प्रीति ने साफ मना कर दिया…उसने कहा कि उसकी मां बीमार है…वो उसे छोड़कर बाहर नहीं जा सकती…इस पर आहूजा ने ‘इट्स ओके, कोई बात नहीं’…कहकर मुस्कुराने की कोशिश की…लेकिन अंदर से वो उबल रहा था…उसे यकीन नहीं हो रहा था कि चैनल में काम करने वाली कोई लड़की इस तरह से उसकी बात काट सकती है…सामंती मानसिकता वाला आहूजा स्टाफ को अपना गुलाम समझता था…और कोई गुलाम अपने मालिक की बात काटे…ये उसे हजम नहीं हो रहा था…

वैसे मीडिया इंडस्ट्री हो या कोई और फील्ड…प्राइवेट नौकरी में हर जगह मालिकों की ऐसी ही मानसिकता होती है…मालिक स्टाफ को स्टाफ कम गुलाम ज्यादा समझते हैं…मालिक जो सैलरी देता है…तो उसे लगता है कि हमने उसे खरीद लिया है…और मैं जो कहूंगा…करना पड़ेगा…कैसे नहीं करेगा?…नहीं करेगा तो साले को नौकरी से निकाल देंगे…दुर्भाग्यवश औरों की तरह आहूजा भी इसी लाइलाज बीमारी का शिकार था…

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प्रीति को तो उसने मुंह पर कुछ नहीं कहा…लेकिन जब वो वहां से गई…तो आहूजा बरस पड़ा…वो प्रीति के इनकार से काफी नाराज था…प्रीति के हाथों में हाथ डालकर बांद्रा वेस्ट में शाहरूख के घर मन्नत और सलमान के घर गेलैक्सी अपार्टमेंट के बाहर फोटो खिंचवाने, जुहू बीच और मरीन ड्राइव पर समंदर की ऊंची-ऊंची लहरों के बीच अठखेलियां करने, गेटवे ऑफ इंडिया पर सेल्फी लेने और ताज होटल में रंगरेलियां मनाने का उसका सपना एक ही झटके में धाराशायी हो गया…उसने सक्सेना को बुलाया और साफ हिदायत दी- ‘जब तक मैं न बोलूं…साली को एंकरिंग मत दो…अभी नई-नई आई है…इसलिए माथा चढ़ा हुआ है…आसमान में उड़ रही है…जब पर कटेंगे…तो धड़ाम से जमीन पर गिर जाएगी…तब नौकरी बचाने के लिए खुद ही अपने कपड़े उतारेगी’….

सक्सेना और आहूजा दोनों झूठ और फरेब की दुनिया के ‘मंजे खिलाड़ी’ थे…सोचते कुछ…बोलते कुछ…और करते कुछ और…आहूजा जब कहता कि वो मुंबई जा रहा है…तो वो शर्तिया मुंबई नहीं जाता…कोलकाता, चंडीगढ़, जयपुर या कहीं और जाता…जब कहता कि वो स्वर्ण मंदिर में मत्था टेकने अमृतसर जा रहा है…तो पता चलता कि वो कुल्लू-मनाली की वादियों में बर्फवारी का मजा ले रहा है…या पिंक सिटी जयपुर के किसी होटल में ‘लोकल पिंकी’ के साथ गुलछर्र्रे उड़ा रहा है…या फिर थाईलैंड या गोवा में ‘जिंदगी के मजे’ ले रहा है…दरअसल, अपना इंप्रेशन जमाने के लिए वो व्हाट्सअप और फेसबुक पर फोटो पोस्ट करता…जिससे पोल खुल जाती…इतना ही नहीं, जब वो कहता कि किसी ज़रूरी काम लुधियाना और जलंधर जा रहा है…चार-पांच दिन बाद लौटेगा…तो अचानक से अगले दिन ऑफिस धमक जाता…भ्रम पैदा करने और स्टाफ के बीच डर का माहौल बनाए रखने के लिए वो जान-बूझकर ऐसा करता…

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जब भी वो बाहर जाता…तो अपने मोबाइल पर सीसीटीवी फुटेज देखकर वहीं से लोगों को हड़काता…’ऐसे क्यों बैठे हो?…अभी पीसीआर में क्या कर रहे हो?…मोबाइल पर क्यूं इतनी देर से बात कर रहे हो?…राजीव जाकर देखो तो उस कंप्यूटर पर कौन साला फेसबुक खोले हुए है?…देखो तो रे रमुआ, वीटी में कौन व्हाट्सअप-व्हाट्सअप खेल रहा है…साले के पिछवाड़े पर लात मारकर बाहर करो…अबे राजेश, देख तो कुर्सी पर इस तरह से लात रखकर कौन बैठा हुआ है?’…साले को बैठने का सऊर नहीं है क्या?…मुझे लौटने दो…स्साले को चूतड़ पर लात मारकर बाहर कर देंगे…वगैरह-वगैरह…इन सब चीजों का मकसद एक ही रहता…स्टाफ के बीच दहशत कायम रखो…ताकि वे अपनी सारी इनर्जी नौकरी बचाने में लगाएं और कोई सैलरी मांगने की हिम्मत न करे…

दोनों इतने ‘घाघ’ थे कि कभी दिल की बात जुबां पर नहीं आने देते…प्रीति को इनकी ‘साजिशों’ का भान नहीं था…वो अपने काम में मगन रहती थी…उसे क्या पता था कि चैनल में नौकरी देने के पीछे आहूजा और सक्सेना की क्या साजिश है…दोनों के मन में क्या चल रहा है…जब दोनों ने देखा कि प्रीति उन लोगों को ज्यादा भाव न देकर काम पर फोकस कर रही है…उन्हें लगा कि ऐसे में तो ‘सोनचिरैया जाल में फंसने’ से रही…सो, ‘सोनचिरैया’ को जाल में फंसाने की साजिशें शुरू हो गईं…प्रीति को पटाने के लिए दोनों ने अपने-अपने तरीके से कोशिशें तेज कर दी…दोनों किसी न किसी बहाने उसे अपने केबिन में बुलाते और गप्पें मारते…और पूछते- ‘कहीं किसी किस्म की परेशानी तो नहीं?…अगर हो तो बताओ…मैं हूं ना’… दोनों खुद को प्रीति का सबसे बड़ा हितैषी साबित करने पर तुले थे…

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लेकिन प्रीति इस सबसे अनजान थी…वो तय वक्त पर ऑफिस आती और अपना काम निपटाकर चली जाती…आते-जाते वक्त अंजना को रिपोर्ट करती…हां, अगर कभी आहूजा…सक्सेना…नवीन वगैरह सामने पड़ जाता तो हाय सर, हलो सर कहकर उन्हें विश करना भी नहीं भूलती..ऐसे में एक दिन सक्सेना ने उसे अपने केबिन में बुलाकर खूब चिकनी-चुपड़ी बातें की…कहा- ‘हमने तुमको इतना बड़ा ब्रेक दिलाया…वरना आहूजा तो तुमको रखना ही नहीं चाहता था…लेकिन मैं अड़ गया तब जाकर माना…मैनेजमेंट पर दवाब डालकर मैंने तुमको अच्छी-खासी सैलरी दिला दी…तुम किसी से भी पूछ लो…फ्रेशर को इतनी सैलरी मिलती कहां है?…लेकिन तुमने मिठाई भी नहीं खिलाई’…
इस पर प्रीति ने सक्सेना से माफी मांगी…और अगले दिन मिठाई ले आई…उसने पूरे ऑफिस को मिठाई खिलाई…अंजना को उसने अपने हाथों से मिठाई खिलाई…नवीन के पास भी वो काफी विनम्रता से गई…और मिठाई का डिब्बा बढ़ाया…नवीन ने मिठाई ले ली और मुस्कुराते हुए ‘थैंक यू’ बोला…प्रीति भी मुस्कुराई…लेकिन बोली कुछ नहीं…सबने प्रीति को मुंह मीठा कराने के लिए धन्यवाद दिया…लेकिन बात मिठाई से ही खत्म नहीं हुई…ये तो बस शुरुआत थी…सक्सेना के डिमांड की लिस्ट बढ़ती ही जा रही थी…कभी वो प्रीति को अपने साथ बाहर सीपी, नेहरू प्लेस या साउथ एक्स के किसी अच्छे रेस्टोरेंट में साथ लंच या डिनर करने का ऑफर करता…तो कभी बाहर चलकर कॉफी पीने का…लेकिन प्रीति हर बार विनम्रतापूर्वक इनकार कर देती…कहती कि आउटसाइडर्स के साथ खाने-पीने में उसे काफी संकोच होता है…इस पर सक्सेना कहता-‘लो तुमने मुझे पराया कर दिया…मैं तुमको इतना मानता हूं…और तुम मुझे आउटसाइडर समझती हो’…इस पर प्रीति ने ‘सॉरी सर, मेरे कहने का ये मतलब नहीं था’ कहकर माफी मांग ली…

जब सक्सेना की सीधी चाल कामयाब नहीं होती तो वो उल्टी चाल चलता…’मेरे साथ बाहर डिनर नहीं करोगी…कोई बात नहीं…किसी दिन अपने घर पर ही चिकेन-मटन का इंतजाम करो…लेग पीस और गोश्त मुझे काफी पसंद है…चाहे वो किसी टाइप का क्यूं न हो…मैं ही आ जाऊंगा’…इस पर प्रीति मां की खराब सेहत का हवाला देकर बहाना कर देती…कहती-‘अभी तो मां की तबीयत ठीक नहीं है…जब ठीक हो जाएगी तब एक दिन ज़रूर दावत होगी…श्योर सर…व्हाई नॉट?…इट्स माय प्लेजर’…

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सक्सेना उसे अपने प्रभाव में रखना चाहता था…इसलिए कभी-कभी सक्सेना उसे अपने केबिन में बुलाकर गार्जियन की तरह समझाता- ‘मीडिया इंडस्ट्री बाहर से भले साफ-सुथरी और आकर्षक दिखती हो…लेकिन है बड़ी गंदी चीज…यहां एक से बढ़कर कमीने भरे पड़े हैं…जिसकी वासना भरी नजर हर वक्त आपको घूरती रहती है…लेकिन अगर कोई ‘गॉडफादर’ हो…तो बुरी नजर डालने की किसी की हिम्मत नहीं पड़ती…तुम नई-नई आई हो…अपनी हो…इसलिए ये सब समझा रहा हूं’…

वो प्रीति के सामने आहूजा के खिलाफ अपनी भड़ास निकालता…‘उससे बचके रहियो…बड़ा कमीना है…अब तक कई लड़कियों की जिंदगी बर्बाद कर चुका है…एक लड़की को तो उसने इतना हैरास किया कि बेचारी ने सुसाइड कर लिया…वो तो मैं था…कि आईओ और सिटी एसपी को चढ़ावा चढ़ाकर केस मैनेज कर दिया…वरना आज जेल में चक्की पिस रहा होता’…फिर वो खुलासा करता-‘तेरे पर भी उसकी बुरी नजर है…लेकिन मैंने उसे साफ कह दिया है- ‘खबरदार जो उसकी तरफ नजर उठाकर देखा तो…प्रीति उस टाइप की लड़की नहीं है…यदि वो कभी तुमसे बदतमीजी करे…तो मुझे बताना…मैं छोडूंगा नहीं उसे’…

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…जारी…

‘गॉडफादर!’ नामक इस उपन्यास के लेखक अमर कुमार मिश्र मधुबनी, बिहार के रहने वाले हैं. उनसे संपर्क [email protected] के जरिए किया जा सकता है. इस उपन्यास का किसी भी चैनल और जीवित या मृत व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है…अगर कहीं कोई समानता नजर आती है तो वो महज एक संयोग है.

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इसके आगे का पढ़िए…

उपन्यास पार्ट (3) : अगर तुम्हें एंकर बना भी दें तो इससे हमें क्या मिलेगा?

पार्ट वन पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें…

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उपन्यास पार्ट (1) : सक्सेना बड़ा काइयां था… नई माल देख उसके अंदर का मर्द जग गया…


https://www.youtube.com/watch?v=dRQEMey6b2Y

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0 Comments

  1. फ़िरोज़ खान बाग़ी

    August 14, 2018 at 7:48 pm

    सौ टके की बात ।

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