Ram Janm Pathak : हिंदी के शलाका पुरुष को लेकर फैलता वितंडा… हिंदी के शलाका-पुरुष और नब्बे से ज्यादा वसंत-पार नामवर सिंह के एऩडीटीवी में प्रसारित इंटरव्यू को लेकर कुछ अपढ़, कुपढ़ और संकीर्ण समझ वाले उन पर हमले कर रहे हैं। क्योंकि इस इंटरव्यू में उन्होंने कह दिया कि-किसी खुदा या god से हमारा ईश्वर कमजोर थोड़े ही है। उनका ईश्वर बोलना ही था, कि कुछ मूढ़मति, अज्ञानी उनके पीछे पड़ गए हैं। यहां तक कि साक्षात्कर्ता भी उनके ईश्वर बोलने पर उनके वामपंथी होने की याद दिलाता है। वे – कहते हैं, यह मुहावरा है।
पहली बात तो यह है कि यह इंटरव्यू किसी समर्थ व्यक्ति को लेना चाहिए था। इंटरव्यू लेने वाला इतना मंदबुदिध है कि देख कर मुझे तरस आया। उसके पास कोई सवाल ही नहीं था, बस नामवरजी ही खाली जगह भर रहे थे। जो लोग नामवर सिंह के पीछे लग गए। उन्हें नहीं पता मार्क्स से ज्यादा ईश्वर के प्रति अविश्वास रखने वाला कौन होगा ? मार्क्स ने कहा था-thanx GOD, I AM MARX, NOT MARXIST. मुक्तिबोध जब मरे तो हाय राम, हाय राम कह रहे थे।
कुछ लोग नामवर के बयान को उनके दक्षिणपंथी रुझान से जोड़ रहे हैं। वे रामबहादुर राय को किताबें देने का जिक्र करते हैं। इस तरह की कई चीजें हैं, जो सुनने वाले को लगता है कि वे कुछ गड़बड़ा गए हैं।
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उसी इंटरव्यू में वे कहते हैं-आंखे आगे देखने के लिए बनी हैं।
बीच-बीच में कुछ भूलते-से भी लगते हैं।
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मुझे लगता है कि किसी योग्य व्यकित् को उनसे दोबारा इंटरव्यू करना चाहिए। वे अभी होश में हैं, वे अभी बोल रहे हैं।
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किसी ने उनकी तुलना हिंदी के अमिताभ बच्चन के तौर पर की थी। वैसे तो फिल्मी उपमान की जरूरत ही नहीं है, उनके व्यक्तित्व को भांपने के लिए। ….नामवर सिंह की तुलना सिर्फ उन्हीं से हो सकती है। उन्हें अमिताभ बच्चन कहना, उनका अपमान है।
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तुलसी ने लिखा है, जोइ पंडित, सोई गाल बजावा। कुछ लोगों को नामवर सिंह पर हमला करने के बहाने पंडित होने का मौका मिल गया है।
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नामवर , नामवर हैं, उनका कोई क्या बिगाड़ लेगा…
जनसत्ता अखबार में कार्यरत वरिष्ठ पत्रकार रामजनम पाठक की एफबी वॉल से.
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