Connect with us

Hi, what are you looking for?

साहित्य

जिन्दगी के बिल्कुल पास की ग़ज़लें : कुमार कृष्णन

समकालीन हिन्दी ग़ज़लों की अभिव्यक्जि और उनकी सम्प्रेषणीयता हिन्दी काव्य को एक नए मोड़ पर उत्साहपूर्वक भविष्य को जन्म देने के लिए अग्रसर है। आज हिन्दी में जो ग़ज़लें लिखी जा रही है, उसका सीधासीधा सरोकार समकालीन आम जीवन से है। भाव, कल्पना और बुद्धि के साथसाथ आक्रोश और ओज का भी मिलाजुला स्वर देखने को मिल जाया करता है। यही स्वर पठनीयता को भी अपनी ओर आकर्षित करता है।

<p>समकालीन हिन्दी ग़ज़लों की अभिव्यक्जि और उनकी सम्प्रेषणीयता हिन्दी काव्य को एक नए मोड़ पर उत्साहपूर्वक भविष्य को जन्म देने के लिए अग्रसर है। आज हिन्दी में जो ग़ज़लें लिखी जा रही है, उसका सीधासीधा सरोकार समकालीन आम जीवन से है। भाव, कल्पना और बुद्धि के साथसाथ आक्रोश और ओज का भी मिलाजुला स्वर देखने को मिल जाया करता है। यही स्वर पठनीयता को भी अपनी ओर आकर्षित करता है।</p>

समकालीन हिन्दी ग़ज़लों की अभिव्यक्जि और उनकी सम्प्रेषणीयता हिन्दी काव्य को एक नए मोड़ पर उत्साहपूर्वक भविष्य को जन्म देने के लिए अग्रसर है। आज हिन्दी में जो ग़ज़लें लिखी जा रही है, उसका सीधासीधा सरोकार समकालीन आम जीवन से है। भाव, कल्पना और बुद्धि के साथसाथ आक्रोश और ओज का भी मिलाजुला स्वर देखने को मिल जाया करता है। यही स्वर पठनीयता को भी अपनी ओर आकर्षित करता है।

यह कहने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए कि पिछले वर्षो में हिन्दी ​कविता पठनीयता के संकट से जूझती रही। इस संकट का मूल कारण कविता से छंद और लय का लोप हो जाना। भारतीय समाज का सामाजिक परिवेश सदासदा से लयात्मक रहा है। जीवन, मृत्यु और उत्साह के क्षणों में भी लय की प्रधानता देखी गयी है। ऐसी परिस्थिति में कविता से छंद का लोप होना एक त्रासद भविष्य की ओर संकेतित होता है, लेकिन कविता की इस भविष्यहीनता को दुष्यंत ग़ज़लों ने एक नया क्षितिज दिया और हिन्दी काव्य साहित्य में ग़ज़ल का परिवेश हिन्दी कविता के लिए सुखद संकेत रहा। धीरेधीरे ग़ज़ल पाठकों के साथ सीधा संवाद करते हुए पूरी तरह घुल मिल गयी।

Advertisement. Scroll to continue reading.

दुष्यंत कुमार के बाद हिन्दी ग़ज़ल का जो आंदोलन चला, वह आज भी निरंतर जारी है। जिसकी एक कड़ी के रूप में डॉ मृदुला झा की ग़ज़लों को भी हम भरोसे के साथ ले सकते हैं। हाल में ही इनका ग़ज़ल संग्रह ‘सतरंगी यादों का कारवां ‘ कुल 83 ग़ज़लों को साथ लेकर पाठकों के समक्ष आया है। संग्रह की सारी ग़ज़लों के पाठ के बाद मुकम्मल तौर पर कहा जा सकता है कि मृदुला झा की ग़ज़लें समकालीन समाज की विसंगतियों के विरूद्ध आवाज उठाते हुए पाठकों से सीधा सीधा संवाद करती है। यही संवाद डॉ मृदुला झा के समकालीन होने का प्रमाण देता है। वानगी के तौर पर—

बेघरों को घर दिलाना चाहते हैं,

Advertisement. Scroll to continue reading.

मुफलिसी उनकी मिटाना चाहते हैं

डॉ मृदुला झा की ग़ज़लाों में जीवन के यथार्थ के साफगोई भी है, जो आज का यथार्थ है कि हम और हमारे साथ हमारा समाज दिशाहीन होता जा रहा है। भोगवाद की व्याकुलता की आग में अपनी लोलुप मानसिकता के कारण हम जल रहे हैं और इस जलन के बीच हम अपनी बेहतरी की कामना भी करते हैं। इन्हीं सब बातों को पकड़ते हुए डॉ मृदुला झा यह साफ साफ कहने में नहीं हिचकती हैं कि जीवन सिर्फ फूलों की आस्था ही नहीं कांटों भरा पथ भी है। इसलिए इस सच्चाई को स्वीकार करें कि जीवन में  सिर्फ फूल ही नहीं कांटे भी मिलते हैं। 

Advertisement. Scroll to continue reading.

डॉ मृदुला झा में जीवन के किसी भी यथार्थ को काव्यात्मक ढंग से अभिव्यक्त करने की अदभूत कला है। इस कला के इर्द गिर्द उनका यर्थाथ विचरण करता नजर आता है ​तो एक​ विचित्र तरह का नाद और सौंदर्य उपस्थित होता है। जैसा कि गज़ल़ों के बारे में कहा गया कि ग़ज़ल सौंदर्य के बगीचे में एक मुस्कुराता हुआ फूल है। यथार्थ कड़बे संप्रेषण के बाद भी ग़ज़ल रूपी फूल को मुरझाने नहीं दिया है।

संग्रह की ग़ज़लों में यथार्थ पक्ष और और सौन्दर्य पक्ष का आत्मिक मिलन निरंतर बना रहता है, जिससे ग़ज़ल की मासूमियत न तो विचलित होती है और न प्रभावित होती है। इसे हम डॉ मृदुला झा की ग़ज़लगोई की सफलता मान सकते हैं,क्योंकि दिल की धड़कनों और दिमाग की करवटों का परिधान जो उन्होने अपनी ग़ज़लों को दिया है, ऐसी विशेषता हिन्दी के बहुत ग़ज़लकारों में पायी जाती है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

समीक्षित पुस्तक- सतरंगी यादों का कारवां (गज़ल संग्रह), रचनाकार — डॉ मृदुला झा, मोनिका प्रकाशन, 85/17,पतापनगर, जयपुर-302033.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement